बटालवी और डॉ. डीएस गुप्त की याद में Srijan ने ऑनलाइन सजाई ‘सुरमयी सांझ’

CHANDIGARH: शिव कुमार बटालवी और डॉ. धर्म स्वरूप गुप्त के जन्मोत्सव पर उनकी याद में Srijan-An institute of Creativity की तरफ से एक ऑनलाइन संगीतमय कार्यक्रम ‘सुरमयी सांझ’ का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के जाने-माने गायकों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गांधी स्मारक निधि के पूर्व चेयरमैन तथा आचार्यकुल चंडीगढ़ के वर्तमान चेयरमैन केके शारदा थे, जबकि विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय कवि संगम की अध्यक्ष श्रीमती संतोष गर्ग थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती निर्मल सूद ने की।

कार्यक्रम की शुरुआत सृजन के अध्यक्ष गजल गायक सोमेश ने सरस्वती वन्दना गाकर की। कार्यक्रम का आरंभ श्रीमती अमरज्योति ने शिव कुमार बटालवी की कविता ‘जी चाहे पंछी हो जावां’ और सोमेश ने शिव कुमार बटालवी के गीत ‘मैनूं तेरा शबाब ले बैठा’ से की। इस कार्यक्रम में सबसे छोटे प्रतिभागी क्रिश ने पंजाबी सूफी गीत गाकर समां बांध दिया। वहीं बाल कृष्ण गुप्ता ने अपने बड़े भाई धर्म स्वरूप गुप्त की याद में एक भावनात्मक कविता ‘मेरे बड़े भैया’ पेश की।

कार्यक्रम में पूर्णिमा ने गीत ‘सावन की बदरिया’, हरेंद्र सिन्हा ने कविता ‘पिता ही दिया करते बच्चों को उपहार’, निर्मल सूद ने कविताएं ‘मेरे पिता’ और ‘दीवारें’, शिवानी अंगरीश ने हिमाचली लोकगीत ‘अम्मा पुछदी’ और शिव कुमार बटालवी का गीत ‘लोकी पूजन रब्ब नूं’, डॉ. प्रज्ञा शारदा ने कविता ‘सच और झूठ’, इशमीत कौर ने गीत, साजद अली ने ‘जे तु कदे रावी लंघ जाएं’, सुनीता सिंह ने गीत ‘मुस्कुराओगे तो जीत जाओगे’, अंजू राय ने गीत ‘आधार है’, संतोष गर्ग ने कविता ‘कुछ तो बताओ’, राशि श्रीवास्तव ने गीत ‘घुमड़े थे बादल’ गाकर समां बांध दिया। अंत में Srijan के अध्यक्ष सोमेश ने कार्यक्रम में शामिल हुए सभी प्रतिभागियों का शुक्रिया करते हुए कहा कि अगस्त में Srijan की तरफ़ से भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अमरज्योति शर्मा ने किया।

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