जून में चौथी लहर के बारे में IIT Kanpur की स्टडी साइंस पर आधारित नहीं: डॉ. रवि गोडसे

डॉ. गोडसे के मुताबिक ओमिक्रोन भारत के लिए हुआ बूस्टर साबित, डरने की कोई बात नहीं 

CHANDIGARH, 02 MARCH: आईआईटी, कानपुर की स्टडी के मुताबिक जून में कोरोना की चौथी लहर दस्तक दे सकती है, आजकल खूब चर्चा में है। इससे हर कोई सहमा हुआ है व फिर से भांति-भांति की अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है। इस स्टडी को लेकर यूएसए से विश्व प्रसिद्ध मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉ. रवि गोडसे व चंडीगढ़ के लाइफस्टाइल स्पेशलिस्ट असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर एचके खरबंदा के बीच लाइव सेशन के दौरान विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। डॉक्टर गोडसे ने बताया कि भारत में तीसरी लहर तो आई ही नहीं। हमारा स्टेटिस्टिकल टेस्ट सिर्फ यही है कि दिसम्बर ’21 में आपके कितने जानकारों को मुश्किलें आईं। इसे लहर नहीं कहते। डॉ. रवि गोडसे के मुताबिक केस बढ़ने से लहर तब तक नहीं आती, जब तक कि ऑक्सीजन या बेड की कमी न हो। डॉ. रवि गोडसे के मुताबिक उनके कहने का अभिप्राय यह है कि जब तीसरी लहर भारत में आई ही नहीं तो चौथी कहां से आएगी? डॉ. रवि गोडसे ने इस लाइव सैशन में कहा कि हम स्टेटिक्स एक्सपर्ट का सम्मान करते है लेकिन यह लहरें गिनना स्टैटिसटिक्स और मैथमेटिशियन का काम नहीं है। इसे साइंटिस्ट और विशेषज्ञ तक ही रहने दें। उन्होंने बताया कि जिन लोगों को ओरिजनल कोविड हुआ था उन्हें डेल्टा नहीं हुआ, जिनको डेल्टा हुआ था, उन्हें दोबारा डेल्टा नहीं होगा। इसीलिए बाद में जब ओमिक्रोन आया व यह बदला हुआ था और इसीलिए जिन्होंने 2 डोज ली थी व जिन्हें डेल्टा  हुआ था उन्हें भीओमिक्रोन ही हुआ। उनके अनुसार भारतवर्ष में लगभग सभी को ओमिक्रोन हो चुका है और अब ओमिक्रोन का कोई भी सब वैरिएंट आएगा तो वो भी ऐसा ही होगा व सीरियस नहीं होगा। अब वेव या केस गिनने का कोई फायदा नहीं है।

उन्होंने आखिर में कहा कि 18 से 65 वर्ष की उम्र में यदि किसी ने दो वेक्सीन लगवाई हुई हैं, तो वे बूस्टर लगवाएं या न लगवाएं, कोई ज्यादा अंतर नहीं होगा। लेकिन यदि आप की उम्र 65 से ऊपर है या आपको कोमोरबिडिटीज, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज या  कैंसर है तो बूस्टर अवश्य लगवा लें।

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