केंद्र सरकार को अमन-चैन और सुरक्षा के खतरे से सावधान किया
किसानों से जाम हटाने की अपील, कहा-हम आपके साथ खड़े हैं, आप हमारे साथ खड़े हों
CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज सदन में एलान किया कि पंजाब के किसानों के प्रति बेइन्साफ़ी के आगे सिर झुकाने की बजाय वह इस्तीफ़ा देने या अपनी सरकार बखऱस्त होने देने के लिए तैयार हैं।
इस मौके पर उन्होंने इन कृषि कानूनों के नतीजे के तौर पर राज्य की अमन-चैन और कानून व्यवस्था को भंग होने और राष्ट्रीय सुरक्षा पर ख़तरा खड़ा होने की संभावना संबंधी चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और रोज़ी-रोटी पर लात मारने की कार्यवाहियों को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
मुख्यमंत्री ने कहा, ”मैं इस्तीफ़ा देने से नहीं डरता। मुझे अपनी सरकार के बखऱस्त हो जाने का भी डर नहीं। परन्तु मैं किसानों को दुखों की भट्टी में झोंकने या बर्बाद होने की हरगिज़ इजाज़त नहीं दूँगा।”
इस मौके पर कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय सिख सिद्धांतों पर हुए हमले का समर्थन या स्वीकृत करने की बजाय उन्होंने इस्तीफ़ा देने का रास्ता ही चुना था। केंद्र सरकार को हालात हाथों से निकलने की इजाज़त देने के विरुद्ध सावधान करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यदि कृषि कानून रद्द न किए गए तो गुस्साए नौजवान किसानों के साथ सडक़ों पर उतर सकते हैं, जिससे अफरा-तफरी फैल जाएगी। उन्होंने खबरदार करते हुए कहा कि इस समय पर जो बरताव हो रहा है, इससे शांतमई माहौल में विघ्न पडऩे की संभावना है।
उन्होंने कहा कि 80वें और 90वें के दशक के मौके पर भी ऐसा ही हुआ था। उन्होंने कहा कि चीन और पाकिस्तान की आपस में साँठ-गाँठ है और वह राज्य के अमन-चैन को भंग करने के लिए इस मौके का लाभ लेने की कोशिश करेंगे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर ख़तरा खड़ा हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह मौजूदा स्थिति को लेकर बेचैन और परेशान हैं और केंद्र सरकार के फ़ैसले को समझना चाहते हैं कि कोविड के संकट में भी किसानों के लिए ऐसी विपदा क्यों खड़ी कर रहे हैं।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि चाहे वह रोष प्रदर्शन कर रहे किसानों के हक में डटकर खड़े हैं क्योंकि किसानों के पास अपने आप को और अपने परिवारों को बचाने के लिए लड़ाई लडऩे से सिवा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों को रेल रोको आंदोलन और रूकावटें हटाने और ज़रूरी वस्तुओं की यातायात की आज्ञा देकर राज्य सरकार की मदद करने की अपील की है। किसानों से अपील करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ”हम आपके साथ खड़े हैं और अब आपकी हमारे साथ खड़े होने की बारी है।”
उन्होंने कहा कि समूचा सदन उनके साथ है परन्तु राज्य कठिन समय से गुजऱ रहा है और बिजली उत्पादन संकट में घिरा हुआ है, खाद के लिए युरिया नहीं है और न ही धान की मौजूदा आमद के लिए गोदामों में जगह है।
मुख्यमंत्री विधान सभा में विशेष सत्र के दूसरे दिन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को प्रभावहीन करने के अपने सरकार के चार बिल पेश करने के मौके पर विचार पेश कर रहे थे। राज्य सरकार के बिल, जो पंजाब का अस्तित्व बचाने और किसानों के हितों की रक्षा के लिए बहु-उद्देश्यीय रणनीति का हिस्सा है, कृषि उपज के व्यापार को आसान बनाने सम्बन्धी एक्ट, कृषि करार और कृषि सेवा एक्ट, ज़रूरी वस्तुएँ एक्ट और सिविल प्रोसीजर कोड में संशोधन की माँग करते हैं। इन बिलों का मुख्य उद्देश्य केंद्रीय कानूनों के घातक प्रभावों का मुकाबला करना है जिनको मुख्यमंत्री ‘छल से हथियाने वाले कानून’ करार दे चुके हैं।
सदन में विचार-चर्चा के लिए अपनी सरकार के चार बिलों को पेश करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों के नाम पर वास्तव में उन्होंने ‘व्यापार कानून’ बनाए हैं। राष्ट्रीय मंडी तक पहुँच किसानों की नहीं बल्कि व्यापारियों की है। इस कारण कथित कृषि कानूनों में ‘ट्रेड एरिया’ का प्रयोग भी यही कह रहा है।
मुख्यमंत्री ने कृषि कानूनों के साथ पंजाब को ख़त्म करने की कोशिश करने के लिए केंद्र सरकार पर हल्ला बोलते हुए प्रधानमंत्री को सवाल किया कि क्या उनकी यह कार्यवाही न्यायपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी को राज्य की कृषि को किनारे करने के लिए सीधे तौर पर जि़म्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जिस समय से मुल्क के अन्य राज्यों द्वारा अनाज मुहैया करवाना शुरू किया हुआ है, उस समय पर केंद्र सरकार ने पंजाब के किसानों को दरकिनार करना शुरू कर दिया है।
संवैधानिक गारंटियों की पालना करने में केंद्र की नाकामी पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र ने वायदे के बावजूद जी.एस.टी. की अदायगी नहीं की। इन कानूनों की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य जिस स्थिति का आज सामना कर रहा है, इसके बीज तो शांता कुमार कमेटी द्वारा साल 2015 में ही बीज दिए गए थे, जिसने सिफ़ारिश की थी कि ”बड़ी मात्रा में अनाज खरीदने के व्यावहारिक कार्य करने की बजाय न्युनतम समर्थन मूल्य से नीचे कीमते आने के मौके पर किसानों को मुआवज़ा देने की संभावना तलाशी जाए। इससे खरीद कार्यों को तर्कसंगत बनाने और अनाज की खरीद के लिए राज्य की एजेंसियोंं के साथ मुकाबलेबाज़ी के लिए प्राईवेट सैक्टर को वापस लाने में मदद मिलेगी।”
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार अपना किसान भाईचारा और कृषि, जो राज्य के विकास एवं तरक्की की रीढ़ की हड्डी है, को भाजपा द्वारा ऐसे चालबाज़ तरीकों से तबाह करने की इजाज़त नहीं देगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के चार बिलों का उद्देश्य जहाँ केंद्रीय कानूनों से राज्य और यहाँ के कृषि सैक्टर को पैदा हुए खतरे को रोकना है, वहीं किसानों और उपभोक्ताओं के आशंकाओं को भी दूर करना है।