ANews Office: इन दिनों नवरात्र चल रहे हैं और इस बार काफी लोगों के मन में अष्टमी तथा कन्या पूजन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जिसका स्पष्टीकरण आज हम यहां दे रहे हैं। पंचांग के अनुसार 23 अक्तूबर शुक्रवार की प्रात: सप्तमी 6 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी और अष्टमी आरंभ हो जाएगी, जो 24 अक्तूबर को सुबह 6:59 तक रहेगी। जिन स्थानों पर सूर्योदय 6.35 बजे के बाद है, वहां श्री दुर्गाष्टमी 23 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इस नियम के अनुसार दिल्ली, हरियाणा आदि में अष्टमी 24 अक्तूबर को मनाई जाएगी। अब यह आस्था ओैेर सुविधानुसार आप दोनों में से किसी दिन भी मना सकते हैं। कुछ लोग सप्तमी का व्रत रखते हैं। आप कन्या पूजन अष्टमी और नवमी पर कर सकते हैं।
कोरोनाकाल में ऐसे करें कंजक पूजन?
वर्तमान परिस्थितियों में फेस्टिवल सीजन में पराली दहन, आपसी दूरी बनाकर न रखने, मास्क न पहनने के कारण कोरोना संक्रमण बढ़ सकता है, ऐसे में आप घर में ही उपलबध कन्याओं औेर एक छोटे बालक के पूजन से ही काम चलाएं। शगुन एवं परंपरा के लिए हलवा, पूरी, काले चने उतने ही बनाएं जितने बांट सकें। गरीब बस्तियों में आप इसके और उपहार के पैकेट बनाकर कोविड-19 नियमों का पालन करते हुए वितरित कर सकते हैं।
कन्या पूजन का पारंपरिक विधान
दुर्गाष्टमी को कन्या पूजन करके व्रतादि का उद्यापन करना शुभ रहेगा। अष्टमी पर 9 वर्ष की 9 कन्याओं तथा एक बालक को अपने निवास पर आमंत्रित करें। उनके चरण धोएं। उनके मस्तक पर लाल टीका लगाएं, कलाई पर मौली बांधें। लाल पुष्पों की माला पहनाएं, उनका पूजन करके उन्हें हलवा, पूरी, काले चने का प्रसाद दें या घर पर ही इसे खिलाएं। फिर चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें। उन्हें लाल चुनरी या लाल परिधान तथा उचित दक्षिणा एवं उपयोगी उपहार सहित विदा करें। साथ ही कन्या रक्षा का संकल्प भी लें।
श्री दुर्गाष्टमी
देवी का अष्टम स्वरूप महागौरी का है। इसे श्री दुर्गाष्टमी भी कहा जाता है। भगवती का सुंदर, सौम्य, मोहक स्वरूप महागौरी में विद्यमान है। वे सिंह की पीठ पर सवार हैं। मस्तक पर चंद्र का मुकट सुशोभित है। चार भुजाओं में शंख, चक्र,धनुष और बाण हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि माता का यह स्वरूप सौन्दर्य से संबंधित है। इनकी आराधना से सौन्दर्य प्राप्त होता है। जो युवक-युवतियां सौन्दर्य के क्षेत्र में जाने के इच्छुक हैं, वे महागौरी की आराधना करें। फिल्म, ग्लैमर व रंगमंच की दुनिया में अपना करियर बनाने की इच्छा रखने वाले या सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेने जा रहे युवा श्री दुर्गा अष्टमी व्रत के साथ साथ निम्न मंत्र का जाप भी अवश्य करें। जिनके वैवाहिक संबंध सुंदर न होने के कारण नहीं हो रहे या टूट रहे हों, वे अवश्य अष्टम महागौरी की उपासना करें। चौकी पर श्वेत रेशमी वस्त्र बिछाकर माता की प्रतिमा या चित्र रखें। घी का दीपक जलाकर चित्र पर नैवेद्य अर्पित करें। दूध निर्मित प्रसाद चढ़ाएं।
मंत्र- ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै! ओम् महागौरी देव्यै नम:!!
इस मंत्र की एक या 11 माला करें। अपनी मनोकामना अभिव्यक्त करें। अष्टमी पर मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
नौ देवियों के रूप में नौ कन्याएं
शास्त्रों में कहा गया है कि नौ देवियों के रूप में अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का परायण करने से पहले नौ कन्याओं का पूजन करना चाहिए। ये नौ कन्याएं नौ देवियों का ही रूप हैं। हर कन्या एक देवी का रूप है, जिसका पूजन करते हुए उपासक परोक्ष रूप से उस देवी का ही पूजन करता है। इसमें दो साल की बच्ची कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छह साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा का स्वरूप होती है। जरूरी नहीं कि नौ ही कन्याएं पूजन के लिए आएं, अगर ज्यादा कन्याएं आ गई हैं तो उनका भी विधिवत पूजन करें और प्रसाद वितरित करें। अगर कन्याओं की संख्या ज्यादा न हो पाए तो भी चिंता न करें, केवल दो कन्याओं को पूजने से भी व्रत का परायण संपन्न हो सकता है। बस, इस बात का ध्यान रखें कि कन्याओं की उम्र 9 साल से ज्यादा न हो। वैसे भी शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की प्राप्त होती है। दो कन्याओं की पूजा से भोग और मोक्ष साथ-साथ मिलते हैं। तीन कन्याओं के पूजन से धर्म के साथ-साथ अर्थ व काम की भी प्राप्ति होती है। चार कन्याओं की पूजा से राजयोग मिलता है और पांच कन्याओं के पूजन से विद्या धन की प्राप्ति होती है। छह कन्याओं का पूजन छह तरह की सिद्धि देेता है और सात कन्याओं के पूजन से राज्य में राज का सुख मिलता है। आठ कन्याओं के पूजन से संपूर्ण संपदा और नौ कन्याओं के पूजन से धरती के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
मनपसंद गिफ्ट देकर कंजकों को करें खुश
वैसे समय अब काफी मॉडर्न हो गया है। इसलिए आप प्रसाद के साथ कन्याओं को मनपसंद चीजें भी उपहार में दे सकते हैं, क्योंकि गिफ्ट पाकर हर बच्चा खुश होता है। बाजार में आपको ऐसी बहुत सारी चीजें मिल जाएंगी, जिन्हें आप कंजक पूजन में बच्चों को दे सकते हैं। ध्यान रहे कि ऐसा कोई भी गिफ्ट उन्हें न दें, जो उनके काम न आए। ये उपहार उनकी उम्र के हिसाब से हो तो अच्छा है। कंजक पूजन में दिए जाने वाले गिफ्ट को लेकर बाजारों में खूब धूम मची हुई हैं। बस अपनी पसंद की चीजें लाएं और बच्चों को खुश करें।
एक्सेसरीज
लड़कियों को एक्सेसरीज बहुत पसंद आती है। आप उनके लिए नेकलेस, कलरफुल बैंग्ल्स, ब्रैस्लेट, हेयरबैंड, क्लिप्स, हेयरपिन, छोटे ईयररिंग आदि दे सकते हैं लेकिन ये चीजें 6 से 9 साल की लड़कियों को दें तो अच्छा है, क्योंकि वह इन चीजों का इस्तेमाल करना बखूबी जानती हैं।
स्टेशनरी
छोटे बच्चों को स्टेशनरी का सामान गिफ्ट में दिया जाए तो सबसे बढिय़ा है। ये चीजें उनके बहुत काम आती हैं। आप उन्हें पैंसिल बॉक्स, शॉर्पनर, पैन, रबड़ और ड्राइंग कलर दे सकते हैं। अगर बच्चे 4 से 5 साल के हैं तो उन्हें आप कविता-कहानी से जुड़ी किताबें भी दे सकते हैं।
खिलौने
2 से 3 साल के बच्चे खिलौने से खेलना ज्यादा पसंद करते हैं तो आप इन्हें बैलून, टैडी, कलरफुल ब्लॉक गेम्स, अल्फाबेट्स गेम्स आदि दे सकते हैं।
स्कूल आइटम
बच्चों को स्कूल में टिफिन, वाटर बोतल, सिपर आदि की जरूरत तो पड़ती ही है। आप उन्हें उनके मनपसंद कार्टून करैक्टर वाली ये चीजें भी दे सकते हैं।
पिग्गी बैंक
अगर आप बच्चों को देने के लिए कोई चीज सिलैक्ट नहीं कर पा रहे तो उन्हें पिग्गी बैंक दीजिए। इससे उन्हें अपनी पॉकेट मनी सेव करने की अच्छी आदत भी पड़ेगी। इसे आप हर उम्र के बच्चे को दे सकते हैं।
मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद, 458, सैक्टर-10, पंचकूला, फोन: 98156-19620, 0172-2577458
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