CHANDIGARH: हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय अखिल भारतीय औसत से कहीं ज्यादा रही है। सही अर्थों में, वर्ष 2014-2020 तक की अवधि में हरियाणा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद की वार्षिक औसत वृद्धि दर 6.24 प्रतिशत रही, जो 2014-15 में 370534.51 करोड़ रुपये से बढक़र 2020-21 में 528069.75 करोड़ रुपये हो गई। दूसरी ओर, इसी अवधि के दौरान अखिल भारतीय वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वार्षिक औसत वृद्धि दर 4.28 प्रतिशत रही। परिणामस्वरूप, अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में हरियाणा के सकल राज्य घरेलू उत्पाद की हिस्सेदारी निरन्तर बढ़ी है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज बतौर वित्त मंत्री विधान सभा में 2021-22 का बजट पेश करते हुए कहा कि हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण अखिल भारतीय सकल घरेलू उत्पाद में 2020-21 में 7.96 प्रतिशत का संकुचन हुआ है जिसकी तुलना में हरियाणा में 2020-21 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में केवल 5.65 प्रतिशत संकुचन दर्ज किया गया है।
उन्होंने बताया कि हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय अखिल भारतीय औसत से तुलनात्मक रूप से अधिक रही है, जोकि पिछली वृद्धि से उल्लेखनीय रूप से अधिक है। वर्तमान मूल्यों पर अखिल भारतीय प्रति व्यक्ति आय 2014-15 में 86,647 रुपये थी, जो 2019-20 में बढकऱ 1,34,186 रुपये हो गई, जबकि हरियाणा में यह 2014-15 के 1,47,382 रुपये से बढकऱ 2019-20 में 2,47,628 रुपये हो गई। वर्तमान अनुमानों के अनुसार वर्ष 2020-21 में अखिल भारतीय स्तर पर प्रति व्यक्ति आय घटकर 1,27,768 रुपये और हरियाणा के मामले में 2,39,535 रुपये रह गई।
मनोहर लाल ने कहा कि कृषि प्रधान राज्य से औद्योगिक राज्य के रूप में हरियाणा ने संरचनात्मक परिवर्तन की विकास यात्रा ने सेवा क्षेत्र में मजबूत वृद्धि के साथ पश्च-प्रभावी आर्थिक विकास में राज्य की मदद की है। कुल सकल राज्य मूल्य वर्धित में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 2011-12 में 44.9 प्रतिशत से बढक़र 2019-20 में 51.1 प्रतिशत हो गई। वर्ष 2020-21 में प्राथमिक क्षेत्र की हिस्सेदारी बढक़र 19.1 प्रतिशत हो गई, परन्तु द्वितीयक क्षेत्र का हिस्सा घटकर क्रमश: 30 प्रतिशत और तृतीयक क्षेत्रों का हिस्सा 50.9 प्रतिशत रह गया।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में कुल प्राथमिक क्षेत्र में कृषि और संबद्ध गतिविधियों का योगदान 98.96 प्रतिशत रहा और शेष हिस्सेदारी (1.04 प्रतिशत) खनन क्षेत्र की रही, जबकि द्वितीयक क्षेत्र में विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र प्रमुख योगदानकर्ताओं के रूप में उभरकर आए। वर्ष 2019-20 के लिए कुल द्वितीयक क्षेत्र में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 70.99 प्रतिशत, जबकि निर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 25.21 प्रतिशत थी। उन्होंने बताया कि विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी 2011-12 में 61.61 प्रतिशत से बढक़र 2019-20 में 70.99 प्रतिशत हो गई, जिससे साफ पता चलता है कि हरियाणा ने औद्योगिक क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में तृतीयक क्षेत्र में तीव्र वृद्धि मुख्य रूप से दो विशिष्ट समूहों के कारण थी- पहले समूह में रियल एस्टेट, आवासीय और व्यावसायिक सेवाओं का स्वामित्व शामिल है, दूसरे व्यापार, मरम्मत, होटल और रेस्तरां का नम्बर आता है। उन्होंने बताया कि ये दोनों क्षेत्र कुल मिलाकर तृतीयक क्षेत्र का लगभग 64.2 प्रतिशत हैं। विशेष रूप से बढ़ती प्रवृत्ति के साथ रियल एस्टेट, आवासीय और व्यावसायिक सेवाओं के स्वामित्व की हिस्सेदारी सबसे अधिक है, क्योंकि इसका हिस्सा वर्ष 2011-12 में 33.30 प्रतिशत से बढक़र 2019-20 में 34.02 प्रतिशत हो गया, जबकि इसी अवधि के दौरान 26.93 प्रतिशत से 30.14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ दूसरी उच्चतम हिस्सेदारी व्यापार, मरम्मत, होटल और रेस्तरां की रही।