कहा- विपक्ष के नेताओं से बर्बरता और बदसलूकी करने वालों पर होनी चाहिए कड़ी दंडात्मक कार्रवाई
CHANDIGARH: लोकतंत्र में हर किसी को अपनी आवाज़ उठाने, सरकार से सवाल पूछने, कहीं भी आने-जाने और किसी से भी मिलने का अधिकार है। लेकिन लोकतंत्र किसी भी सरकार को ज़बरदस्ती रोकने, तानाशाह बनने और आवाज़ उठाने वालों पर लाठियां बरसाने का अधिकार नहीं देता। ये कहना है हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय लोकदल नेता जयंत चौधरी पर हुए पुलिसिया बल प्रयोग की कड़े शब्दों में निंदा की है। उनका कहना है कि विपक्ष के नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के वंशज होने के नाते जयंत चौधरी सिर्फ अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहे थे। उनपर और उनके कार्यकर्ताओं पर चलाई गई लाठी, लोकतंत्र पर हमले के समान थी।
विपक्ष के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर चलाई गई लाठियां लोकतंत्र पर हमला
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार लगातार लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार कर रही है। इससे पहले हाथरस जा रहे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ भी यूपी पुलिस ने जो बर्ताव किया, वो पूरी तरह अनैतिक, अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी था। शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे नेताओं के साथ दुर्व्यवहार यूपी प्रशासन की तानाशाही और औछी मानसिकता को दिखाती है। जिन पुलिस वालों ने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के साथ बदसलूकी की, उनपर कठोर दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही तमाम विपक्षी नेताओं के ऊपर बल प्रयोग करने के मामलों की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए।
लोकतंत्र में सभी को है सरकार से सवाल पूछने, कहीं भी आने-जाने व किसी से भी मिलने का अधिकार
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेताओं की आवाज़ दबाने के लिए सरकार ने जो तानाशाही रवैया अपनाया है, उसकी लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। लोकतंत्र में सत्ता पक्ष की कुछ ज़िम्मेदारियां हैं तो विपक्ष की भी अहम भूमिका होती है। दोनों के संतुलन से लोकतंत्र बनता है। अगर देश के किसी भी कोने में किसी महिला के पर कोई अत्याचार होता है तो उसको न्याय दिलवाने के लिए आवाज़ उठाना देश के हर नागरिक और विपक्ष की ज़िम्मेदारी बनती है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और जयंत चौधरी अपनी इसी ज़िम्मेदारी को निभा रहे थे। उनकी कोशिश थी कि हाथरस की पीड़िता के परिवार से मिलकर उनके दर्द को बांटा जाए और घटनाक्रम की पूरी जानकारी ली जाए। लेकिन यूपी सरकार ने पहले मीडिया और फिर विपक्ष के वहां जाने पर पाबंदी लगा दी, जो पूरी तरह गैरवाजिब है।