सम्मिलन,मित्रता, एकता, द्वेष भाव त्याग कर गले मिलने का रंगारंग पर्व होली सोमवार 29 मार्च को है परंतु एक बार फिर कोरोना बढऩे के कारण सार्वजनिक रूप से होली खेलने से बचें तो ज्यादा अच्छा है। हालांकि फाल्गुन माह रंगों, उमंगों, उत्साह, मन की चंचलता, कामदेवों के तीरों से भरा होता है। महाशिवरात्रि के एकदम बाद फाल्गुनी वातावरण सुरभ्य, गीत-संगीत, हास-परिहास, हंसी-ठिठोली, हल्की-फुल्की मस्ती, कुछ शरारतें, लटठ्मार आयोजन से ओतप्रेात हो जाता है। यह निष्छल प्रेम, रंगों के चरम स्पर्श की सिहरन को हुदय के भीतर तक आत्मसात करने का त्योहार है।
विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को एक सूत्र में बांधने तथा राष्ट्रीय भावना जागृत करने की दृष्टि से हमारे देश में यह पर्व आरंभ किया गया था, ताकि सभी वर्गों, समुदायों के लोग विविध रंगों और उत्साह में रंगकर सारे गिले-शिकवे भूल जाएं और आने वाले नए वर्ष का स्वागत करें। इस दौरान प्रकृति भी अपने पूर्ण यौवन पर होती है। फाल्गुन का मास नवजीवन का संदेश देता है। यह उत्सव वसंतागमन तथा अन्न समृद्धि का मेघदूत है। जहां गुझिया की मिठास है, वहीं रंगों की बौछारों से तन-मन भी खिल उठते हैं। जहां शुद्ध प्रेम व स्नेह के प्रतीक कृष्ण के रास का अवसर है, वहीं होलिका दहन अच्छाई की विजय का भी परिचायक है। सामूहिक गानों, रासरंग, उन्मुक्त वातावरण का एक राष्ट्रीय, धार्मिक व सांस्कृतिक त्योहार है होली। इस त्योहार पर न चैत्र सी गर्मी है, न पौष की ठिठुरन, न आषाढ़ का भीगापन, न सावन का गीलापन। बस वसंत की विदाई और मदमाता मौसम है। हमारे देश में यह सदभावना का पर्व है, जिसमें वर्षभर का वैमनस्य, विरोध, वर्गीकरण आदि गुलाल के बादलों से छंट जाता है। इस पर्व को शालीनता से मनाया जाना चाहिए न कि अभद्रता से।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार होलिका दहन का मुहूर्त 28 मार्च को शाम 18 बजकर 37 मिनट से रात्रि 20 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। यानी 2 घंटे 20 मिनट तक होलिका दहन का मुहूर्त बना हुआ है। इसी मुहूर्त में होलिका दहन करना अत्यंत शुभ है। इस वर्ष होलिका दहन के समय भद्रा नहीं रहेगी। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त हो जाएंगे। भद्रा दिन में 1 बजकर 33 बजे समाप्त हो जाएगी। पूर्णिमा तिथि रात में 12:40 तक ही व्याप्त रहेगी। शास्त्रानुसार भद्रा रहित पूर्णिमा तिथि में ही होलिका दहन किया जाता है। इस कारण रात में 12:30 बजे से पूर्व होलिका दहन हो जाना चाहिए, क्योंकि रात में 12:30 बजे के बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी।
होलिका दहन के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक।
अमृत काल: सुबह 11 बजकर 4 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4 बजकर 50 मिनट से सुबह 5 बजकर 38 मिनट तक।
सर्वार्थसिद्धि योग: सुबह 6 बजकर 26 मिनट से शाम 5 बजकर 36 मिनट तक। इसके बाद शाम 5 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 6 बजकर 25 मिनट तक।
अमृतसिद्धि योग: सुबह 5 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 6 बजकर 25 मिनट तक।
होलिका दहन का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
होली के आयोजन में अग्नि प्रज्जवलित कर वायुमंडल से संक्रामक जम्र्स दूर करने का प्रयास होता है। कोरोनाकाल में होलिका दहन से वातावरण शुद्ध होगा। इस दहन में वातावरण शुद्धि हेतु हवन सामग्री के अलावा गूलर की लकड़ी, गोबर के उपले, नारियल, अधपके अन्न आदि के अलावा बहुत सी अन्य निरोधात्मक सामग्री का प्रयोग किया जाता है, जिससे आने वाले रोगों के कीटाणु मर जाते हैं। जब लोग 150 डिग्री तापमान वाली होलिका के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हैं तो उनमें रोगोत्पादक जीवाणुओं को समाप्त करने की प्रतिरोधात्मक क्षमता में वृद्धि होती है और वे कई रोगों से बच जाते हैं।ऐसी दूर दृष्टि भारत के हर पर्व में विद्यमान है, जिसे समझने और समझाने की आवश्यकता है। देशभर में एक साथ एक विशिष्ट रात में होने वाले होलिका दहन इस सर्दी और गर्मी की ऋतु-संधि में फूटने वाले मलेरिया, वायरल, फ्लू और वर्तमान स्वाइन फ्लू आदि तथा अनेक संक्रामक रोग-कीटाणुओं के विरुद्ध यह एक धार्मिक सामूहिक अभियान है, जैसे सरकार आज पोलियो अभियान पूरे देश में एक खास दिन चलाती है। इस पर्व को नवानेष्टि यज्ञ भी कहते हैं, क्योंकि खेत से नवीन अन्न लेकर यज्ञ में आहुति देकर फिर नई फसल घर लाने की हमारी पुरातन परंपरा रही है।
प्राचीनकाल में होली
हिरण्यकश्यप जैसे राक्षस के यहां प्रहलाद जैसे भक्तपुत्र का जन्म हुआ। अपने ही पुत्र को पिता ने जलाने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती। इसलिए प्रहलाद को उसकी गोद में बैठाया गया परंतु सद्वृत्ति वाला ईश्वरनिष्ठ बालक अपनी बुआ की गोद से हंसता-खेलता बाहर आ गया और होलिका भस्म हो गई। तभी से प्रतीकात्मक रुप से इस संस्कृति को उदाहरण के तौर पर कायम रखा गया है और उत्सव से एक रात्रि पूर्व होलिका दहन की परंपरा पूरी श्रद्धा व धार्मिक हर्षोल्लास से मनाई जाती है।
भविष्य पुराण में नारद जी युधिष्ठर से फाल्गुन पूर्णिमा के दिन सब लोगों को अभयदान देने की बात करते हैं, ताकि सारी प्रजा उल्लासपूर्वक यह पर्व मनाए।। जैमिनी सूत्र में होलिकाधिकरण प्रकरण इस पर्व की प्राचीनता दर्शाता है। विन्ध्य प्रदेश में 300 ईसवी पूर्व का एक शिलालेख पूर्णिमा की रात्रि मनाए जाने वाले उत्सव का उल्लेख है। वात्सयायन के कामसूत्र में होलाक नाम से इस उत्सव का वर्णन किया गया है। सातवीं शती के रत्नावली नाटिका में महाराजा हर्ष ने होली का जि़क्र किया है। ग्यारवीं शताब्दी में मुस्लिम पर्यटक अल्बरुली ने अपने इतिहास में भारत की होली का विशेष उल्लेख किया है।
विभिन्न समस्याओं से छुटकारे के लिए होलिका दहन पर विशेष उपाय
होली व दीवाली ऐसे विशेष अवसर हैं जब हर प्रकार की साधनाएं, तांत्रिक क्रियाएं तथा छोटे-छोटे उपाय भी सार्थक हो जाते हैं।
- आपके घर, दुकान, प्रतिष्ठान को नजर लग गई हो या प्रतिद्वंद्वी ने कुछ करा दिया हो तो होलिका दहन की सायं मुख्य द्वार की दहलीज पर लाल गुलाल छिड़कें, उस पर आटे का दोमुखी दिया थोड़ा सा सरसों का तेल डाल कर जलाएं। समस्याओं के निराकरण की प्रार्थना करें और दीपक ठंडा होने पर होलिका में डाल आएं। लाभ होगा।
- कमल गटटे् की माला से ओम् महालक्ष्म्यै नम: का जाप करें। यही माला धारण करके होलिका के निकट देसी घी का दीपक जला कर आर्थिक संपन्नता की प्रार्थना करें, शीघ्र लाभ होता है।
- यदि कोई बहुत बीमार है या दवा नहीं लग रही तो एक मु_ी पीली सरसों, एक लौंग, काले तिल, एक छोटा टुकड़ा फिटकरी, एक सूखा नारियल लेकर उस पर 7 बार उल्टा घुमा के होलिका में दहन कर दें।
- यदि कोई आत्मीय आपका कहना नहीं मानता या आपका शत्रु ही बन गया हो तो उसका नाम लेते हुए होलिका की रात लाल चंदन की माला से इस मंत्र का जाप करें- ओम् कामदेवाय विद्महे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नो अनंग प्रचोदयात!
- व्यापार वृद्धि तथा नजर उतारने के लिए दुकान, आफिस या कार्यालय में सायंकाल एक सफेद कपड़े पर गेहूं और सरसों की 7-7 ढेरियां रखें। इन पर एक-एक काली मिर्च रखें। 7 नीम्बू के 2-2 टुकड़े करके इन ढेरियों पर रखें। निम्न मंत्र का 7 बार पाठ करें- ओम् कपालिनी स्वाहा! पाठ समाप्ति पर इस सारी सामग्री की पोटली बनाकर लाल मौली से गांठ लगाकर बांध लें और दूकान या घर में एक सिरे से आरंभ करके चारों कोनों पर घुमाकर बाहर ले आएं। इस पोटली को होलिका में डाल दें।
- दूकान, आफिस, फैक्ट्री या मकान में अक्सर होने वाली या अचानक चोरी या नुक्सान के बचाव हेतु सूखा नारियल और तांबे का पैसा घर या दूकान में सात बार चारों कोनों में घुमा कर होलिका में डालें।
- धनवृद्धि हेतु होलिका में यह मंत्र ‘ओम् श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्मय नम:Ó 108 बार पढ़ते जाएं और शक्कर की आहुति देते जाएं।
- कार्यसिद्धि के लिए खोपे के दो आधे-आधे कटोरे की शक्ल में टुकड़े कर लें। इसमें कपूर, काले तिल, बर्फी, सिंदूर, हरी इलायची, लौंग रखकर इस मंत्र की एक माला करें- ओम् हृीं क्लीं फट् स्वाहा! सामग्री को काले कपड़े में बांधकर होलिका में 7 परिक्रमा करके अर्पित कर दें।
- दांपत्य जीवन में मिठास लाने के लिए रुई की 108 बत्त्यिां देसी घी में भिगोकर होलिका में संबंध सुधार की अनुनय सहित एक-एक करके परिक्रमा करते हुए डालें। यह उपाय माता-पिता अपने बच्चों, वर-वधु की फोटो पर घुमा कर भी कर सकते हैं।
- यदि आपको लगता है कि किसी ने आपके ऊपर तांत्रिक अभिचार किया हुआ है, जिसके कारण आपकी प्रगति ठप्प हो गई है तो देसी घी में भीगे दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दूसरे दिन वहां की राख लाकर शरीर पर मलें और नहा लें। तांत्रिक अभिचार दूर हो जाएगा।
- यदि आपको लगता है कि बच्चे को किसी की नजर लग गई है तो देसी घी में भीगे पांच लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दूसरे दिन वहां की राख लाकर ताबीज में भरकर बच्चे को पहनाएं।
- यदि आपके घर को बुरी नजर लग गई है तो उसे उतारने का यह स्वर्णिम अवसर है। देसी घी में भीगे दो लौंग, एक बताशा, मिश्री, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दूसरे दिन वहां की राख लाकर लाल कपड़े में बांधकर घर में रखें।
- यदि कोई आपकी धन वापसी में बेईमानी कर रहा है और आप मुकदमे में नहीं पडऩा चाहते तो होलिका दहन स्थल पर धन न लौटाने वाले का नाम जमीन पर अनार की लकड़ी से त्रिकोण के अन्दर लिखें और उस पर हरा गुलाल छिड़क दें। होलिका माता से धन वापसी की प्रार्थना करें। अगले दिन वहां से राख उठाकर जल में उस व्यक्ति का नाम लेते हुए प्रवाहित कर दें।
- यदि सरकार या व्यक्ति विशेष से बाधा है तो होलिका में उल्टे चक्कर लगाते हुए आक की जड़ के 7 टुकड़े विरोधी का नाम लेते हुए डालें।
- यदि व्यापार में लगातार घाटा या आर्थिक हानि हो रही है तो होलिका दहन की सायं दुकान या मकान के मुख्य द्वार की चौखट पर गुलाल छिड़कें, उस पर आटे का बना चार मुखी दीपक जलाएं। उस दीपक को जलती होलिका में डाल आएं।
- गंभीर रोग यदि मेडीकल उपचार से भी ठीक नहीं हो रहा तो देसी घी में भीगे दो लौंग, एक बताशा, मिश्री, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दाएं हाथ में 4 गोमती चक्र लेकर रोग मुक्ति की प्रार्थना करें। गोमती चक्र रोगी के पलंग के चारों पायों में चांदी की तार से बांध दें या 11 गोमती चक्र पीडि़त के ऊपर से 21 बार विपरीत दिशा में घुमाएं और होलिका में फेंक दें। या दक्षिण दिशा में फेंकें। या दो लौंग, काले तिल, सरसों, नारियल 21 बार उसार के अग्नि में डालें।
- यदि पति या पत्नी किसी के चंगुल मे है तो होली की 7 परिक्रमा करते हुए औरत या उस पुरुष का नाम लें। 7 गोमती चक्र डालते जाएं।
- यदि राज्य प्रकोप हो तो तेजफल और गेहूं की एक मु_ी होलिका में डालें।
- किसी प्रकार का विवाद, दोस्तों से मनमुटाव हो तो एक मु_ी चावल और 7 फूटी कौडिय़ां महोलिका में भस्मित करें।
- किसी प्रकार का भाइयों से मनमुटाव या भूमि विवाद हो तो 11 नीम की पत्तियां और लाल चंदन, होलिका दहन में अर्पित करें।
- गले या वाणी या त्वचा संबंधी रोग के लिए हरी मूंग की एक मु_ी डालें।
- पिता या किसी बुजुर्ग से विवाद समाप्ति हेतु हल्दी की 7 गांठें और एक मुटठी चने की दाल डालें।
- खांसी, अस्थमा से पीडि़त व्यक्ति के ऊपर से सात बार उल्टा घुमाकर 48 बादाम होलिका में समर्पित करें।
- पु़त्र या पु़त्री से परेशानी हो या वह कहने में न हो तो सूखे प्याज लहसुन और हरा नींबू डालें।
- धन न टिकता हो तो होली के दिन 5 कौडिय़ां लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी, कैश बॉक्स में रखें।
ये अनुभूत पारंपरिक तथा आंचलिक उपाय हैं, जिन्हें सदियों से हमारे देश में प्रयोग कर लाभ उठाया जा रहा है। आप भी आजमा सकते हैं।
राशि के अनुसार ऐसे करें होलिका की पूजा
मेष : होलिका दहन खैर या खादिर की लकड़ी से करें। ऐसा करन से मानसिक परेशानियों से निजात मिलेगी। साथ में गुड़ की आहुति भी दें।
वृष : गूलर की लकड़ी से होलिका दहन करें और चीनी से आहुति दें। बाधाएं दूर होंगी।
मिथुन : अपामार्ग और गेंहू की बाली से हालिका दहन करें और कपूर से आहुति दें।
कर्क : पलाश की लकड़ी से होलिका दहन करें और लोहबान से आहुति दें। नौकरी और करियर से जुड़ा शुभ सामाचार मिलेगा।
सिंह : मदार की लकड़ी से होलिका दहन करें और गुड़ की आहुति देकर पितरों को जरूर याद करें। व्यापार से जुड़ी परेशानियों दूर होंगी।
कन्या : अपामार्ग की लकड़ी से होलिका दहन करें और कपूर की आहुति दें। इसके साथ ही सभी देवी-देवताओं का स्मरण भी करें। कार्यक्षेत्र में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।
तुला : होलिका दहन में गूलर की लकड़ी जलाएं और कपूर की आहुति दें। जीवन की परेशानियों से निजात मिलेगी।
वृश्चिक : खैर की लकड़ी से हालिका दहन करें और गुड़ की आहुति दें। लाभ मिलेगा।
धनु : पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें और जौ व चना की आहुति दें। साथ में भगवान विष्णु की पूजा भी करें।
मकर : होलिका दहन शमी की लकड़ी से करें और तिल की आहुति दें। आपके जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होंगी।
कुंभ : शमी की लकड़ी से होलिका दहन करें और तिल की आहुति दें।
मीन : पीपल की लकड़ी से होलिका दहन करें और जौ व चना की आहुति दें। इसके बाद पितरों का आभार व्यक्त करें। आपकी सभी स्वास्थ्य से संबंधित परेशानी दूर हो जाएगी।
- मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषाचार्य, कोठी नंबर-458, सैक्टर-10, पंचकूला, 134109, हरियाणा। फोन: 098156-19620, 0172-2702790