Holi: देश के अलग-अलग हिस्सों में कुछ इस अंदाज में मनाया जाता है रंगों का त्योहार

17 MARCH: उमंग, उल्लास और मिठास का त्योहार है होली। होली की खुमारी पूरे देश में छाई हुई है। खास बात ये है कि विविधता वाले देश भारत के हर कोने में होली का उत्सव मनाया जाता है। लेकिन कोई फूलों से होली खेलता है, तो कोई फागुन के गीत गाकर, कोई तो डीजे पर डांसकर रंगों के त्यौहार में खो जाता है। कोई मटकी फोड़ कर मनाता है, तो कोई भांग की मस्ती में झूमकर। कोई रंग बिरंगे लाल-गुलाबी रंगों से इस पावन त्यौहार को मनाता है। सभी के तौर तरीके भले ही अलग हो, लेकिन मकसद सिर्फ एक ही होता है, कि कैसे होली के बहाने अपनों को और करीब लाया जाए और सबके जीवन को खुशियों से हरा भरा बनाया जाए। तो देश के सभी हिस्सों में कैसे मनाया जाता है रंगों का त्यौहार, आइए जानते हैं…

लट्ठमार होली

भारत में होली का जिक्र हो और बरसाने की लट्ठमार होली का जिक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। राधा रानी की नगरी बरसाने में लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है, जिसके लिए लोग विदेशों से भी बरसाने पहुंचते हैं। होली से एक हफ्ते पहले यहां त्यौहार की मस्ती शुरू हो जाती है। कहा जाता है। कृष्ण अपने सखाओं के साथ राधा और उनकी सखियों से होली खेलने पहुंच जाते थे। राधा और उनकी सखियां ग्वाल वालों पर डंडे बरसाया करती थीं। मार से बचने के लिए ग्वाल भी लाठी या ढालों का प्रयोग करते थे, जो बाद में होली की परंपरा बन गई। बरसाने के साथ साथ मथुरा और वृंदावन में भी सांस्कृतिक तौर तरीके से होली मनाई जाती है। कहा जाता है कि यहां 40 दिन पहले से ही होली की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। मथुरा में होली द्वार से लेकर द्वारकाधीश मंदिर तक होली की धूम रहती है।

धुलंडी होली

हरियाणा की होली में भी बरसाने की लट्ठमार होली की झलक होती है। अंतर सिर्फ इतना है कि यहां देवर, भाभी के बीच होली काफी मशहूर है। भाभी देवर को दुपट्टे से बनाए गए कोड़े से पीटती हैं। होली में देवर−भाभी के अनूठे व प्रेम भरे रिश्तों के रंग देखने को मिलते हैं।ल होली को धुलंडी कहा जाता है।

इंदौर की होली

इंदौर में होली का उत्सव पांच दिन होता है और इस उत्सव का समापन रंगपंचमी के रूप में होता है। इंदौर में होली का उत्साह लोगों में देखते ही बनता है। यहां पर लोग होली खेलने के लिए सड़कों पर उतर आते हैं और जमकर मस्ती करते हैं।

भगोरिया होली

मध्यप्रदेश में भील होली को भगौरिया कहा जाता है। इस दिन सभी मांदल की थाप पर नृत्य करते हैं। नृत्य करते−करते जब युवक किसी युवती के मुंह पर गुलाल लगा देता है और अगर युवती भी गुलाल लगा देती है, तो मान लिया जाता है कि दोनों विवाह के लिए सहमत हैं।

बंगाल की होली

बंगाल की होली का रंग बेहद अलग होता है। होली के दिन को यहां डोल पूर्णिमा कहा जाता है और होली के दिन राधा और कृष्ण की प्रतिमाओं को डोली में बैठाकर झांकी पूरे शहर में निकाली जाती है।

उड़ीसा में डोल पूर्णिमा

उड़ीसा में भी होली को डोल पूर्णिमा कहकर ही बुलाया जाता है और वहां पर होली के दिन भगवान जगन्नाथ जी को डोली में बिठाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है।

शांति निकेतन की सांस्कृतिक होली

मथुरा से निकलकर अगर हम पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन चले, तो होली का त्यौहार बसंत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी। बताया जाता है कि इस उत्सव में युवा पारम्परिक परिधानों में सज-संवर कर रविन्द्र संगीत गाकर वसंत का स्वागत करते हैं और रंगों के साथ-साथ फूलों से होली खेलते हैं।

होला मोहल्ला की होली

अब चलते है पंजाब की तरफ, जहां आनंदपुर साहिब की होला मोहल्ला काफी लोकप्रिय है। होली में अमूमन शक्ति प्रदर्शन के रंग देखने को मिलती है। पंजाब में दौड़ते हुए घोड़ों पर सवार हथियारबंद सिख योद्धा देखने को मिलते है। इसकी शुरुआत सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी ने की थी। इस मौके पर यहां मार्शल आर्ट, मोक स्वार्ड फाइट, एक्रोबेटिक मिलिट्री एक्सरसाइज एंड टर्बन ट्राइंग परफॉर्म किया जाता है।

राजस्थान की रॉयल होली

होला मोहल्ला से निकलकर अब हम राजस्थान की रॉयल होली के बारे में जानते हैं। जहां होली की पूर्व संध्या पर उदयपुर में राजघराने की ओर से जलसे का आयोजन किया जाता है। राजमहल से मानेक चौक तक उत्सव-यात्रा निकाली जाती है। और पारम्परिक तरीके से होलिका दहन किया जाता है। बाड़मेर में पत्थर मार होली खेली जाती है, तो वहीं अजमेर की कोड़ा होली काफी प्रसिद्ध है।

जयपुर में हाथियों संग होली

वैसे राजस्थान की पिंक सिटी, जयपुर शहर में भी होली का अलग रंग देखने को मिलता है, यहां हाथियों संग होली खेली जाती है। होली के मौके पर यहां रामबाघ पोलो ग्राउंड में हाथियों की ब्यूटी और रस्साकशी जैसी प्रतियोगिता की जाती है, साथ ही उनसे डांस भी कराया जाता, जिसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक जयपुर आते हैं।

दिल्ली की बिंदास होली

राजधानी दिल्ली में बिंदास तरीके रंगों के त्यौहार को मनाया जाता है। यहां रंगों के साथ-साथ भांग भी होली की मस्ती को दोगुना कर देती है। जगह जगह लोग डांस और पार्टीज का आयोजन करते हैं।

हम्पी में विदेशियों संग होली

दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक का रुख करते हैं, जहां वैसे तो होली के उत्सव का अलग नजारा होता है। हम्पी की बात ही कुछ और है जहां पूरा शहर ही होली के दिन उत्सव में शामिल हो जाता है ये उत्सव विजयनगर राज्य के पुराने साम्राज्य की झलक दिखाता है जिसमें पूरा शहर ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न में शरीक होता है। और रंगों का त्यौहार मनाता है।

इसके अलावा कर्नाटक में होली के त्योहार को कामना हब्बा के रूप में मनाया जाता है। वहां पर लोगों की मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने कामदेव को अपने तीसरे नेत्र से जला दिया था। इसलिए, इस दिन लोग कूड़ा−करकट फटे वस्त्र, एक खुली जगह एकत्रित करके उन्हें अग्नि को समर्पित करते हैं।

मणिपुर की होली

मणिपुर में होली का उत्सव छह दिन का होता है। इस उत्सव की शुरुआत एक घास की कुटिया जलाने से होती है। इसके बाद शहरों में छोटे−छोटे बच्चे घर−घर जा कर कुछ पैसे या उपहार लेते हैं। वैसे मणिपुर में लोग होली के दौरान एक स्थानीय नृत्य तबल चांगबल का भी भरपूर आनंद उठाते हैं। लोक नृत्य और लोक गीतों का यही सिलसिला छह दिनों तक यूं ही चलता है।

गोलगधेड़ों होली

गुजरात में भील जाति के लोग बेहद अलग अंदाज में होली मनाते है। वह होली को गोलगधेड़ों के नाम से मनाते हैं। इसमें किसी बांस या पेड़ पर नारियल और गुड़ बांध दिया जाता है उसके चारों और युवतियां घेरा बनाकर नाचती हैं। युवक को इस घेरे को तोड़कर गुड़, नारियल प्राप्त करना होता है। इस प्रक्रिया में युवतियां उस पर जबरदस्त प्रहार करती हैं। यदि वह इसमें कामयाब हो जाता है तो जिस युवती पर वह गुलाल लगाता है वह उससे विवाह करने के लिए बाध्य हो जाती है।

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