लोक निर्माण मंत्री ने कहा- यह पुल सरहदी क्षेत्रों में विकास यकीनी बनाने के साथ-साथ सुरक्षा को मज़बूत करेंगे
CHANDIGARH: पंजाब के जि़ला गुरदासपुर और फाजिल्का में सुरक्षा पक्ष से अहम और लोगों के लिए बहुत महत्तवपूर्ण पुल आज उद्घाटन के उपरांत राष्ट्र को समर्पित कर दिए गए। पुलों के साझे उद्घाटन के उपरांत पंजाब के लोक निर्माण मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा कि आज का दिन पंजाब के लिए ऐतिहासिक हो गया है क्योंकि ऑनलाइन माध्यम के द्वारा हुए उद्घाटनी समारोह, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने की, में राज्य के चार बहुत महत्तवपूर्ण पुलों का उद्घाटन किया गया।
सुरक्षा के नज़रिए से अहम और सरहदी जिलों के स्थानीय वासियों की ज़रूरतों की पूर्ति करते हुये इन पुलों में से तीन पुल जि़ला गुरदासपुर और एक पुल जि़ला फाजिल्का में बनाया गया है।
विजय इंदर सिंगला ने बताया कि इन चार पुलों के निर्माण से न सिफऱ् सरहदी क्षेत्रों का आर्थिक और सामाजिक विकास होगा, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा भी मज़बूत होगी।
उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार राज्य में समूचे सामाजिक -आर्थिक सुधारों के लिए वचनबद्ध है। पंजाब सरकार की तरफ से बहुत सी पहलकदमिया की गई हैं, जिसमें राज्य के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को जोडऩे के लिए राजमार्गों का विकास शामिल है।
पुलों सम्बन्धी और विवरण साझे करते हुये सिंगला ने बताया कि जि़ला गुरदासपुर में घोनेवाला -रसूलपुर सडक़ पर कासोवाल में धर्मकोट पत्तन नज़दीक रावी दरिया पर बनाया गया 483.95 मीटर लम्बा मल्टी सैल्ल बॉक्स ब्रिज (सबमरसीबल) सुरक्षा बलों के लिए ज़रूरी संपर्क प्रदान करने के साथ-साथ उनके कामकाज में सहायक होगा। इसके अलावा सरहद के साथ लगते कासोवाल एन्क्लेव के बहुत से गाँव समाजिक और आर्थिक तौर पर मुख्य शहरों के साथ जुड़ेंगे।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि कासोवाल एन्क्लेव बरसातों के दिनों को छोड़ कर बाकी दिनों में ही सीमित सामथ्र्य वाले पैनटून पुल के द्वारा राज्य के बाकी हिस्के के साथ जुड़ा रहता है, जबकि बरसातों में हर साल यह पुल हटाना पड़ता है। इस कारण किसान दरिया पार हज़ारों एकड़ उपजाऊ ज़मीन पर बरसातों के दौरान काश्त नहीं कर सकते थे।
इसके साथ ही मॉनसून के दौरान फ़ौज के लिए सैन्य टुकड़ी भेजनी और संचार बनाई रखना चुनौती बना रहता था। यह पुल भारत -पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सरहद के साथ लगते इस एन्क्लेव को भारत के बाकी हिस्से से हमेशा के लिए जोड़ देगा।
इसी तरह जि़ला गुरदासपुर में डोगरा मंदिर -पड़ोल -जनियाल -बमियाल सडक़ पर 42.96 मीटर लंबे बाज़ू पुल का विभागीय तौर पर निर्माण किया गया है, जो दो मार्गीय मल्टी सैल्ल बॉक्स ब्रिज है। यह अंतरराष्ट्रीय सरहद पर तैनात फ़ौज को संपर्क सुविधा प्रदान करेगा। इस मार्ग पर और भी कई गाँव आते हैं, जिनको इस मार्ग के साथ सडक़ीय संपर्क मुहैया होता है। यह सडक़ जम्मू -कश्मीर (यू.टी.) के राष्ट्रीय राजमार्ग-ए को भी पंजाब के साथ जोड़ती है और आगे अंतरराष्ट्रीय सीमा की तरफ जाती है।
उन्होंने कहा कि यह सडक़ मॉनसून के दौरान ज़्यादा पानी भरने के कारण यातायात के योग्य नहीं रहती, जिस कारण स्थानीय जनसंख्या को नित्य के कार-व्यवहार में रुकावट आती है और हथियारबंद बलों की कार्य कुशलता भी प्रभावित होती है। इस पुल का काम मई 2019 में शुरू किया गया था। हालाँकि भारी यातायात और बारिश के कारण काम को निर्विघ्न चलाना चुनौती थी परन्तु लोक निर्माण विभाग की सख़्त मेहनत और टीम के दृढ़ यत्नों के कारण 42.96 मीटर लम्बा यह पुल पाँच महीनों के रिकार्ड समय में पूरा कर लिया गया।
लोक निर्माण मंत्री ने कहा कि जि़ला गुरदासपुर में पड़ते तीसरे ‘शिंगारवां पुल ’ जिसकी लंबाई 30.20 मीटर है, परमानंद -तारागढ़ -कथलौर -एनजेएस -पड़ोल मार्ग पर बनाया गया है। विभागीय तौर पर बनाया गया यह पुल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात फ़ौज और इस मार्ग पर पड़ते कई गाँवों को संपर्क सुविधा मुहैया करेगा। यह सडक़ भी जम्मू -कश्मीर (यू.टी.) को पंजाब के साथ जोड़ती है और पठानकोट से जम्मू तक एन.एच. -ए का वैकल्पिक रास्ता भी प्रदान करती है।
उन्होंने कहा कि साथ ही पानी के तेज़ बहाव के कारण परमानंद -तारागढ़ -कथलौर-एन.जे.एस. -पड़ोल सडक़ साल के ज़्यादातर समय के दौरान यातायात के योग्य नहीं रहती, जिससे स्थानीय लोगों के रोज़मर्रा के कामकाज में रुकावट आती है और सुरक्षा बलों की कार्य कुशलता भी प्रभावित होती है। इस सडक़ की महत्ता और रणनीतक दृष्टिकोण के साथ-साथ बड़ी आबादी की निर्भरता को ध्यान में रखते हुए पुल के निर्माण की ज़रूरत महसूस की गई और इस पुल का निर्माण नौ महीनों के रिकार्ड समय में पूरा कर लिया गया।
जि़ला फाजिल्का में बनाए गए पुल संबंधी बताते हुये कहा कि 40 मीटर लम्बा स्टील के ढांचे वाला यह पुल साबुआना -मौज़म में बनाया गया है और यह पुल सरहदी क्षेत्रों में स्थित गाँवों को यातायात संपर्क की सुविधा देगा और यह फाजिल्का से मौजूदा पीडब्लयूडी सडक़ को ख़ानपुर से डालने से गाँव के साथ जोड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह नया पुल 1972 में बने सीमित भार सामथ्र्य वाले पुराने एक्स्ट्रा वाइड बैले ब्रिज (ई.डबलयू.बी.बी.) की जगह बनाया गया है। यह पुल कृषि को बढ़ावा देकर सरहद नज़दीक बसती आबादी के एक बड़े हिस्से को लाभ पहुंचाएगा और इस क्षेत्र के सामाजिक -आर्थिक विकास में सुधार लायेगा।