CHANDIGARH: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और यूनिसेफ की पहल पर पूरे भारत से एनीमिया की व्यापकता को कम करने के लिए शुरू किए गए एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम के तहत हरियाणा को देश के 29 राज्यों की सूची में पहला स्थान मिला है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा इस संबंध में हाल ही में जारी सूची के स्कोर कार्ड में हरियाणा को 46.7 अंक के साथ एनीमिया मुक्त भारत सूचकांक में शीर्ष स्थान पर रखा गया है।
यह जानकारी आज यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत स्टेट हैल्थ सोसायटी की 8वीं गवर्निंग बॉडी की बैठक में दी गई। बैठक की अध्यक्षता हरियाणा के मुख्य सचिव, विजय वर्धन ने की और स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव आरोड़ा द्वारा उन्हें एनएचएम की उपलब्धियों व नई तैयार की गई नीतियों से अवगत कराया गया।
हरियाणा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक श्री प्रभजोत सिंह ने एक पीपीटी प्रस्तुति में बताया कि एनएचएम के तहत प्रदेश में 34 राष्ट्रीय कार्यक्रम चल रहे हैं।
बैठक में एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत प्रदेश में चलाए जा रहे एनीमिया मुक्त हरियाणा कार्यक्रम की अनूठी विशेषताओं के बारे मुख्य सचिव को अवगत कराया गया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अप्रैल 2018 में ’अटल अभियान‘-एश्योरिंग एनीमिया लिमिट-अभियान शुरू किया था। इसके तहत 6.6.6 रणनीति को लागू करने के लिए एनीमिया मुक्त भारत की तर्ज पर एनीमिया को कम करने के लिए योजना की घोषणा की थी।
इसके अलावा, मुख्य सचिव को अवगत कराया गया कि वर्ष 2019-20 में पहली बार राज्य में 93 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य प्राप्त किया। राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा 12 वैक्सीन प्रीवेंटबल डिजीज (वीपीडी) के खिलाफ टीकाकरण की सेवाएं प्रदान की जा रही है और ये टीके शिशु मृत्यु दर और पांच वर्ष से कम आयु वर्ग में मृत्यु दर में लगातार कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
मातृ मृत्यु दर में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, और वर्तमान में राज्य मातृ मृत्यु दर के मामले में देश में 11 वें स्थान पर है। उन्हें यह भी बताया गया कि राज्य में संस्थागत प्रसूति 93.7 प्रतिशत तक बढ़ गई है और यह प्रदेश में 24 घंटे उपलब्ध प्रसूति सुविधाओं के कारण संभव हो सका है।
इसके अलावा, पांच मेडिकल कॉलेजों सहित 48 सरकारी अस्पतालों का चयन ’लक्ष्य’ – एक लेबर रूम गुणवता सुधार पहल के तहत किया गया है। इसके अतिरिक्त, केंद्र द्वारा ई-स्वास्थ्य सेवाओं को सभी राज्यों में आसानी से उपलब्ध कराने के लिए शुरू किए गए ई-संजीवनी ऐप, को राज्य भर में चालू किया गया है और इसके माध्यम से ओपीडी का संचालन किया जा रहा है।
एनएचएम से जुड़े चिकित्सा अधिकारियों के वेतनमान में समानता सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे विभिन्न उपायों के बारे मुख्य सचिव को जानकारी देते हुए बताया गया कि एनएचएम के विभिन्न कार्यक्रमों के तहत चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों के वेतन के अंतर को दूर करने के लिए यह प्रस्तावित है कि एनएचएम के किसी भी कार्यक्रम के तहत चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों का प्रारंभिक वेतन निर्धारित किया जाना चाहिए।
एनएचएम मिशन के निदेशक ने मुख्य सचिव को बताया कि एनएचएम आशा वर्कर्स को प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन देने के अलावा उन्हें सिम और मोबाइल डेटा के साथ स्मार्ट फोन और वर्दी भत्ता देने की योजना बना रहा है। इसके अतिरिक्त, एनएचएम आशा वर्कर्स को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना के तहत सामाजिक सुरक्षा का लाभ प्रदान करने विचार कर रहा है।
इसके अलावा कोविड-19 गतिविधियों के लिए आशा वर्कर्स को छ महिने का प्रोत्साहन देने का भी सुझाव दिया है। एनएचएम ने शैक्षिक योग्यता, आयु आदि के आधार पर आशा वर्कर्स के चयन मानदंड की रूपरेखा भी तैयार की है।
मुख्य सचिव को बताया गया कि राष्ट्रीय एम्बुलेंस सेवा के तहत वर्ष 2009 में रेफरल ट्रांसपोर्ट योजना शुरू की गई। जिसके तहत 408 एम्बुलेंस संचालित हैं, जिनमें से 24 एडवांस लाइफ स्पोर्ट (एएलएस) एंबुलेंस, 297 बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) एंबुलेंस, 62 पेशेंट ट्रांस्पोट (पीटीए) एम्बुलेंस, 20 किलकारी न्यू बोर्न एम्बुलेंस ध् घर वापस और 5 नवजात एम्बुलेंस हैं।
बैठक में चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक निगम, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल, वित्त एवं योजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टी.वी.एन.एन. प्रसाद, स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव महावीर सिंह, विकास और पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, डीजीएचएस डॉ सूरजभान कंबोज, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक और स्वास्थ्य अधिकारियों के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।