15 दिनों में घर वापस आए 324 बच्चे व 301 अन्य लापता लोग
CHANDIGARH, 18 APRIL: हरियाणा पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ’’ऑपरेशन मुस्कान’’ के तहत केवल 15 दिनों में 625 परिवारों की खोई खुशियां वापस लौटाने का सराहनीय कार्य किया गया है। पुलिस ने इन परिवारों के गुम हुए 324 बच्चों व 301 अन्य लापता लोगों को उन्हें सौंप कर उनके चेहरे पर फिर से मुस्कान लाने का काम किया है। ये सभी किसी न किसी वजह से अपने परिजनों से बिछड़ गए थे।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस महानिदेशक हरियाणा के निर्देश पर चलाई जा रही विशेष मुहिम के तहत परिवार से बिछड़े या घर से लापता हुए बच्चों का पता लगाकर उन्हें उनके घरवालों को सौंपने में भी पुलिस अहम भूमिका निभा रही है। लापता बच्चों में से 284 को जिला पुलिस टीमों द्वारा खोजा गया तथा 40 गुमशुदा बच्चों को राज्य अपराध शाखा की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा परिजनों के सुपुर्द किया गया। इसी प्रकार, 262 गुमशुदा वयस्कों को जिला पुलिस टीमों तथा 39 लोगों को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा परिवारों से मिलवाने का काम किया है। पहली से 30 अप्रैल तक चलने वाले इस अभियान का मकसद परिवार से बिछड़े हुए बच्चों व अन्य लोगों को खोज कर परिजनों तक पहुंचाना है।
183 भिखारियों और 263 बंधुआ मजदूरों को भी किया रेस्क्यू
इस दौरान, पुलिस टीमों द्वारा 183 भिखारियों और 263 बंधुआ मजदूरों का पता लगाकर उन्हें रेस्क्यू करने का काम किया है। ये सभी दुकानों, ढाबों व अन्य स्थानों पर अपनी आजीविका के लिए छोटे-मोटे काम करते हुए पाए गए थे। अभियान के तहत बच्चों को ऐसे कार्यों से मुक्त कराने के लिए पुलिस उप अधीक्षकों के नेतृत्व में जिलों में विशेष टीमें भी बनाई गई हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, अपराध के निर्देश पर कार्य करते हुए पुलिस टीमों द्वारा 141 बाल गृहों का भी दौरा किया गया ताकि वहां रह रहे गुमशुदा बच्चों का डेटा तैयार कर परिवार से मिलवाया जा सके। पुलिस लगातार प्रदेश में लापता बच्चों व वयस्कों को खोजने के लिए प्रयासरत है।
प्रत्येक बच्चे की जानकारी कर रहे राष्ट्रीय पोर्टल पर साँझा
प्रवक्ता ने बताया कि इस ऑपरेशन में ढूंढ़े गए प्रत्येक बच्चे का फोटो और अन्य जानकारी राष्ट्रीय पोर्टल ट्रैक दि मिसिंग चाइल्ड और खोया-पाया पर सांझा की जाएगी। देशभर में इस प्रकार का पहला अभियान जनवरी 2015 में पूरे देश में चलाया गया था, जिसमें गुम हुए करीब 3000 बच्चों को ढूंढा गया था। इस अभियान को सुचारू रूप से चलाने के लिए दो भागों में बांटा गया है। पहला- उन सभी बच्चों का पता लगाया जाएगा जो गुमशुदा हैं या अपने माता-पिता से बिछुड़ कर कहीं न कहीं लावारिसों की तरह शरण लिए हुए हैं। दूसरा – इस प्रकार से ढूंढे गए बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाएगा जो बच्चे शैल्टर होम या चिल्ड्रन होम्स में रह रहे हैं। इसके अतिरिक्त, कई गुमशुदा बच्चे बाल श्रमिकों की तरह काम कर रहे हैं और कई बच्चे रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड्स पर भीख मांग रहे हैं। जिला पुलिस और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के द्वारा ऐसे बच्चों को रेस्क्यू कर इनके पुनर्वास पर भी कार्य किया जा रहा है।
ऑपरेशन मुस्कान में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने बचाई थी 10 नाबालिग लड़कियां
पुलिस ऑपरेशन मुस्कान के तहत बंधुआ मजदूरी व कम उम्र में काम कर रहे बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए विशेष तौर पर प्रयासरत है। स्टेट क्राइम ब्रांच के अंतर्गत कार्य कर रही एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने मुखबिर की सूचना पर फरीदाबाद जिले के सारन थाना क्षेत्र स्थित एक कंपनी में छापेमारी कर एक दर्जन नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया। इनमें 10 लड़कियां भी शामिल हैं। स्टेट क्राइम ब्रांच की शिकायत पर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ बालश्रम कानून के तहत केस दर्ज कराया गया है। साथ ही बच्चों को रेस्क्यू कर उनकी काउंसलिंग कराई जा रही है। वहीं स्थानीय पुलिस मामले की जांच कर रही है। उक्त छापेमारी में जिला समन्वयक चाइल्ड हेल्पलाइन से भी सहायता ली गई। इन सभी की उम्र 15 से 17 साल तक थी।
6 माह की बच्ची को छोड़ गए थे पंचकूला में, ऑपरेशन मुस्कान में एएचटीयू ने ढूंढा परिवार
ऑपरेशन मुस्कान में एएचटीयू की अन्य यूनिट ने ऐसे ही एक केस में 4 वर्षीय नाबालिग लडक़ी, जो पिछले 4 साल से शिशु गृह, पंचकुला में रह रही थी, के परिजनों को अथक प्रयासों से ढूंढा गया। उक्त नाबालिग लडक़ी को जब रेस्क्यू किया गया था तब उसकी उम्र मात्र 6 महीने ही थी। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी द्वारा एएचटीयू इंचार्ज जगजीत सिंह से उक्त केस बाबत संपर्क किया गया। इंचार्ज जगजीत सिंह ने 3 महीनों के अथक प्रयासों से बच्ची के माता-पिता को बिहार के पूर्णिया जिला के थारविजगंज थाना के कोठिघाट में ढूंढ निकाला। मामले में पुलिस अधीक्षक पूर्णिया, एसएचओ थारविजगंज थाना द्वारा भी सहयोग दिया गया ताकि नवजात बच्ची को उसके परिवार का सहारा वापस मिल सके।