CHANDIGARH, 09 AUGUST: हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जय प्रकाश दलाल ने कहा कि पशुओं में लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) की रोकथाम के लिए 5 लाख वैक्सीन का आर्डर कर दिया गया है और यह वैक्सीन आज सायं तक आ जाएगी। उन्होंने कहा कि पशुओं में तुरंत वैक्सीनेशन के लिए इस वैक्सीन को एयरलिफ्ट करके मंगाया जा रहा है ताकि पशुपालकों को किसी भी प्रकार नुकसान न हो।
दलाल आज यहां हरियाणा विधानसभा में चल रहे मॉनसून सत्र में लगाए गए ध्यानाकर्षन प्रस्ताव का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि विभाग इस बीमारी की रोकथाम के लिए चिंतित हैं क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है और इसके लिए विभिन्न पग उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब व राजस्थान के मुकाबले हरियाणा में यह बीमारी कम फैली हुई है और इस बीमारी के संबंध में हमने एडवाईजरी जारी कर दी है कि पशुओं का आवागमन बंद हो, पशु मेला लगाना बंद हो, मच्छर-मक्खी की दवाइयां का छिडकाव हो। उन्होंने कहा कि अंतर्राज्यीय पशुओं के आवागमन को रोका जाए। उन्होंने कहा कि जहां तक सिरसा में वीएलडीए की पोस्टिंग की बात है तो वह आनलाईन प्रक्रिया है फिर भी वहां पर पशुओं के डाक्टर/वीएलडीए उपलबध करवा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बीमारी की रोकथाम के लिए संबंधित उपायुक्तों को छिडक़ाव व फोगिंग के लिए कहा गया है।
दलाल ने सदन में अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि लंपी स्किन बीमारी (एलएसडी) एक वायरल रोग है । यह वायरस पॉक्स परिवार का है। लंपी स्किन बीमारी मूल रूप से अफ्रीकी बीमारी है और अधिकांश अफ्रीकी देशों में है । माना जाता है कि इस बीमारी की शुरुआत जाम्बिया देश में हुई थी, जहां से यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गई। साल 2012 के बाद से यह तेजी से फैली है, हालांकि हाल ही में रिपोर्ट किए गए मामले मध्य पूर्व, दक्षिण पूर्व, यूरोप, रूस, कजाकिस्तान, बांग्लादेश (2019) चीन (2019), भूटान (2020), नेपाल (2020) और भारत (अगस्त, 2021) में पाए गए हैं। वर्तमान वर्ष के दौरान देश में प्रमुख प्रभावित राज्य गुजरात, राजस्थान और पंजाब हैं। हरियाणा राज्य में यह रोग अभी प्रारंभिक चरण में है और पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा इसके नियंत्रण और रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं।
लंपी स्किन बीमारी मुख्य रूप से गौवंश को प्रभावित करती है। देसी गौवंश की तुलना में संकर नस्ल के गौवंश में लंपी स्किन बीमारी के कारण मृत्यु दर अधिक है। इस बीमारी से पशुओं में मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत है। रोग के लक्षणों में बुखार, दूध में कमी, त्वचा पर गांठें, नाक और आंखों से स्राव आदि शामिल हैं। रोग के प्रसार का मुख्य कारण मच्छर, मक्खी और परजीवी जैसे जीव हैं। इसके अतिरिक्त, इस बीमारी का प्रसार संक्रमित पशु के नाक से स्राव, दूषित फीड और पानी से भी हो सकता है।
लंपी स्किन बीमारी के उपचार एवं रोकथाम
वायरल बीमारी होने के कारण प्रभावित पशुओं का इलाज केवल लक्षणों के आधार पर किया जाता है। बीमारी की शुरूआत में ही इलाज मिलने पर इस रोग से ग्रस्त पशु 2-3 दिन के अन्तराल में बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है। किसानों को मक्खियों और मच्छरों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है, जो बीमारी फैलने का प्रमुख कारक है। प्रभावित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। बछड़ों को संक्रमित मां का दूध उबालने के बाद बोतल के जरिए ही पिलाया जाना चाहिए।
जनस्वास्थ्य से संबंध
यह रोग गैर – जूनोटिक है यानि यह पशुओं से इंसानों में नहीं फैलता है, इसलिए जानवरों की देखभाल करने वाले पशुपालकों के लिए डरने की कोई बात नहीं है। प्रभावित पशुओं के दूध का उबाल कर सेवन किया जा सकता है।
हरियाणा में लंपी स्किन बीमारी की स्थिति
राज्य में कुल 62.92 लाख गोजातीय (भैंस और गौवंश) पशुओं में से 19.32 लाख गौवंश हैं। इन गौवंश में इस बीमारी के फैलने का खतरा है। चालू वर्ष में जुलाई, 2022 के अंतिम सप्ताह में यमुनानगर जिले से एलएसडी की प्रारंभिक रिपोर्ट दी गई थी । 08 अगस्त,2022 तक कुल मामलों की स्थिति का संक्षिप्त विवरण देते हुए उन्होंने बताया कि प्रभावित गाँवों की संख्या 482, प्रभावित गौवंश की संख्या 6135, प्रभावित भैसों की संख्या शून्य, रोग निदान हेतु लिए गए सैंपलों की संख्या 161, मृत पशुओं की संख्या 23, लंपी स्किन बीमारी के पुष्टि हुए केसों की संख्या राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल द्वारा पुष्टि की जानी लम्बित है। लंपी स्किन बीमारी का पिछला प्रकोप लाला लाजपत राय विश्वविद्यालय, हिसार में सितंबर, 2021 में दर्ज किया गया था, जहाँ 60 पशुओं में लंपी स्किन बीमारी फैलने का संदेह था। सैंपल लेने के बाद 12 पशुओं में एलएसडी की पुष्टि हुई, जिनमें से एक की मौत हो गई थी ।
सिरसा जिले में लंपी स्किन बीमारी की स्थिति
सिरसा जिले में कुल 103 गाँव इस बीमारी से प्रभावित हैं । इन गाँवों में कुल 825 पशु प्रभावित हुए हैं , जिनमें से 276 पशु इस रोग से ठीक हो चुके हैं और 19 पशुओं की मृत्यु हुई है । उन्होंने बताया कि सिरसा, यमुनानगर, भिवानी, कैथल, कुरूक्षेत्र और पलवल जिलों में कुल 161 सैंपल लिए गए हैं। सिरसा जिले में कुल 135 गौशालाएं हैं , जिनमें 56743 गौवश है । इन गौशालाओं में से 33 गौशालाएं इस रोग से प्रभावित हैं , जिनमें 400 गौवंश इस बीमारी से ग्रस्त हैं ।
सिरसा जिले में पशु चिकित्सा संस्थाओं एवं स्टाफ की स्थिति
सिरसा जिले में 60 राजकीय पशु चिकित्सालय और 168 राजकीय पशु औषधालय हैं । जिले में पशु चिकित्सकों के 64 पद स्वीकृत हैं , जिनमें से 52 पद भरे हुए हैं तथा 12 पद रिक्त हैं । जिले में पशुधन विकास सहायक ( वी.एल.डी.ए. ) के 239 पद स्वीकृत है , जिनमें से 199 पद भरे हुए हैं तथा 40 पद रिक्त हैं। पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा लंपी स्किन बीमारी को नियंत्रित करने हेतु उठाए गए कदम के तहत विभाग द्वारा लंपी स्किन बीमारी की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों के तहत दिनांक 5 अगस्त, 2022 को वैबिनार आयोजित करके सभी जिला उपनिदेशकों को इस बीमारी की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए निर्देश जारी करते हुए आवश्यक कदम उठाने बारे कहा गया है इसके अतिरिक्त सभी पशु चिकित्सको को इस बीमारी के रोकथाम के बारे में जानकारी देकर आवश्यक कदम उठाने बारे कहा गया है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए दिनांक 06 अगस्त, 2022 को विभाग द्वारा एडवायजरी जारी कर दी गई थी। हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड द्वारा गोट पॉक्स के 5000 वैक्सीन हिसार में लगाई जा चुकी है तथा लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए गोट पोक्स वैक्सीन की 5 लाख खुराकें एयरलिफ्ट की गई हैं जो कि आज उपलब्ध हो जायेगी। विभाग द्वारा लंपी स्किन बीमारी के लक्षणों के इलाज व बचाव हेतु सभी आवश्यक कदम उठाये जा रहे है तथा दवाइयों की आपूर्ति पहले ही की जा चुकी है । इसके साथ ही उपनिदेशकों को स्थानीय बाजार से आवश्यकतानुसार दवाइयाँ खरीदने के निर्देश भी दे दिए गए हैं। विभाग द्वारा किसानों को प्रेरित करके मक्खियों मच्छरों और परजीवियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशकों के छिडकाव बारे प्रेरित किया गया हैं। किसानों को इस बीमारी के बारे में आवश्यक जानकारी के लिए 10 लाख पैम्पलेट छपवाकर बांटे जा रहे है। दैनिक समाचार पत्रों के माध्यम से भी इस बीमारी की रोकथाम एवं नियंत्रण के बारे में प्रचार करके प्रेरित किया जा रहा हैं और इस बीमारी के सैम्पल एन.आई.एच.एस.ए.डी. लैब भोपाल भेजे गये है , जोकि केन्द्रीय सरकार से पशुओं की बीमारी टैस्ट करने के लिए अधीकृत हैं। पाजिटिव रिपोर्ट आने उपरांत ही इस बीमारी को नोटीफाई करने बारे आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।