CHANDIGARH: हरियाणा विधानसभा के सत्र के दौरान शुक्रवार को कई महत्वपूर्ण बिल पारित हुए और इनमें से ग्राम पंचायतों के लिए ‘राइट टू रीकॉल’ बिल भी पटल पर रखा गया, जिसे सदस्यों ने पास कर दिया। इस बिल के लागू होने से काम न करने वाले सरपंच को कार्यकाल पूरा होने से पहले ही हटाने का अधिकार ग्रामीणों को मिल गया है।
विधानसभा में आज पास हुए ‘राइट टू रीकॉल’ बिल के बारे में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया कि सरपंच को हटाने के लिए गांव के 33 प्रतिशत मतदाता अविश्वास लिखित में शिकायत संबंधित अधिकारी को देंगे। यह प्रस्ताव खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी तथा सीईओ के पास जाएगा। इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर 2 घंटे के लिए चर्चा करवाई जाएगी। इस बैठक के तुरंत बाद गुप्त मतदान करवाया जाएगा और अगर 67 प्रतिशत ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ मतदान किया तो सरपंच पदमुक्त हो जाएगा। सरपंच चुने जाने के एक साल बाद ही इस नियम के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकेगा। दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरपंच के विरोध में निर्धारित दो तिहाई मत नहीं पड़ते हैं तो आने वाले एक साल तक दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकेगा। इस तरह ‘राइट टू रीकॉल’ एक साल में सिर्फ एक बार ही लाया जा सकेगा।
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