हरियाणा ने एचसीएमएस/एचसीडीएस के लिए स्नातकोत्तर (डिग्री/डीएनबी/डिप्लोमा) के संबंध में बनाई नई नीति, सीएम ने दी मंजूरी

नई नीति के तहत आठ सुपर-स्पेशलिटी पाठ्यक्रमों को जोड़ा गया: विज

CHANDIGARH, 23 MARCH: हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज ने कहा कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस (एचसीएमएस)/हरियाणा सिविल डेंटल सर्विस (एचसीडीएस) के लिए स्नातकोत्तर (डिग्री/डीएनबी/डिप्लोमा) के संबंध में नई नीति तैयार की है और इस नीति के प्रारूप को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। 

नई नीति के प्रारूप के मुख्य बिंदुओं की जानकारी देते हुए विज ने बताया कि इस नई नीति के तहत आठ सुपर-स्पेशलिटी पाठ्यक्रमों को जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित पीजी नीति में अब पीजी कोर्स हेतू वेतन के साथ ग्रामीण क्षेत्र की दो वर्ष की सेवा सहित कुल तीन साल की नियमित अवधि सेवा, बिना वेतन के साथ दो साल की नियमित सेवा या दो साल की नियमित सेवा से कम पर त्यागपत्र देना होगा।

विज ने बताया कि एचसीएमएस तथा एचसीडीएस काडर को अलग-अलग परिभाषित किया गया हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान सीखे गए अनुभव और अंबाला छावनी में टीसीसीसी की स्थापना/ गैर-संचारी (नॉन कम्युनिकेबल) रोगों के विशाल विस्तार के क्षितिज को ध्यान में रखते हुए बायोकेमिस्ट्री और माइक्रोबायोलॉजी और रेडियोथेरेपी और न्यूक्लियर मेडिसिन की विशेषताओं को एचसीएमएस कैडर में शामिल किया गया है। 

उन्होंने बताया कि नई पीजी नीति के तहत कवर नहीं किए गए पाठ्यक्रमों, परंतु भारत सरकार द्वारा अनुमोदित (एमओएचएफडब्ल्यू/यूजीसी/एआईसीटीई आदि यानी चिकित्सा/दंत निकायों के अलावा) के लिए एक अलग खंड को शामिल किया गया है, जिसके लिए एचसीएस के अध्ययन अवकाश के प्रावधान (अवकाश नियम 2016, अध्याय-11) को लाया गया है क्योंकि कुछ लघु फेलोशिप कार्यक्त्रम हैं जो नैदानिक कौशल में सुधार के लिए उपयोगी हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने बांड राशि के बारे में अवगत कराते हुए बताया कि वेतन सहित पीजी डिग्री हेतु एक करोड़ रुपए, पीजी डिप्लोमा हेतु 65 लाख रुपए और सुपर-स्पेशियलिटी कोर्स के लिए 1.50 करोड़ रुपए की राशि है। उन्होंने बताया कि बिना वेतन के प्रोत्साहन/आरक्षण के लाभ के साथ सुपर स्पेशलिटी के लिए एक करोड, पीजी डिग्री के लिए 75 लाख तथा पीजी डिप्लोमा के लिए 45 लाख रुपए की राशि निर्धारित की गई है। इसी प्रकार, बिना वेतन के प्रोत्साहन/आरक्षण के बिना लाभ के साथ सुपर स्पेशलिटी के लिए 75 लाख, पीजी डिग्री के लिए 40 लाख तथा पीजी डिप्लोमा के लिए 25 लाख रुपए की राशि निर्धारित की गई है।

उन्होंने बताया कि वेतन और परिलब्धियों के साथ-साथ मकान भत्ता का दावा मुख्यालय में पीजी रिजर्व सीटों के विरूद्ध किया जाएगा। इसके अलावा, एनबीई परीक्षा को किसी भी प्रवेश/एनईईटी परीक्षा के साथ जोड़ा गया है। इसके अलावा, पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए ऊपरी आयु सीमा 31 मार्च को 45 वर्ष मानी जाएगी।  

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि नई नीति के प्रारूप में किसी भी परिस्थिति में बांड शर्तें पूरा करने से पहले राज्य में या राज्य के बाहर किसी अन्य विभाग में प्रतिनियुक्ति हेतु किसी भी डॉक्टर को एनओसी जारी नहीं की जाएगी। ऐसे ही, परिवीक्षा अवधि की मंजूरी के खंड को जोडा गया है। इसी प्रकार, कोर्स विफलता के मामले में पीजीआईएमएस, रोहतक के मेडिकल बोर्ड द्वारा पेनल्टी क्लॉज लागू नहीं किया जा सकता है।

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