हरियाणा हर क्षेत्र में पिछड़ा, सिर्फ हत्या और बेरोजगारी दर में ऊपर: दीपेन्द्र हुड्डा

दीपेंद्र हुड्डा

कहा- एम्स-2 बाढ़सा परिसर में मंजूरशुदा 11 संस्थानों में से 10 क्यों नहीं बने? श्वेत पत्र जारी करे सरकार

सरकार बताए 7 साल में कितने नए मेडिकल कॉलेज बने, सरकार ने हरियाणा के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई ध्यान ही नहीं दिया

CHANDIGARH: राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि भारत सरकार के नीति आयोग के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा लगभग हर क्षेत्र में पिछड़ गया है, हत्या दर और बेरोज़गारी दर में ऊपर आया है। भारत सरकार के नीति आयोग ने 17 मानकों पर हर प्रदेश की रिपोर्ट प्रकाशित कर हरियाणा सरकार के झूठे दावों की पोल खोलने का काम किया है। नीति आयोग द्वारा जारी SDG सूचकांक के अनुसार अब हरियाणा बेरोजगारी, अपराध में टॉप 3 राज्यों में है। इसके अलावा शिक्षा, औद्योगिक और आर्थिक वृद्धि में भी हरियाणा पिछड़ गया है। उन्होंने नीति आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के हवाले से कहा कि जो प्रदेश 2014 तक प्रति व्यक्ति आय, निवेश, कृषि उत्पादकता, खेल खिलाड़ियों जैसे विकास के पैमानों पर नंबर 1 पर था, वो अब 14वें स्थान पर पहुँच गया है। गरीबी के मामले में हरियाणा 12वें नंबर पर है। यह इकलौती ऐसी सरकार है जिसके राज में हरियाणा में गरीबी में कोई कमी नहीं आयी। वॉटर सैनिटेशन में 23वें स्थान पर, गरीब-अमीर में अंतर में हरियाणा 14वें नंबर पर आया है। नीति आयोग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश बेरोज़गारी बढ़ी है। हेल्थ में उड़ीसा जैसे राज्य हरियाणा से आगे निकल गये हैं। हरियाणा की सरकार को जागना होगा और हर क्षेत्र में जो गिरावट हो रही है उसे सुधारना होगा।

उन्होंने सरकार से मांग करी कि एम्स-2 बाढ़सा परिसर में मंजूरशुदा 11 संस्थानों में से 10 संस्थान क्यों नहीं बने इस पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे। दीपेन्द्र हुड्डा ने बाढ़सा स्थित एम्स-2 के बारे में बताते हुए कहा कि जब उन्होंने एशिया ही नहीं, पूरे विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य परिसर एम्स-2 को 300 एकड़ में बनाने की परिकल्पना की तो चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने बाढ़सा गाँव के सहयोग से 300 एकड़ जमीन भी उपलब्ध कराई और तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अम्बुमणि रामदौस ने सहमति दी एवं गुलाम नबी आजाद ने 2012 में एम्स-2 ओपीडी का उद्घाटन किया और उसी दिन से यहाँ इलाज शुरू हो गया। उन्होंने एम्स-2 बाढ़सा परिसर में ही 11 अन्य राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को भी भारत सरकार की कैबिनेट से मंजूर कराया। जिसमें राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI -710 बेड) के अलावा 600 बेड का नेशनल कार्डियोवैस्कुलर सेंटर, 500 बेड का जनरल पर्पस हॉस्पिटल, 500 बेड का नेशनल ट्रांस्प्लांटेशन सेंटर, 500 बेड का नेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हेल्थ, 500 बेड का डाइजेस्टिव डिजीज सेंटर, 200 बेड का नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर जिरियाटिक्स, कॉम्प्रिहेंसिव रिहेबिलिटेशन सेंटर, 120 बेड का सेंटर फार ब्लड डिसार्डर, सेंटर फॉर लेबोरेटरी मेडिसिन, नेशनल सेंटर फॉर नर्सिंग एजुकेशन एंड रिसर्च प्रमुख हैं।

दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि राष्ट्रीय कैंसर संस्थान को उस समय के बहुत सारे बड़े नेता अपने राज्यों में ले जाना चाहते थे, मगर काफी प्रयासों से जुलाई 2013 में योजना आयोग से और 26 दिसम्बर, 2013 को भारत सरकार की कैबिनेट से 2035 करोड़ रुपया मंजूर कराकर 3 जनवरी 2014 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा इसका शिलान्यास करा कर काम शुरु करवा दिया। उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार के स्वास्थ्य सचिव ने भी कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में बाढ़सा एम्स में साढ़े 9 हजार मरीज स्वस्थ होकर गये। उन्होंने आगे कहा कि अगर ये सभी 10 संस्थान अब तक तैयार हो जाते तो लाखों लोगों की जान बचायी जा सकती थी। बड़ी मुश्किल से इस तरह के राष्ट्रीय महत्व के संस्थान हरियाणा जैसे राज्य में आ पाते हैं। इनके आने से हर स्तर पर लाखों लोगों को रोज़गार मिलता।

उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में प्रदेश सरकार पूरी तरह विफल रही और उसका रवैया अहंकारी और दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। प्रदेश भर में जीवन रक्षक दवाईयों, जरुरत पड़ने पर ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर आदि की कमी रही। अस्पतालों के बाहर नोटिस लगाकर मरीजों की भर्ती बंद कर दी गई। हर रोज हजारों कॉल आते थे लोग अपनी जान बचाने के लिये जूझ रहे थे। सरकार में संवेदनशीलता की कमी रही। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या विपक्ष की आलोचना के डर से संसद और विधानसभाओं में भी चर्चा बंद हो जानी चाहिए। प्रजातंत्र में विपक्ष को सिरे से नकारना दुर्भाग्य की बात है।

दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर सवाल किया कि नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्यों पिछड़ गया और दूसरे प्रदेश आगे निकल गए? इसका एकमात्र कारण ये है कि पिछले 7 साल में इस सरकार ने हरियाणा के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर कोई ध्यान ही नहीं दिया। उन्होंने बताया कि चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के कार्यकाल में हरियाणा में 136-SHC, 53-PHC, 37-CHC, 25-जनरल हॉस्पिटल और 20 से ज्यादा सामान्य अस्पताल नये बने या अपग्रेड हुए। दूसरी ओर 2019 में आरटीआई में सवाल पूछा गया कि खट्टर सरकार में कितने नये अस्पताल बनाये गये तो जवाब आया कि एक भी सरकारी अस्पताल नहीं बना। सरकार ने RTI का जवाब देने वाले अधिकारी को ही निलंबित कर दिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा बनने से लेकर 2005 तक प्रदेश में एक भी नया सरकारी मेडिकल कॉलेज नहीं बना था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार के समय करनाल में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज, खानपुर में भगत फूल सिंह महिला मेडिकल कॉलेज, नूंह में हसन खां मेवाती मेडिकल कॉलेज, फरीदाबाद में ईएसआई मेडिकल कॉलेज खोले गए और भिवानी व महेंद्रगढ़ में 2 और मेडिकल कॉलेज मंजूर किये साथ ही रेवाड़ी में एक मेडिकल कॉलेज को सैद्धांतिक मंजूरी दी यानी कुल 8 मेडिकल कॉलेज की स्थापना के विजन के साथ काम किया गया। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पिछले 7 साल में प्रदेश में एक भी सरकारी मेडिकल कॉलेज बना हो तो सरकार बताए या जो मंजूरशुदा थे उन पर काम आगे बढ़ाया हो तो वो भी बता दे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मनेठी में जो एम्स बनना था उसका अभी तक कोई पता नहीं है।

नीति आयोग के आंकड़ों के हवाले से हरियाणा में रिकॉर्ड बेरोज़गारी पर प्रदेश सरकार को घेरते हुए सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि चाहे स्वास्थ्य परिसर की बात हो, रेल कोच फैक्ट्री हो या महम के इंटरनेशनल एयरपोर्ट की, मौजूदा सरकार न तो सरकारी क्षेत्र में रोजगार दे पायी, न निजी क्षेत्र में कोई निवेश आया। मारुति और होंडा जैसी कंपनियां गुजरात में चली गयीं। सरकारी भर्तियां लटक रही हैं और लगातार रद्द हो रही हैं। नीति आयोग ने भी कहा है कि हरियाणा में औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार कम हुए हैं। कपूरथला के बाद हरियाणा के लिये 2013 के रेल बजट में रेल कोच फैक्टी मंजूर कराई गई थी, लेकिन रेल कोच फैक्टरी सोनीपत से बनारस चली गई। इसी प्रकार महम में मंजूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को उत्तर प्रदेश के जेवर में भेज दिया गया, लेकिन हरियाणा की कमजोर सरकार दबी जुबान में भी इसका विरोध नहीं कर पाई।

दीपेन्द्र हुड्डा ने सीएसीपी द्वारा एमएसपी बढाने की घोषणा को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए कहा कि धान पर 3.9 प्रतिशत या 72 रुपये बढ़ाया है जबकि डीजल का भाव ही 39 प्रतिशत बढ़ चुका है। प्रधानमंत्री जी ने 2015-16 में किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने की घोषणा की थी। उस समय धान का भाव 1470 रुपये था। इस समय वित्त वर्ष 2021-22 चल रहा है तो धान का भाव 2940 होना चाहिए था। इसी तरह गेहूं 3250 की जगह 1975 ही हुआ। भाव दोगुना होने पर ही आमदनी दोगुनी होगी। जो कल 72 रुपये बढ़ाने के बाद 1940 रुपये ही हुआ। इस दौरान डीजल, पेट्रोल के भाव में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी हुई है, जिससे किसान का खर्च दोगुना और आमदनी आधी रह गयी है।

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