हरियाणा: होम मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायड के बाद अब ‘माइनिंग मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वायड’ भी बनेगा

CHANDIGARH: हरियाणा में ‘होम मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वॉड’ के बाद अब ‘माइनिंग मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वॉड’ भी बनाया जाएगा जो स्थानीय पुलिस के सहयोग से समय-समय पर निरीक्षण करके प्रदेश में अवैध माइनिंग पर शिकंजा कसने का काम करेगा।

प्रदेश के खान एवं भू-विज्ञान मंत्री मूलचंद शर्मा ने आज विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मौजूद वरिष्ठ अधिकारियों को इस फ्लाइंग स्क्वॉड के गठन की प्रक्रिया शुरू के निर्देश दिए। ‘माइनिंग मिनिस्टर फ्लाइंग स्क्वाड’ में खान एवं भू-विज्ञान, परिवहन विभाग के रेगुलेटरी विंग और पुलिस विभाग से एक-एक अधिकारी को शामिल किया जाएगा।

 मूलचंद शर्मा ने कहा कि प्रदेश में कई जगह खनन क्षेत्र से बाहर बिना अनुमति के सरकारी जमीन पर 10-10 साल से खनिज और खनिज मलबा पड़ा है। इसका स्टॉक पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है।

इस तरह के अवैध स्टॉक की पहचान करके उसे सीज किया जाए और उसकी नीलामी करवाई जाए। इसके अलावा, उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि दिल्ली से हरियाणा में आने वाले पत्थर को किस तरह से क़ानूनी तौर से लाया जा सके, इसकी संभावना भी तलाशी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि यमुना के साथ-साथ खनन की अनुमति न होने के बावजूद कुछ लोगों ने उस क्षेत्र में स्टॉक किया हुआ है, इसकी जांच की जानी चाहिए कि वहाँ रेत कहां से लाकर बेची जा रही है। इसके अलावा, बहुत-सी गाडिय़ों का ई-रवाना तो यमुनानगर व करनाल जैसे जिलों का कटा होता है लेकिन वे सप्लाई पलवल और फरीदाबाद जैसे जिलों में करते हैं।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ई-रवाना जारी करते समय इस तरह की बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए कि यह व्यावहारिक है भी या नहीं।

खान एवं भू-विज्ञान मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर जैसे जिलों में मिट्टी खोदने की अनुमति देने की प्रक्रिया को भी सुचारू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि सभी माइनिंग ब्लॉक की पर्यावरण सम्बन्धी स्वीकृति (ईसी) लेने में समय लगेगा, इसलिए फरीदाबाद के रेत के खदानों और चरखी दादरी के पहाड़ों के ब्लॉक्स की नीलामी करवाई जा सकती है जिसकी ईसी के बोलीदाताओं या ठेकदारों को लेनी होगी।

सरकार बाक़ी खानों की बोली से पहले  ईसी लेने के बारे विचार कर रही है और क़ानूनी रूप से कोई अड़चन न होने पर इस प्रक्रिया को अपनाया जाएगा। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड द्वारा एनसीजेड की परिभाषा तय करने का अधिकार राज्यों को देने के बाद पलवल में भी खनन ब्लॉक्स की नीलामी जल्द होने की उम्मीद है।

बैठक में हरियाणा से खुदाई करके खनिज सामग्री उत्तर प्रदेश की सीमा में डाले जाने के मुद्दे पर भी चर्चा की गई और दोनों प्रदेशों के बीच सीमांकन के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा सर्वे करवाने का सुझाव दिया गया। इस दौरान बताया गया कि प्रदेश में 58 खनन ब्लॉक में से 51 की प्रारंभिक पहचान करके हरसेक द्वारा ग्राउंड ट्रूथिंग का कार्य किया जा रहा है। विभाग खानों बारे सूचना उपलब्ध करने के लिए हरसेक द्वारा एक एप भी शुरू किया गया है।

बैठक में यह भी बताया गया कि विभाग द्वारा सितम्बर माह के अन्त तक 2541 गाडिय़ां इम्पाउंड की गई हैं जिनमें से 1948 गाडिय़ां छोड़ी जा चुकी हैं। विभाग को इनसे पैनल्टी के रूप में 55.71 करोड़ रुपये की आय हुई है। कोविड-19 के चलते लॉकडाउन के बावजूद विभाग द्वारा पिछले वर्ष की तुलना में अभी तक 5 करोड़ रुपये का अधिक राजस्व प्राप्त किया गया है। खान एवं भू-विज्ञान विभाग के प्रधान सचिव आनन्द मोहन शरण और महानिदेशक श्री अमिताभ ढिल्लों समेत कई वरिष्ठ अधिकारी बैठक में मौजूद रहे।

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