आज चावला-बबला के टकराव के बाद सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म, दोनों नेताओं के बीच आ गई थी हाथापाई की नौबत
CHANDIGARH: चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के बाद अब मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव के लिए जो राजनीतिक हालात बन रहे हैं, उसमें पूर्व नेता विपक्ष देविंदर सिंह बबला की पत्नी हरप्रीत कौर बबला भाजपा की तरफ से मेयर पद की उम्मीदवार बनती देखी जा रही हैं। आज नवनिर्वाचित पार्षदों की शपथ ग्रहण के बाद चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला व देविंदर सिंह बबला के बीच हुए टकराव को देखते हुए इस तरह की संभावनाएं बलवती हो गई हैं। इसको लेकर शहर के सियासी गलियारों में चर्चा भी गर्म है। हालांकि इस मामले पर बबला और भाजपा दोनों ने ही फिलहाल चुप्पी साध रखी है। इस बीच, चावला-बबला के बीच टकराव का मामला सरगर्म है। इस मामले में अब कांग्रेस के भीतर सबकी नजर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल के एक्शन पर टिकी हैं। कहा जा रहा है कि चावला-बबला टकराव के घटनाक्रम पर बंसल ने खासी नाराजगी जताई है। संभवत: मेयर चुनाव के बाद इस मामले में कांग्रेस नेतृत्व कड़ा फैसला ले सकता है।
बता दें कि चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की करारी हार को लेकर पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चावला को लेकर खासा असंतोष देखा जा रहा है। मेयर चुनाव के बाद पार्टी में इस असंतोष के फूटने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन उससे पहले ही आज पूर्व नेता विपक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता देविंदर सिंह बबला नगर निगम कार्यालय में सुभाष चावला को देखते ही अपना आपा खो बैठे और नवनिर्वाचित पार्षदों के शपथ ग्रहण के बाद दर्शक दीर्घा में ही बबला-चावला आपस में भिड़ गए। दोनों के बीच गाली-गलौच हुई और हाथापाई तक की नौबत आ गई। हालांकि मौके पर मौजूद अन्य नेताओं ने बीच-बचाव कर मामले को शांत करा दिया। बबला ने आरोप लगाया कि चावला की वजह से ही चंडीगढ़ में कांग्रेस का ये हाल हुआ है। चंडीगढ़ में कांग्रेस को खत्म करने के पीछे चावला ही हैं। मामला इतना बढ़ गया कि बबला ने सुभाष चावला को गाली तक दे डाली। बबला का कहना है कि सुभाष चावला उन्हें घूर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर चावला के हाथ में पार्टी का नेतृत्व न होता तो कांग्रेस कम से कम 20 सीटों पर जीत सकती थी। इस मामले के बाद चावला ने कहा कि किसी के कहने से कोई पार्टी खत्म नहीं होती। अनुशासनात्मक कार्रवाई के सवाल पर चावला ने कहा कि वह देखेंगे कि बबला पर क्या कार्रवाई की जा सकती है।
गौरतलब है कि सुभाष चावला के चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से देविंदर सिंह बबला चावला को लेकर असंतुष्ट चल रहे हैं। क्योंकि बबला भी प्रदेश अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार थे और तत्त्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के खिलाफ बने गुट में चावला इस पद पर खुद की दावेदारी से लगातार इंकार करते रहे थे लेकिन जब छाबड़ा को हटाकर सुभाष चावला को चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया तो बबला ने इसे विश्वासघात की तरह लिया। उन्होंने तब चावला की नियुक्ति पर नाराजगी भी जताई थी। ऐसे में अध्यक्ष बनने के बाद चावला ने खुद बबला के घर जाकर उन्हें मनाने की कोशिश की थी। इसके बाद बबला पार्टी की गतिविधियों में सक्रिय तो हुए लेकिन आज के टकराव को देखते हुए माना जा रहा है कि बबला के मन में चावला को लेकर टीस कभी खत्म नहीं हुई। अब यह लड़ाई किस मुकाम तक पहुंचेगी, इस पर सबकी नजर है।
फिलहाल, चंडीगढ़ के नए मेयर को लेकर अपने पक्ष में चुनावी समीकरण बनाने में जुटी भाजपा के लिए आज का चावला-बबला टकराव फायदे का संकेत दे रहा है। भाजपा मेयर चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के 14 पार्षदों की संख्या से आगे निकलने की तैयारी में जुटी है। भाजपा के पास इस समय सांसद किरण खेर के वोट समेत 13 वोट हैं। निगम चुनाव के बाद पहले साल के मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित है और भाजपा के पास इस बार केवल दो महिला पार्षद हैं। वह भी पहली बार पार्षद बनी हैं। ऐसे में महिला मेयर पद पर भाजपा में इस बार कोई सीनियोरिटी का मसला भी नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि हरप्रीत कौर बबला भाजपा में शामिल होकर भाजपा की तरफ से मेयर पद की उम्मीदवार बन सकती हैं। हरप्रीत कौर बबला पहले भी पार्षद रह चुकी हैं, उन्हें नगर निगम की कार्यप्रणाली का अनुभव है। हालांकि देविंदर सिंह बबला ने आज दोहराया है कि वह कांग्रेसी हैं और कांग्रेस में ही रहेंगे। बता दें कि देविंदर सिंह बबला का वार्ड इस बार महिला के लिए रिजर्व हो गया था। इस कारण कांग्रेस ने उनकी पत्नी हरप्रीत कौर बबला को निगम चुनाव के मैदान में उतारा और वह सबसे अधिक मतांतर से चुनाव जीती हैं। हरप्रीत कौर बबला के भाजपा में जाने की स्थिति में निगम सदन के भीतर भाजपा के वोटों की संख्या आम आदमी पार्टी के वोटों के बराबर हो जाएगी। तब यह देखना और दिलचस्प हो जाएगा कि भाजपा व आम आदमी पार्टी में से कौन 14 से आगे के वोट जुटा पाएगा। क्योंकि हरप्रीत कौर बबला के भाजपा से मेयर उम्मीदवार बनने की सूरत में कांग्रेस के पार्षद भी उन्हें हराने के लिए एकजुट होकर निकटतम प्रतिद्वंद्वी के पक्ष में वोट डाल सकते हैं।