CHANDIGARH: हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) गुरुग्राम ने प्रमोटर्स और आवंटियों के बीच विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए एक संपूर्ण मध्यस्थता फोरम की स्थापना की है। पंचनिर्णय, मध्यस्थता और सुलह जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान (ऑल्टरनेट डिस्पयूट रेजोल्यूशन) मैकेनिज्म मुकदमेबाजी से कहीं अधिक निजी, किफायती और समय की बचत करने वाले हैं।
इसलिए समझदारी इसी में है कि इस तरह के मैकेनिज्म को असंख्य कानूनों के क्षेत्र, विशेष रूप से अचल संपत्ति क्षेत्र से संबंधित कानूनों में शामिल किया जाए, जहां घर खरीददारों द्वारा शिकायत निवारण के लिए अचल संपत्ति नियामक प्राधिकरणों के पास जाने के कारण बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (हरेरा) गुरुग्राम के सामने रियल एस्टेट डेवलपर्स और सेवा प्रदाताओं के साथ डीलिंग में घर खरीददारों के असंतोष के असंख्य मामले आए हैं। उन्होंने आगे बताया कि वर्षों से परियोजनाओं की डिलीवरी में देरी, निर्माण के दौरान लागत में वृद्धि, बिल्डर-खरीददार के असमान समझौते और एक प्रभावी प्रवर्तन तंत्र के अभाव ने घर खरीददारों की पीड़ा को बढ़ा दिया है और इसके परिणामस्वरूप रेगुलेटर के समक्ष बड़ी संख्या में शिकायतें आ रही हैं। इसके अलावा, इससे न केवल हरेरा अधिकारियों पर बल्कि हमारे सिविल न्यायालयों पर भी दबाव बढ़ गया है जो पहले से ही बड़ी संख्या में लंबित मामलों के संकट से जूझ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कई अवसरों पर कहा है कि राज्य सरकार परामर्श और मध्यस्थता के माध्यम से विवादों के निवारण पर जोर दे रही है ताकि मुकदमेबाजी को कम किया जा सके। इसलिए, राज्य सरकार की पहल के अनुरूप, हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण, गुरुग्राम ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए रियल एस्टेट मामलों में विवाद समाधान के लिए मध्यस्थता को एडीआर मैकेनिज्म के रूप में अपनाने का फैसला किया है और प्राधिकरण में पूरी तरह से समर्पित मध्यस्थता केंद्र / फोरम स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि हरेरा, गुरुग्राम का मध्यस्थता फोरम पार्टियों को प्राधिकरण की औपचारिक कार्यवाही से बाहर समझौता करने का विकल्प प्रदान करेगा।
उन्होंने बताया कि प्राधिकरण ने मध्यस्थों का एक पैनल गठित किया है, जो रियल एस्टेट परियोजनाओं से जुड़े विवादों में मध्यस्थता करने के लिए अपेक्षित कौशल से युक्त हैं। हरेरा, गुरुग्राम द्वारा स्थापित मध्यस्थता मंच के दायरे में दो प्रकार के मामले आएंगेे, पहली बार औपचारिक शिकायत दायर करने से पहले के चरण में मध्यस्थता के लिए किया गया आवेदन, जो हरेरा गुरुग्राम की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दीपा मलिक द्वारा व्यक्तिगत आधार पर शिकायत निवारण हेतु लिया जाएगा। दूसरा प्राधिकरण द्वारा जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा हरेरा गुरुग्राम के एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर (एओ), एस.सी. गोयल (सेवानिवृत्त) को सीपीसी की धारा 89 के प्रावधानों के संदर्भ में दी गई शिकायतों या मामलों के रूप में।
उन्होंने आगे बताया कि यदि प्राधिकरण आश्वस्त है कि किसी विशेष शिकायत के मामले को मध्यस्थता के माध्यम से हल किया जा सकता है, तो ऐसे संदर्भ प्राधिकरण द्वारा पार्टियों की सहमति के बिना भी किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि एडज्यूडिकेटिंग ऑफिसर द्वारा सुने जाने वाले मामलों को थोक में लिया जाएगा, जिसका मतलब है कि प्रतिदिन 15-20 मामलों की शिकायतें प्राप्त की जाएंगी।
उन्होंने बताया कि ऐसी शिकायतें, जो प्राधिकरण के समक्ष पहले से लंबित हैं, न्यायालय की कार्यवाही के दौरान किसी भी समय और किसी भी चरण में एओ की अध्यक्षता वाले मध्यस्थों के पैनल को भेजी जा सकती हैं। इस प्रकार मध्यस्थों के पैनल में तीन प्रतिनिधि शामिल होंगे, प्रत्येक पार्टी से एक यानी (1) रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि; (2) प्राधिकरण का एक प्रतिनिधि; (3) प्रमोटर का एक प्रतिनिधि।
उन्होंने बताया कि संपूर्ण मध्यस्थता फोरम प्रमोटर और आवंटियों के बीच विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान, जोकि त्वरित, कम खर्चीला और किफायती होगा, के लिए आवश्यक उपाय करके एक स्वस्थ, पारदर्शी, कुशल और प्रतिस्पर्धी रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास और संवर्धन को बढ़ावा देगा।
प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि मध्यस्थता प्रक्रिया की गोपनीयता की रक्षा हो और मध्यस्थता प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद मध्यस्थता के बारे में प्राधिकरण और मध्यस्थ के बीच कोई संवाद न हो। शुरू में, प्राधिकरण के समक्ष लंबित मेसर्स ईएमएएआर के खिलाफ 310 शिकायतें मध्यस्थता के लिए रेफर की गई हैं। ये शिकायतें नए फोरम के लिए भविष्य में एक अनुकरणीय उदाहरण स्थापित करने के साथ-साथ मध्यस्थता फोरम के संस्थानीकरण में मील का पत्थर साबित होंगी।