ANews Office: जब भी बड़े ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं, मेदनीय ज्योतिष के अनुसार लोक भविष्य में एक अद्वितीय बदलाव आता है और ऐसा ही कुछ 20 नवंबर-2020 के बाद होने जा रहा है। गुरु 20 नवम्बर को दोपहर 13ः30 बजे अपनी नीच राशि मकर में प्रवेश कर रहे हैं और 6 अप्रैल 2021 तक इसी राशि में रहेंगे। फिर गुरु कुंभ राशि यानि शनि की ही राशि में आ जाएंगे। हालांकि ज्योतिष में गुरु व शनि का एक साथ 10वीं राशि में होना नीचभंग राजयोग कहलाता है औेर यह भी कहा जाता है कि गुरु के प्रभाव में कमी आती है।
20 नवम्बर-2020 को आरंभ हो रहा गुरु-शनि का संगम सबसे अधिक मौसम को प्रभावित करेगा। इस वर्ष सर्दी की बरसात, कड़ाके की ठंड, घना कोहरा, शीत लहर, अधिक बर्फबारी, समुद्री तूफानों, चक्रवातों प्राकृितक आपदाओं के प्रति सरकारों और आम जन को सचेत रहना चाहिए। जनजीवन पहले कोरोना से प्रभावित रहा अब ‘ला नीना’ से होगा। यह 40वां ‘ला नीना’ वर्ष होगा, जिसमें तापमान न्यूनतम से भी नीचे रहता है। ऐसा 1904 से होता आ रहा है। इससे पहले 1975 में भी यही हाल रहा था।
नवम्बर-2019 में जब गुरु अपनी धनु राशि में आए ओैर 30 मार्च-2020 से 30 जून-2020 तक शनि के साथ बैठकर कोरोना में एक उबाल ला दिया। इस बार भी ग्रहों की हालत गुरु-शनि की युति 2021 में भी कमोबेश वैसी ही रहेगी। उल्लेखनीय है कि 14 सितम्बर-2021 से 26 नवम्बर-2021 तक मकर राशि में ही गुरु व शनि एक साथ रहेंगे। गुरु का कोरोना प्रभाव कम होता जाएगा। शनि का मकर में रहना राष्ट्रीय उत्थान दर्शा रहा है और कमजोर वर्ग के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएगा। गुरु का वर्षभर नीचस्थ रहना विश्व में अनेक राजनीतिक उथल-पुथल, देशों में दुश्मनी बढ़ना, दर्शाता है।
शनि और गुरु जब भी एक साथ लगभग 60 साल के अंतराल पर एकजुट हुए हैं, विश्व में व्यापक परिवर्तन, उथल-पुथल हुई है। जनता को युद्ध, प्राकृतिक आपदा, उच्च विश्वस्तरीय राजनीतिक परिवर्तन देखने पड़े हैं। फरवरी-1961 से फरवरी-1962 के मध्य जब गुरु और शनि इसी मकर राशि में थे और अष्टग्रही लगी थी तो कुछ दिनों बाद 20 अक्तूबर-1962 के दिन भारत को चीन का हमला झेलना पड़ा था। 2020 में कोरोना झेलना पड़ा। दोनों ग्रहों की युगलबंदी का ट्रेलर विश्व अमरीका के राष्ट्रपति के चुनाव तथा बिहार के चुनाव में देख चुका है। पिक्चर अभी बाकी है, क्योंकि शनि आम जनता से जुड़ा ग्रह है। इसलिए इन दो ग्रहों की चाल भारत सहित कई अन्य देशों में भी कई प्रकार के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं न्यायिक परिवर्तन लाएगी। शनि न्याय को और गुरु अन्य बहुत सी बातों को नियंत्रित करता है। अतः 2021 में अप्रत्याशित घटनाक्रम संभावित हैं। राजनेताओं और अंधे कानून से प्रताड़ित लोगों को लाभ मिलेगा। आर्थिक व्यवस्था एक बार लड़खड़ा कर ठीक हो जाएगी। प्राकृतिक आपदाओं का जोर रहेगा। संचार व आईटी क्षेत्र में सुधार होगा। अमरीका में रह रहे भारतीयों के सिर पर लटकी तलवार हट जाएगी तथा प्रौद्योगिकी से जुड़े कर्मियों के दिन फिर बदलेंगे। शिक्षा क्षेत्र में कई परिवर्तन होंगे।
2021 में गुरु देव की यात्रा इस प्रकार रहेगी
- 17 जनवरी: अस्त
- 14 फरवरीः उदय
- 20 जून: वक्री
- 14 सितम्बर: मकर में वक्री
- 18 अक्तूबर: मार्गी
- 20 नवम्बर: कुंभ राशि में प्रवेश
ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति एक शुभ ग्रह है और इसे गुरु की संज्ञा भी दी गई है। यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है। कुंडली में स्थित भिन्न-भिन्न भावों पर गुरु के भिन्न-भिन्न परिणाम देखने को मिलते हैं। कुंडली में बृहस्पति के बलवान होने पर जातक को आर्थिक और वैवाहिक जीवन में अच्छे परिणाम मिलते हैं। बृहस्पति ग्रह को ‘गुरु’ कहा जाता है। यह धनु और मीन राशि का स्वामी होता है और कर्क इसकी उच्च राशि है, जबकि मकर इसकी नीच राशि मानी जाती है। गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक होता है। ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति पर बृहस्पति ग्रह की कृपा बरसती है, उस व्यक्ति के अंदर सात्विक गुणों का विकास होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है। बृहस्पति ग्रह का गोचर जन्मकालीन राशि से दूसरे, पांचवें, सातवें, नौवें और ग्यारहवें भाव में शुभ फल देता है। जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो जातक के जीवन में प्रगति होती है।
खगोल विज्ञान में गुरु ग्रह
बृहस्पति ग्रह सौर मंडल में सबसे विशाल ग्रह है। इसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर है। हालांकि इसका तापमान -145 डिग्री सेल्सियस है, इसलिए यह बहुत ही ठण्डा ग्रह है। बृहस्पति को अंग्रेजी में जुपिटर नाम से जाना जाता है। इसमें हीलियम और हाइड्रोजन गैस है। इस ग्रह को सौर मंडल का “वैक्यूम क्लीनर“ भी कहा जाता है। यह पृथ्वी को विनाशकारी हमलों से बचाता है। खगोल विज्ञान के मुताबिक बृहस्पति के 64 प्राकृतिक उपग्रह हैं और इसका चुंबकीय क्षेत्र सभी ग्रहों में से सबसे शक्तिशाली है।
चंद्र राशि के अनुसार गुरु के राशि परिवर्तन का फल
मेष: धन लाभ होगा। मेहनत का फायदा मिलेगा। भाइयों और दोस्तों से भी मदद मिल सकती है। प्रेम संबंधों में भी सुधार देखने को मिलेगा। मकान, वाहन आदि किसी तरह की संपत्ति में निवेश। विवाह की अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है। व्यवसायी वर्ग को लाभ मिलेगा।
वृष: पैतृक संपत्ति प्राप्त होने की संभावना है। यात्रा के भी योग हैं। धन हानि के योग बन रहे हैं। कोई गुप्त बात उजागर हो सकती है। व्यर्थ के विवादों में भी पड़ने से बचने का प्रयास करना चाहिए। आपको विदेश जाने के सुनहरे अवसर मिल सकते हैं।
मिथुन: आप अधिक से अधिक धार्मिक कार्यों से जुड़ने का प्रयास करेंगे। जीवनसाथी से विवाद हो सकता है। सेहत संबंधी परेशानी होगी। किसी पुरानी बीमारी के फिर से उभरकर सामने आने की संभावना है, इसलिए सावधान रहें।
कर्क: कानूनी कार्यों में सफलता मिलने की पूरी संभावना है। दुश्मनों पर जीत मिल सकती है। यात्राएं हो सकती हैं। आमदनी में बढ़ोतरी होगी, पुराने कर्ज भी चुका पाएंगे। वैवाहिक जीवन सामान्य रहेगा। विवाह की प्रतीक्षा कर रहे जातकों को लाभ होगा और उन्हें विवाह के लिए योग्य साथी मिलने की उम्मीद है। आपको यात्राओं से आर्थिक या सामाजिक लाभ मिलने की संभावना है।
सिंह: वित्तीय लेन-देन में सावधानी बरतने की सलाह है। आर्थिक परेशानी हो सकती है। योजनाएं अधूरी रह सकती हैं। पुत्र की चिंता बढ़ सकती है। जीवन के लगभग हर क्षेत्र में लाभ मिलता नजर आता है। ज्ञान में बढ़ोतरी होगी और बेहतर शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे। विदेश यात्रा से लाभ मिलेगा। नौकरी में किसी भी तरह के बदलाव से बचना है।
कन्या: जो नौकरी की तलाश कर रहे हैं, उन्हें सफलता मिलेगी। सुख में कमी आ सकती है, लेकिन नौकरी और बिजनेस में आगे बढ़ने के मौके मिलेंगे। जीवन के लगभग हर क्षेत्र में लाभ मिलता नजर आता है। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी, प्रियजनों से भरपूर समर्थन मिलेगा। पदोन्नति या वेतन वृद्धि मिलने की संभावना है।
तुला: खेल से जुड़ी प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। प्यार में सफलता मिल सकती है। धार्मिक यात्रा होने के योग हैं। उत्तर दिशा की तीर्थ यात्रा हो सकती है। नौकरी पेशा लोगों को नौकरी में प्रमोशन मिलने की संभावना है और कार्य स्थल पर उच्च अधिकारियों का पूरा समर्थन मिलेगा। फैसले आसानी से ले पाएंगे और आपके पुराने समय से रुके काम फिर से शुरू होंगे।
वृश्चिक: तरक्की के योग बन रहे हैं। कामकाज पूरे होंगे। धन लाभ होगा। गुरु कई तरह से लाभान्वित भी कर सकता है। नौकरीपेशा और व्यापारी वर्ग के लिए समय उत्तम रहेगा। आपको आर्थिक तौर पर अधिक मजबूत करने का कार्य करेगा। धर्म–कर्म, व्रत व दान के लिए उत्तम समय है। वाणी के संयम से आपके कई रुके हुए कार्य फिर से शुरू होंगे और आपको लाभ मिलेगा। बच्चों से भी लाभ होगा।
धनु: सुखद सूचना मिलेगी। रोजमर्रा के कामों से फायदा हो सकता है। कई तरह के शुभ समाचार मिलने की संभावना है। व्यापारियों को व्यापार विस्तार में सहायता मिलेगी। प्रेम विवाह करने वाले जातकों के लिए भी समय अनुकूल है।अधूरे कार्य पूरे होंगे और आपको इसका श्रेय भी मिलेगा।
मकर: सफलता के साथ स्थान परिवर्तन के योग बन रहे हैं। सेहत संबंधी परेशानी रहेगी। यात्रा के योग भी हैं। औसत परिणाम प्राप्त होने की संभावना है। विद्यार्थी वर्ग को अच्छे लाभ मिल सकते हैं। विदेश यात्रा से भी लाभ मिलने की संभावना है। स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही न करें और बिना तैयारी के बौद्धिक चर्चाओं में न उतरें।
कुंभ: मकान व वाहन जैसी चीजों पर व्यय कर सकते हैं। पेट व गले में बीमारी हो सकती है। संतान की सेहत को लेकर परेशान रहेंगे। योजनाएं अधूरी रह सकती है। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी। अपने कार्य में बदलाव नहीं करने की सलाह है। नए मित्र बन सकते हैं।
मीन: धैर्य के साथ काम लें और स्थिति को अनुकूल बनाने का प्रयास करें। किस्मत का साथ मिलेगा। सम्मान भी बढ़ेगा। संपत्ति लाभ के योग बन रहे हैं। वैवाहिक व घरेलू जीवन में आपको कलह और आपसी विवाद की स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। व्यापारी और नौकरीपेशा वर्ग के लिए समय अनुकूल है और आपको उच्च अधिकारियों से भरपूर सहयोग मिलेगा। यात्रा के योग हैं, ब्लड प्रेशर की संभावना है।
यदि आपकी राशि में गुरु के इस गोचर के कारण कोई परेशानी लगती है तो नीचे लिखे उपाय कर सकते हैं-
· गुरुवार को घी का दान करें।
· अपने घर में कपूर का दीपक जलाएं।
· गुरुवार के दिन हल्दी व चना दाल का दान करें और गाय को रोटी खिलाएं।
· गुरुवार के दिन पुखराज रत्न को सोने की अंगूठी में जड़वाकर तर्जनी उंगली में धारण करें।
· पीपल के पेड़ को जल दें।
· केसर का तिलक अपने माथे पर लगाएं तथा पीला रूमाल अपने पास रखें।
· केले के वृक्ष की पूजा गुरुवार के दिन करें तथा पीले पदार्थ गरीबों में बांटें।
· पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करें तथा गाय का घी दान करें।
· शिव भगवान की आराधना करें तथा शिव भगवान का रुद्राभिषेक करें।
· पीले वस्त्र धारण करें और गरीबों को यथासंभव दान करें।
· शिव सहस्त्र नाम का शिवलिंग पर रोज जल चढ़ाएं, जरूरतमंद को गेहूं व हल्दी का दान करें और गरीबों को भोजन करवाएं। पाठ करें।
· बड़ों का सम्मान करें। अधार्मिक कृत्यों से दूर रहें।
· गायत्री चालीसा का पाठ करें।
मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, 458 सैक्टर-10, पंचकूला। फोनः 9815619620