CHANDIGARH: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब कैबिनेट ने सोमवार को पंजाब आबकारी नीति 2021-22 को मंज़ूरी दे दी और आबकारी के राजस्व से 7002 करोड़ रुपए के अनुमानित लाभ का लक्ष्य निश्चित किया जो कि मौजूदा वर्ष के 5794 करोड़ रुपए की अपेक्षा 20 प्रतिशत अधिक है।समूचे तौर पर आबकारी नीति में रिटेल लाइसैंसियों को राहत देना और शराब कारोबार को बढ़ावा देने के पक्षों को रखा गया है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस नीति का मकसद मौजूदा ठेकोंका नवीकरण करना है बशर्ते कि लाइसैंसियों द्वारा अतिरिक्त शराब उठाई जाये जिससे 2020-21 के दौरान राजस्व में 12 प्रतिशत की न्यूनतम वृद्धि यकीनी बनेगी। मौजूदा वर्ष का राजस्व 5794 करोड़ रुपए रहने की उम्मीद है जो कि बीते वर्ष के 5027 करोड़ रुपए की अपेक्षा 15 प्रतिशत अधिक है।प्रवक्ता ने आगे बताया कि कोविड -19 के कारण पेश आईं मुश्किलों के बावजूद वर्ष 2020-21 के दौरान आबकारी विभाग के शानदार प्रदर्शन के चलते राज्य सरकार को बजट के लक्ष्य अर्थात 5578 करोड़ रुपए से भी 300 करोड़ रुपए अधिक कमाई होने की आशा है।
यदि इस लक्ष्य में सफलता मिलती है तो सरकार का राजस्व 2019-20 के 5073 करोड़ रुपए से 2 वर्षों में 40 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि दर्ज करता हुआ 2021-22 में 7000 करोड़ रुपए तक पहुँच सकता है। विभाग की तरफ से देसी शराब का कोटा 12 प्रतिशत बढ़ाकर (लाइसैंसी द्वारा बेची जाने वाली शराब की न्यूनतम मात्रा), भारत में बनी विदेशी शराब का कोटा 6 प्रतिशत और बीयर का कोटा 4 प्रतिशत क्रमवार बीते वर्ष के मुकाबले बढ़ाकर अतिरिक्त राजस्व जुटाने का विचार है। नयी पहल के अंतर्गत विभाग की तरफ से नगर निगम क्षेत्रों और ‘ए’ श्रेणी की नगर कौंसिलों में विदेशी शराब के लिए कोटा लागू किये जाने का प्रस्ताव है।
यह आबकारी नीति विशेष तौर पर समाज के उन वर्गों को राहत देने के लिए तैयार की गई है जिन पर कोविड -19 का नकारात्मक प्रभाव पड़ा था। न सिफऱ् होटलों और रैस्टोरैंटों के बार में सालाना निर्धारित लाइसेंस फीस ही 30 प्रतिशत तक घटाई गई है बल्कि शराब का उपभोग करने (मुल्यांकन की फीस) पर लागू फीस भी घटा दी गई है। मैरिज पैलेसों की सालाना लाइसेंस फीस भी 20 प्रतिशत तक घटा दी गई है। इस राहत के साथ आतिथ्य क्षेत्र जो कि कोविड के दौर के समय बुरी तरह प्रभावित हुआ था, को बड़े स्तर पर मदद मिलेगी।
यह नीति मौजूदा ठेकों के नवीनीकरन की आज्ञा देती है बशर्ते कि लाइसैंसियों द्वारा अतिरिक्त शराब उठाई जाये। इस कदम के साथ शराब के उद्योग में न सिफऱ् स्थिरता आयेगी बल्कि राज्य के खजाने को अतिरिक्त राजस्व का लाभ मिलेगा। सरकार की तरफ से देसी शराब पर टैक्सों में विस्तार नहीं किया गया और उपभोक्ताओं के लिए बीते वर्ष की कीमतें ही कायम रखी गई हैं।
इससे कानूनी तौर पर शराब की बिक्री में मदद मिलेगी और विभाग को सस्ती नाजायज शराब की बिक्री रोकने में भी सहायता मिलेगी जो कि उपभोक्ताओं के जीवन और सेहत के लिए ख़तरनाक है। शराब की बिक्री कीमत में कोई वृद्धि नहीं होगी।‘ऑपरेशन रेड रोज़’ की कामयाबी के मद्देनजऱ विभाग की तरफ से इस ऑपरेशन के अंतर्गत इन्फोर्समैंट गतिविधियों को जारी रखने का संकल्प किया गया है। विभाग की तरफ से राज्य में शराब के उत्पादन, ढुलाई और जमा करने पर नजऱ रखने के लिए और आधुनिक तकनीक का सहारा लिए जाने की भी योजना है।सरकार की तरफ से मौजूदा एल-13 थोक लाइसैंसियों की जगह पर शराब के सभी थोक व्यापार की ऑनलाईन विधि द्वारा निगरानी की जायेगी। कनवर्शन कोटे को बढ़ाकर 15 से 20 प्रतिशत किया गया है।
निर्धारित और ओपन कोटो की प्रतिशतता को 30:70 पर रखा गया है जो कि मौजूदा स्थिति है।राज्य सरकार की तरफ से नयी डिस्टिलरियां, कारख़ाने या बॉटलिंग प्लांट स्थापित करने पर बन्दिशें लगाने का फ़ैसला किया गया है। यह भी तय किया गया है कि मौजूदा वर्ष में उत्पादन इकाईयाँ स्थापित करने के लिए कोई नया लेटर ऑफ इंटैंट न जारी किया जाये।
सरकार ने बॉटलिंग प्लांट लगाने के लिए जारी लेटर ऑफ इंटैंटस को 31 मार्च, 2023 तक अपने प्रोजैक्ट पूरे करना लाजि़मी कर दिया है।राजस्व में वृद्धि करने के लिए नगर निगमों, ए-श्रेणी की नगर कौंसिलों में विदेशी शराब निर्यात करने के लिए एक न्यूनतम गारंटी कोटा शुरू किया गया है।
एल-1(आयात)/एल-1बी बी लाइसेंसियों को पंजाब में ही स्थित कस्टम बांडिड वेयरहाऊसों से ही आई.एफ.एल. खरीदनी पड़ेगी।ईथानोल उत्पादकों और कृषि उपजों के उचित इस्तेमाल करने वालों को प्रोत्साहन देने के लिए एक नया लाइसेंस (ई-2) शुरू किया गया है ताकि नाममात्र फीस के साथ ईथानोल आधारित डिस्टीलेशन प्लांट स्थापित किया जा सके।पंजाब के सरहदी क्षेत्रों को निर्धारित लाइसेंस फीस का 25 प्रतिशत हिस्सा अतिरिक्त निर्धारित लाइसेंस फीस में तबदील करके बड़ी राहत दी गई है।