हरियाणा में अनाथ बच्चो का पालन-पोषण करेगी सरकार, पूरी योजना के बारे में जानिए यहां

CHANDIGARH: हरियाणा सरकार की प्रत्येक परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चे का उत्थान करने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 5 वर्ष की आयु से पहले परित्यक्त या 1 वर्ष की आयु से पहले आत्मसमर्पित और राज्य के बाल देखभाल संस्थानों से 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके ऐसे परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों को रोजगार, शैक्षिक और वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए ‘हरिहर’ (बेघर परित्यक्त और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चों का पुनर्वास पहल हरियाणा) नीति को स्वीकृति प्रदान की गई।

नीति का उद्देश्य 5 वर्ष की आयु से पहले (परित्यक्त के रूप में) या 1 वर्ष की आयु से पहले (आत्मसमर्पण के रूप में) राज्य के बाल देखभाल संस्थानों में दाखिल और जो बाल देखभाल संस्थानों में 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं और आवश्यक शैक्षणिक योग्यता रखते हैं,  ऐसे परित्यक्त एवं आत्मसमर्पित बच्चों को अनुकंपा आधार पर रोजगार और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) का दर्जा प्रदान करना है। इसके अलावा ऐसे परित्यक्त एवं आत्मसमर्पित बच्चों को 25 वर्ष की आयु या विवाह, जो भी पहले हो, तक तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण और देखभाल, पुनर्वास और वित्तीय सहायता सहित नि:शुल्क स्कूल एवं उच्चतर शिक्षा और हरियाणा में मकान खरीदने के लिए एक बार ब्याज मुक्त ऋण दिया जाएगा।

पांच वर्ष की आयु से पहले (परित्यक्त के रूप में) या 1 वर्ष की आयु से पहले (आत्मसमर्पण के रूप में) राज्य के बाल देखभाल संस्थानों में दाखिल और जो बाल देखभाल संस्थानों में रहते हुए 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं और मूल शैक्षणिक योग्यता पूरी करते हैं, ऐसे 25 वर्ष की आयु के परित्यक्त  और आत्मसमर्पित बच्चे उपायुक्त की अध्यक्षता में संबंधित जिला अनुमोदन समिति द्वारा सिफारिश किए जाने के बाद अनुकंपा आधार पर  ग्रुप सी एवं डी में रोजगार और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का दर्जा प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे। लाभार्थी केवल एक बार ही अनुकंपा आधार पर रोजगार के तहत रोजगार और ईडब्ल्यूएस के दर्जे का लाभ उठा सकता है।

नीति के अनुसार, ऐसे बच्चों को 25 वर्ष की आयु तक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में छात्रावास की सुविधा के साथ तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और औद्योगिक प्रशिक्षण सहित नि:शुल्क शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा प्रदान की जाएगी।

यदि देखभाल के बाद परित्यक्त और आत्मसमर्पित लाभार्थी को अनुकंपा आधार पर नौकरी मिलती है, तो उसका वेतन एक फिक्स्ड डिपॉजिट खाते में जमा किया जाएगा और 25 वर्ष की आयु या विवाह के बाद या आफ्टर केयर से निकलने के विकल्प, जो भी पहले हो, के बाद ही राशि को निकालने की अनुमति दी जाएगी। ऐसे व्यक्ति को अपने जीवनयापन के खर्च के लिए प्रतिमाह अपने वेतन से 20 प्रतिशत वेतन अग्रिम मिलेगा और वह वित्तीय सहायता के लिए पात्र नहीं होगा। उन्हें विवाह के समय मकान खरीदने के लिए एक बार ब्याज मुक्त ऋण प्रदान किया जाएगा।
आफ्टर केयर के वे व्यक्ति जिन्हें नौकरी में नियुक्त नहीं किया गया है, उन्हें राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग की सामाजिक सुरक्षा पेंशन (विकलांगता पेंशन) के बराबर उनके पुनर्वास के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त होगी। नि:शुल्क शिक्षा और वित्तीय सहायता के इन प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए स्कूल शिक्षा, उच्चतर शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण और महिला एवं बाल विकास विभागों द्वारा उपयुक्त अधिसूचना जारी की जाएगी।

बाल कल्याण समिति द्वारा किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अनुसार परित्यक्त और आत्मसमर्पित बच्चों को बाल गृह एवं विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसियों में रखा जाता है। ये बच्चे गोद लेने के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं, हालांकि, यदि उन्हें गोद नहीं लिया जाता है तो 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर उन्हें अपने जीवनयापन और सम्मान के साथ जीने के लिए सहायता की आवश्यकता होगी।

ये बच्चे अक्सर सरकारी योजनाओं और लाभों से वंचित रह जाते हैं जो उन्हें आत्मसम्मान के साथ अपना जीवन जीने में असमर्थ बनाते हैं। इसलिए, यदि उपयुक्त नौकरी के अवसर दिए जाएं, तो ये बच्चे अपने जीवन में पूरी गंभीरता और आत्म सम्मान के साथ आगे बढ़ेंगे। यह नीति 5 वर्ष की आयु से पहले परित्यक्त और 1 वर्ष की आयु से पहले के आत्मसमर्पित ऐसे बच्चों के कल्याण और पुनर्वास के लिए है, जिन्होंने बाल देखभाल संस्थानों में रहते हुए 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली है और शिक्षा प्राप्त कर अपनी पूर्ण क्षमता विकसित की है।

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