CHANDIGARH: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ऑनलाइन-गेमिंग की बढ़ती प्रवृति से विद्यार्थियों के अभिभावकों को सचेत किया है व परामर्श दिया है। एक सरकारी प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रौद्योगिकी के नए युग में ऑनलाइन गेमिंग,इसमें निहित चुनौतियों की वजह से बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहा है। क्योंकि ये चुनौतियां उनमें उत्तेजना बढ़ाती हैं और उन्हें अधिक खेलने के लिए प्रेरित करती हैं। इससे बच्चों को इसकी लत लग सकती है। ऑनलाइन गेम या तो इंटरनेट पर या किसी अन्य कंप्यूटर नेटवर्क से खेले जा सकते हैं।
ऑनलाइन गेम लगभग हर किसी गेमिंग प्लेटफॉर्म जैसे पीसी, कंसोल और मोबाइल डिवाइस पर देखे जा सकते हैं। ऑनलाइन गेमिंग को फोन या टैबलेट के उपयोग से खेला जा सकता है जो ऑनलाइन गेम की लत का एक सामान्य कारक है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग की लत को गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में जाना जाता है। खेल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि प्रत्येक स्तर पिछले की तुलना में अधिक जटिल और कठिन होता है। यह एक खिलाड़ी को खेल में आगे बढऩे के लिए खुद को अंतिम सीमा तक जाने के लिए उकसाने का कारण बनता है।। इसलिए, बिना किसी प्रतिबंध और आत्म-संयम के ऑनलाइन गेम खेलने से कई खिलाड़ी इसके आदी हो जाते हैं और अंतत: उनमें गेमिंग डिसऑर्डर पाया जाता है। गेमिंग कंपनियां भावनात्मक रूप से बच्चों को खेल के और अधिक चरण (लेवल) या ऐप को खरीदने के लिए भी लगभग मजबूर करती हैं।
प्रवक्ता के अनुसार इसी के मद्देनजर माता-पिता और शिक्षकों को यह परामर्श दिया जाता है कि वे ऑनलाइन गेमिंग की वजह से बच्चों में होने वाली मानसिक एवं शारीरिक समस्याओं से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।