पूर्व मुख्यमंत्री बोले-किसानों को एमएसपी देने का दावा करने वाली सरकार मंडियों में जाकर देखे सच्चाई
किसान, गरीब और आम आदमी की पहुंच से बाहर हुए ईंधन के दाम
CHANDIGARH: किसानों को एमएसपी देने का दावा करने वाली सरकार एक बार मंडियों में जाकर सच्चाई देखे और पता लगाए कि किसान को मक्का का क्या रेट मिल रहा है। 1850 रुपए एमएसपी वाला मक्का 1300-1400 रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर पिट रहा है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा ने कहा कि एक तरफ सरकार किसानों को धान छोड़कर मक्का उगाने के निर्देश जारी करती है। दूसरी तरफ मक्का किसानों को एमएसपी तक नहीं देती। स्पष्ट है कि सरकार किसानों को किसी भी फसल का उचित रेट नहीं देना चाहती।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक तरफ मंडियों में एक के बाद एक किसान की फसलें पीट रही हैं। वहीं दूसरी तरफ उसपर पेट्रोल-डीजल की मार पड़ती जा रही है। इसकी वजह से लगातार खेती की लागत में बढ़ोतरी हो रही है। रोज-रोज बढ़ने वाले पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों से आम आदमी पूरी तरह परेशान हो चुका है। ईंधन का खर्च उठाना अब आम आदमी के बूते की बात नहीं रही। कांग्रेस सरकार के मुकाबले हर चीज के रेट लगभग दोगुने हो चुके हैं। जबकि मंदी और महामारी के कारण लोगों की आय कम होती जा रही है।
अगर हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार को जनता की कोई फिक्र होती तो वो वैट में कटौती करके उसे राहत दे सकती थी। सरकार को वैट दर घटाकर कांग्रेस कार्यकाल जितना करनी चाहिए। लेकिन ऐसा करने की बजाए प्रदेश सरकार कल्याणकारी योजनाओं में ही कटौती करने में लगी है। गरीब लोगों को राशन कार्ड पर मिलने वाली दाल, अनाज और तेल में लगातार कटौती हो रही है। इसबार सरकार ने राशन कार्ड धारकों को सरसों तेल के बदले उनके खाते में पैसे डालने का ऐलान किया था। लेकिन 11 लाख 40 हजार लोगों को इसबार ना तेल मिला और ना ही सरकार द्वारा घोषित राशि। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मंदी और महामारी के दौर में जनता का सहारा बनने की बजाए सरकार ने उसे बाजार के भरोसे छोड़ दिया है।
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री ने फरीदाबाद के खोरी गांव में लोगों पर हुए बल प्रयोग की भी निंदा की। उन्होंने कहा कि सरकार गांववालों को खदेड़ने की बजाए उनके पुनर्वास की व्यवस्था करे। उसे लोगों से संवाद स्थापित कर वैकल्पिक व्यवस्था पर सहमति बनानी चाहिए। इस तरह सैंकड़ों लोगों के आशियाने को उजाड़ना उचित नहीं है। सरकार को इन परिवारों के पुनर्वास की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।