NEW DELHI: पिछले एक साल में कोरोना ने तमाम खास मौके फीके कर दिए लेकिन वेलेंटाइन-डे पर इसका असर कम ही देखने को मिलेगा। इसलिए देश के तमाम होटल, रेस्टोरेंट्स, क्लब आदि में इस दिन को लेकर विशेष तैयारियां चल रही हैं तो लोग 14 फरवरी को राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में गुलाबों के बीच भी इस दिन को यादगार बना सकेंगे। क्योंकि मुगल गार्डन 13 फरवरी से आम जनता के लिए खोला जा रहा है।
हर साल प्रकृति प्रेमियों को राष्ट्रपति भवन स्थित मुगल गार्डन के खुलने का इंतजार रहता है। गुलाब, ट्यूलिप जैसे अनेक फूलों की खूबसूरती को निहारने बड़ी संख्या में लोग मुगल गार्डन आते हैं। इस साल भी राष्ट्रपति आज उद्यानोत्सव का शुभारंभ कर रहे हैं लेकिन इस बार कोरोना काल के चलते मुगल गार्डन की सैर के लिए कुछ अतिरिक्त सावधानियां बरतनी होंगी। साथ ही कुछ नए नियमों का पालन करना होगा।
ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य
मुगल गार्डन में प्रवेश के लिए लोगों को पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। अग्रिम ऑनलाइन बुकिंग https://rashtrapatisachivalaya.gov.in इस लिंक के माध्यम से करवाई जा सकती है। राष्ट्रपति भवन द्वारा बताया गया है कि मुगल गार्डन की सैर के लिए सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच एक-एक घंटे के सात अग्रिम बुकिंग स्लॉट उपलब्ध होंगे। प्रत्येक स्लॉट में अधिकतम 100 लोगों को प्रवेश दिया जाएगा। आगंतुकों को अंतिम प्रवेश शाम 4 बजे दिया जाएगा और प्रवेश राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर-35 से होगा। पहले राष्ट्रपति भवन से टिकट लेकर भी मुगल गार्डन देखने जा सकते थे। इस बार कोरोना को देखते हुए सिर्फ ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है।
ये सामान नहीं ले जा सकेंगे साथ
राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा व्यवस्था बेहद पुख्ता होती है। बहुत -सी चीजें लोग अपने साथ नहीं ले जा सकते। ऐसे में मुगल गार्डन भ्रमण के लिए आने वाले लोगों से राष्ट्रपति भवन ने आग्रह किया है कि मुगल गार्डन जाते हुए लोग अपने साथ पानी की बोतल, ब्रीफकेस, पर्स, कैमरा, रेडियो डिब्बे, छाता और खाद्य सामग्री लेकर न जाएं। राष्ट्रपति भवन में जनता के लिए निर्धारित किए गए मार्ग में विभिन्न स्थानों पर पेयजल, प्रसाधन और प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
कोरोना से बचाव के नियमों का करना होगा पालन
कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। मुगल गार्डन में आने वाले सभी लोगों को कोरोना से बचाव के उपाय अपनाने होंगे। प्रवेश द्वार पर आगंतुकों को थर्मल स्क्रीनिंग से होकर गुजरना होगा। कोरोना के कारण आगंतुकों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी। हाथ सैनेटाइज करने, मास्क पहनने और सामाजिक दूरी जैसे कोरोना से बचाव संबंधी नियमों का पालन करना होगा। राष्ट्रपति भवन द्वारा कहा गया है कि कोविड महामारी से संबंधित अति संवेदनशील लोग उद्यानोत्सव में शामिल होने से बचें।
क्यों है मुगल गार्डन इतना खास
• प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने मुगल गार्डन को आम नागरिकों के लिए खोलने का आदेश जारी किया था।
• मुगल गार्डन का निर्माण सन 1928 में हुआ था। एडवर्ड लुटियंस ने इसकी रचना की।
• मुख्य उद्यान के दोनों ओर उत्तरी और दक्षिणी सीमाओं पर ऊंचे तल पर लंबी क्यारियां हैं।
• उद्यान में गुलाब की 150 प्रमुख प्रजातियां हैं, जिसके कारण यह विश्व के सबसे अच्छे उद्यानों में से एक है।
• इसमें बोन्न नुइट, ओलाहोमा जैसे गुलाब भी हैं, जो कि कालेपन के नजदीक होते हैं। नीले रंगों में यहां पैराडाइज, ब्लू मून, लेडी एक्स हैं। यहां पर दुर्लभ हरा गुलाब भी मिलता है।
• गुलाबों के नाम बहुत ही रोचक हैं। बहुत से भारतीयों के नाम पर भी यहां गुलाब हैं, जैसे मदर टेरेसा, अर्जुन, भीम, राजा राम मोहन राय, जवाहर, डॉ. बी.पी. पाल, जॉन एफ-केनेडी और क्वीन एलिजाबेथ।
• उद्यान में विभिन्न प्रकार के फूलों को इस तरह से रखा गया है कि वे एक सुसंगत, प्राकृतिक तथा मनोरम प्रभाव उत्पन्न करें।
• मौसमी फूलों की पौध को वर्ष में दो बार राष्ट्रपति के द्वारा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर ‘एट होम’ के आयोजन की तैयारी के लिए रोपा जाता है, जो कि केंद्रीय लॉन में आयोजित होते हैं।
• सर्दियों के दौरान उद्यान ऐसे बहुत-सी वार्षिक प्रजातियों से भर जाता है। इनमें कैलेंडुला, एन्टिर्हनम्, एलिसम, डाइमोरफोथेसा, एस्सोलजिया (कैलिफोर्नियन पौपी), लाक्र्सपर, जरबेरा, गोडेटिया, लिनारिया शामिल हैं।
• क्यारियों और उसके चारों ओर बहुत से शाकीय वार्षिक तथा द्विवार्षिक पौधे उगते हैं। ये क्यारियां लॉनों के कोनों पर अथवा पटरियों के साथ-साथ हैं।
• इन क्यारियों के बीचों-बीच एक फव्वारा है, जो कि अंदर की ओर गिरकर एक कुएं की शक्ल बनाता है। पश्चिम कोने पर दो बुर्ज हैं और पूर्वी कोने पर दो सुंदर ढंग से निर्मित संतरी चौकियां हैं।
- दुर्लभ और आकर्षक गुलाबों के लिए प्रसिद्ध इस उद्यान में इस वर्ष ग्रेस द मोनाको नाम का गुलाब खास होगा, इसे मोनाको के राजा एल्बर्ट द्वितीय ने यहां रोपा था। (PBNS)
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