CHANDIGARH: चंडीगढ़ में रहने वाले अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ी जाति के लोगों को जाति प्रमाण पत्र लेने में आ रही परेशानियों के समाधान के लिए भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद के नेतृत्व में आज पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने चंडीगढ़ प्रशासन के उपायुक्त मनदीप सिंह बराड़ से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में अन्य पिछड़ी जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नाथीराम मेहरा, महामंत्री ओम प्रकाश मेहरा और राजिन्द्र बग्गा, अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार, महामंत्री भरत कुमार शामिल थे।
जटिल है आवेदन की प्रक्रिया
प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को अन्य पिछड़ी जाति के प्रमाण पत्र बनवाने में आने वाली परेशानियां बताते हुए कहा कि चंडीगढ़ में लगभग 60 प्रकार की जातियां इस वर्ग में आती हैं। वर्तमान में चंडीगढ़ में इस श्रेणी के लोगों को प्रमाण पत्र प्राप्त करना युद्ध जीतने के समान हो गया है। लोगों को एक तो दो राजपत्रित अधिकारियों से हस्ताक्षर करवाने होते हैं और साथ ही जिन अधिकारियों ने उस पर हस्ताक्षर किए हों, उनका पहचान पत्र भी साथ लगाना पड़ता है।
वार्ड पार्षद को दिया जाए आवेदन के सत्यापन का अधिकार
भाजपा नेताओं ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन के नियमों के अनुसार अधिकतर तो राजपत्रित अधिकारी न तो लोगों के जानकार होते हैं और कोई भी अपना पहचान पत्र देने में भी हिचकाता है। इससे अधिकतर लोग प्रमाण पत्र हासिल कर पाने में असहाय महसूस करते हैं। उन्होंने उपायुक्त से आग्रह किया कि चंडीगढ़ में रहने वाले लोगों को प्रमाण पत्र आसानी से उपलब्ध हो सके, इसके लिए नियमों में परिवर्तन करना जरूरी हो गया है। भाजपा नेताओं ने मांग की कि चंडीगढ़ के आसपास के प्रदेशों की तर्ज पर नियमों में परिवर्तन कर जाति प्रमाण पत्र के आवेदन को सत्यापित करने का अधिकार वार्ड के पार्षद को देना चाहिए। उनके सत्यापन के उपरांत चंडीगढ़ प्रशासन जाति प्रमाण पत्र जारी करे।
मध्य प्रदेश की पॉलिसी अपनाने पर जोर
अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र हासिल करने को लेकर आ रही परेशानियों के बारे में प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को बताया कि इस श्रेणी के लोगों को प्रमाण पत्र लेने के लिए वर्ष 1966 का रिहायशी प्रमाण पत्र संलग्न करना होता है। इस विषय पर प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद ने उपायुक्त को बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन के पास खुद का रिकॉर्ड भी वर्ष 1966 का नहीं है, ऐसे में आवेदन करने वाला व्यक्ति कहां से रिहायशी प्रमाण पत्र संलग्न करेगा। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के नियम का हवाला देते हुए कहा कि वहां यदि कोई व्यक्ति कम से कम 5 वर्षों का अपना वोटर कार्ड और आधार कार्ड संलग्न करता है तो उसका जाति प्रमाण पत्र जारी हो जाता है। क्यों न चंडीगढ़ में भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर प्रमाण पत्र जारी करने के लिए चंडीगढ़ के नियमों में संशोधन किया जाए और जो व्यक्ति प्रमाण पत्र का आवेदन कर रहा हो उसी के दस्तावेजों को लिया जाए, न कि उनके बुजुर्गों का। इस संशोधन से चंडीगढ़ में अनुसूचित जाति के लोगों को भी आसानी से प्रमाण पत्र प्राप्त हो सकेंगे।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी दिया सुझाव
प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को अवगत कराया कि जिन लोगों का वर्ष 1966 के आधार पर किसी अन्य राज्य में अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ है उसके सत्यापन के लिए भी वर्तमान में जिस व्यक्ति ने आवेदन करना होता है उसको स्वयं ही सत्यापन करवाने के लिए उस राज्य के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इस नियम को भी सरल बनाने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि नियमों में परिवर्तन कर क्यों न चंडीगढ़ में उस क्षेत्र के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के माध्यम से ईमेल, पत्राचार और टेलीफोन के द्वारा उसका विभाग द्वारा ही सत्यापन करवाया जाए और यदि एक माह तक कोई जवाब नहीं आता तो उस प्रमाण पत्र को सत्य मान लिया जाए और आवेदक को बिना किसी परेशानी के प्रमाण पत्र जारी कर दिया जा।
डीसी ने दिया परेशानी के जल्द समाधान का आश्वासन
प्रतिनिधिमंडल की इस मांग को लेकर उपायुक्त मनदीप सिंह बराड़ ने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (सेंट्रल) हरजीत सिंह संधू को बुधवार तक इस समस्या को हल करने से जुड़े पहलुओं को बारीकी से चेक करने के लिए कहा और आश्वासन दिया कि आने वाले दिनों में जल्द ही इस परेशानी का समाधान किया जाएगा।