ANews Office: रूस में कोरोना की वैक्सीन बना लिए जाने के दावे के बाद अब एक और अच्छी खबर अमेरिका से आई है। अमेरिकी रिसर्चर्स ने एक ऐसी दवा का पता लगाया है जो कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में कोरोना वायरस की संख्या बढ़ने (रेप्लिकेट) से रोकेगी। हालांकि यह दवा बाजार में पहले से मौजूद है लेकिन अब इसे कोरोना के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस दवा का नाम है एब्सेलेन। इसका प्रयोग अभी तक बायपोलर डिसऑर्डर और सुनने की क्षमता घटने (हियरिंग डिसऑर्डर) की बीमारी के इलाज में किया जाता है।
अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी ने किया रिसर्च
एब्सेलेन नामक दवा पर नया रिसर्च अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी ने किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक इस दवा से ऐसे एंजाइम्स को कंट्रोल किया जाएगा, जो शरीर में कोरोना की संख्या को बढ़ाते हैं। साइंस एडवांसेस जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार एम-प्रो नाम का एंजाइम कोरोना वायरस को रिप्लीकेट (वायरस की संख्या बढ़ना) होने से रोकने में बेहद मददगार है। यही RNA कोरोना का स्पाइक प्रोटीन बनाता है। एम-प्रो एंजाइम की मदद से कोरोना शरीर में संख्या बढ़ाता है और मरीज की हालत नाजुक हो जाती है। अब वैज्ञानिक इसी एंजाइम को कंट्रोल करके इलाज करेंगे।
कोरोना महामारी के खिलाफ हथियार
शोधकर्ता जुआन डी-पैब्लो के अनुसार जो दवा टीम ने पता की है वो कोरोना के एंजाइम एम-प्रो के खिलाफ हथियार की तरह काम करेगी। इसे कंट्रोल करने में एब्सेलेन नाम के रसायन का प्रयोग होगा। इसमें एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटी-ऑक्सीडेटिव जैसी खूबियां हैं। इससे कोशिकाओं को नष्ट होने से रोका जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल पहले ही बायपोलर और हियरिंग लॉस जैसी बीमारियों में किया जा रहा है। इन बीमारियों के इलाज में यह दवा काफी कारगर साबित हुई है।
दो तरह से काम करती है दवाई
शोधकर्ताओं के अनुसार क्लीनिकल ट्रायल में साबित हो चुका है कि एब्सेलेन दवाई इंसानों के लिए सुरक्षित है। अब इसका इस्तेमाल कोरोना के इलाज में किया जा सकेगा। रिसर्चर्स के अनुसार फिलहाल वे कोरोना के उन प्रोटींस का पता लगा रहे हैं, जो संक्रमित व्यक्ति की हालत नाजुक कर देते हैं। इससे वायरस के नए खतरों का पता लगाकर उनका इलाज खोजा जाएगा।