बीते वर्ष की थी 1000 टन टमाटर की आपूर्ति
भावान्तर भरपाई योजना भी किसानों के लिए फायदेमंद
CHANDIGARH: हरियाणा में बागवानी व सब्जी उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने के मकसद से राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई भावांतर भरपाई योजना किसानों को उनका लागत मूल्य दिलाने के लिहाज से काफी कारगर साबित हो रही है और एफ.पी.ओ. ने इस काम को और भी आसान कर दिया है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने प्रदेश में 1000 से अधिक एफ.पी.ओ. बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इनमें से टमाटर की खेती से जुड़े कुछ एफ.पी.ओ. ने पिछले दो साल में किसानों की समृद्धि के सफर में अहम भूमिका निभाई है।
बागवानी विभाग के प्रवक्ता ने इस बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा में मई व जून के महीने टमाटर की फसल की बिक्री के लिहाज से बहुत ही संवेदनशील रहते हैं, क्योंकि इन महीनों में टमाटर की फसल पककर तैयार हो जाती है और मंडियों में बंपर आवक होने से फसल के दाम गिरने की पूरी सम्भावना बनी रहती है। कोविड काल में तो स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
उन्होंने बताया कि गत वर्ष इस स्थिति पर काबू पाने के लिए हरियाणा सरकार ने बागवानी विभाग तथा लघु कृषक कृषि व्यापार संघ हरियाणा के माध्यम से आसपास की फूड प्रोसेसिंग कम्पनियों व राज्य के एफ.पी.ओ. का समझौता करवा कर लगभग 1000 टन टमाटर की आपूर्ति करवाई थी। उन्होंने बताया कि जब मंडियों में टमाटर के दाम निर्धारित मूल्य से कम रहते हैं तो उस स्थिति में किसान को भाव के इस अन्तराल की राज्य सरकार की भरपाई भावान्तर भरपाई योजना के तहत की जाती है।
प्रवक्ता ने बताया कि टमाटर की पैदावार को देखते हुए इस वर्ष भी राज्य के एफ.पी.ओज. ने फूड प्रोसेसिंग कम्पनियों को टमाटर की आपूर्ति शुरू कर दी है। अब तक यमुनानगर जिले के 3 एफ.पी.ओ. नामत: मैसर्ज रादौर फाम्र्स प्रोड्यूसर कम्पनी लि., मैसर्ज सढ़ौरा किसान प्रोड्यूसर कम्पनी लि. व मैसर्ज सिलीकलां फाम्र्स प्रोड्यूसर लि.द्वारा कंपनी को अब तक 450 टन से ज्यादा टमाटर की आपूर्ति की जा चुकी है। यह काम अकेले किसान के लिए अपने स्तर पर संभव नहीं है जबकि एफ.पी.ओ. के माध्यम से यह आसानी से किया जा सकता है।
इस बारे में यमुनानगर के तीनों एफ.पी.ओज के निदेशकों का कहना है कि अगर बागवानी विभाग तथा लघु कृषक कृषि व्यापार संघ हरियाणा का सहयोग उनके एफ.पी.ओ. को नहीं मिलता तो करोना काल में टमाटर की इतनी अधिक मात्रा में आपूर्ति करना संभव नहीं था। किसान के अपने स्तर पर तो टमाटर से उनका खेती का खर्च भी पूरा नहीं हो पाता।
उन्होंने बताया कि कंपनी को की जा रही टमाटर की आपूर्ति को लेकर विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर खेतों का दौरा भी किया जा रहा है, ताकि एफ.पी.ओ. को किसी प्रकार की समस्या का सामना न करने पड़े। अपनी फसल की बिक्री व रखरखाव से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान व एफ.पी.ओ. अपने जिले के जिला उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।