150 साल से देश देश की रीढ़ बनकर कर रहा काम

11 OCTOBER: करीब 150 से भी अधिक वर्षों से, डाक विभाग देश की रीढ़ बनकर काम कर रहा है। इसने संचार का प्रमुख साधन बनकर देश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सामाजिक और आर्थिक विकास को लेकर यह कई मायनों में भारतीय नागरिकों के जीवन को छूता है। इसके प्रमुख कार्य मेल डिलीवर करना, लघु बचत योजनाओं के तहत जमा स्वीकार करना, डाक जीवन बीमा (PLI) और ग्रामीण डाक जीवन बीमा (RPLI) के तहत जीवन बीमा कवर प्रदान करना, बिल जैसी रिटेल सेवाएं प्रदान करना और संग्रह, प्रपत्रों की बिक्री इत्यादि करना है। भारतीय डाक विभाग भी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS) वेतन वितरण और वृद्धावस्था पेंशन भुगतान जैसे नागरिकों के लिए अन्य सेवाओं के निर्वहन में भारत सरकार के लिए एक एजेंट के रूप में कार्य करता है।

वहीं अब पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार के प्रयासों से डाकघरों में कई डिजिटलाइज सेवाएं शुरू कर दी गई हैं। चिट्ठियों और मनी ऑर्डर के पुराने दौर से अलग लोगों के जीवन को और आसान बनाने के लिए ऐसे किया गया है। उदाहरण के तौर पर अब लोग इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के जरिए QR कोड का इस्तेमाल कर अपने खाते में पैसे जमा और निकासी कर सकते हैं। खासतौर से वरिष्ठ नागरिकों को इस सेवा से काफी सहूलियत मिली है।

दुनिया में सबसे बड़ा डाक नेटवर्क

1,55,531​ पोस्ट कार्यालयों के साथ, डाक विभाग​ दुनिया में सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है, जिनमें से 139,067 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। स्वतंत्रता के समय, 23,344 डाकघर थे, जो मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में थे। इस प्रकार, भारतीय डाक विभाग ने अपने नेटवर्क को आजादी के बाद से सात गुना अधिक विस्तार दिया है। मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इस विस्तार पर ध्यान केंद्रित किया गया है। औसतन, एक डाकघर 21.56 वर्ग किलोमीटर और 7,753 लोगों की जनसंख्या वाले क्षेत्र में कार्यरत है।

डाक सेवाओं का रहा है पुराना इतिहास

डाक सेवाओं का इतना पुराना इतिहास रहा है कि इनमें से कई तो आजादी के पहले से ही देश में डाक सेवाओं प्रदान कर रहे हैं। डाकघरों की ऐतिहासिकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वाराणसी सिटी डाकघर वर्ष 1898 में निर्मित और विशेश्वरगंज स्थित वाराणसी प्रधान डाकघर वर्ष 1920 में निर्मित ब्रिटिश कालीन इमारतों में निरंतर संचालित हैं। विशेश्वरगंज स्थित प्रधान डाकघर में आज भी आजादी से पहले का लेटर बॉक्स धरोहर के रूप में लगाया गया है। वहीं, डाक बांटने के लिए डाकियों द्वारा इस्तेमाल किए गए भाले इत्यादि भी सुरक्षित रखे गए हैं। प्रधान डाकघर में स्थित फिलेटलिक ब्यूरो डाक टिकट संग्रह के शौकीनों के लिए प्रमुख स्थल है। जहाँ तमाम नए.पुराने डाक टिकट प्रदर्शित हैं।

भारत में डाक सेवा अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी। इसकी स्थापना 1854 में लॉर्ड डलहौजी ने की थी। वर्तमान में, यह संचार मंत्रालय के अधीन कार्य करता है और सबसे अधिक दुनिया में व्यापक रूप से वितरित डाक प्रणाली है। डाकघर डाक भेजता है, मनीआर्डर के रूप में धन भेजता है जो कि कई भारतीयों के लिए पैसे भेजने का एकमात्र तरीका है। डाक विभाग छोटी बचत योजनाएं भी चलाते हैं। इसके अलावा डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा के तहत जीवन बीमा कवरेज सेवा भी दी जाती है। वरिष्ठ और सेवानिवृत्त नागरिकों को यह भी पेंशन के भुगतान जैसी सरकारी सेवाओं के निर्वहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मनरेगा के तहत मजदूरी का वितरण भी डाकघरों के माध्यम से किया जाता है। भारत में 23 पोस्टल सर्कल और आर्मी पोस्ट ऑफिस सहित 9 पोस्टल जोन हैं। डाकघरों में एक 6-अंकीय पिन कोड प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता हैं, जिसे 1972 में भारत में पेश किया गया था।

भारत में पिन कोड प्रणाली

भारतीय डाक विभाग अपनी डाक सेवाओं में प्राथमिक घटक के रूप में एक पिन कोड का इस्तेमाल करता है जो डाक सूचकांक संख्या के लिए यूज किया जाता है। इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई यह जानना भी दिलचस्प है। दरअसल, भारतीय डाक विभाग की पिन प्रणाली केंद्रीय संचार मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्रीराम भीकाजी वेलणकर की देन है। उन्होंने 15 अगस्त 1972 को 6-अंकीय पिन प्रणाली प्रस्तुत की थी। पिन का पहला अंक क्षेत्र को दर्शाता है, दूसरा अंक उप-क्षेत्र को दर्शाता है और तीसरा अंक जिले को दर्शाता है। बाकी अंतिम तीन पिन अंक डाकघर के कोड को प्रदर्शित करते हैं जिसके तहत संबंधित पत्र अपने पते पर पहुंच जाता है।

उल्लेखनीय है कि देश में महामारी की स्थिति में भी भारतीय डाक कर्मचारियों ने बिना देरी किए अपनी जान जोखिम में डालकर राष्ट्र सेवा की थी, यहां तक कि इस दौरान देश में व्यापक बीमारी फैली थी। उस दौरान ये सेवाएं ही एकमात्र रास्ता थीं। परिवहन दवाएं, कोविड-19 परीक्षण किट, और मेडिकल पार्सल इन्हीं के जरिए हर दूरगामी क्षेत्र तक पहुंचाएं जा रहे थे। इस प्रकार भारतीय डाक विभाग का आज भी बहुत अधिक महत्व है जिसे हम कभी नहीं भुला सकते।

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