भारत-चीन सीमा पर दोनों सेनाओं केे बीच फायरिंग, 45 साल में पहली बार हुआ ऐसा

ANews Office: भारत-चीन सीमा पर सोमवार की रात वो हुआ, जो पिछले करीब 45 साल में कभी नहीं हुआ था। सीमा पर रात के अंधेरे में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों की लोकेशन की तरफ कदम बढ़ाए। भारतीय सैनिकों ने उन्हें ऐसा करने के लिए मना किया तो चीनी सैनिकों ने फायरिंग कर दी। जवाब में भारतीय सैनिकों ने भी फायरिंग की। हालांकि इस दौरान एक-दूसरे को गोली का निशाना नहीं बनाया गया। सिर्फ हवाई फायरिंग होने की बात कही जा रही है लेकिन भारत की मजबूत जवाबी कार्रवाई को देख चीनी सैनिक वापस लौट गए। 45 साल में यह पहली बार है जब भारत-चीन सीमा पर फायरिंग हुई है।

यह घटना सोमवार रात को लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर हुई। चीनी सेना की वेस्टर्न थिएटर कमांड के प्रवक्ता ने मीडिया से कहा है कि भारतीय सैनिकों ने 7 सितंबर को पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे पर एलएसी पार कर घुसपैठ की कोशिश की। चीन का ये भी दावा है कि भारतीय सेना ने एलएसी पार करने के बाद हवाई फायर भी किए। हालांकि भारतीय सेना का कहना है कि भारतीय सैनिकों ने कोई एलएसी पार नहीं की। फायरिंग भी चीनी सैनिकों की तरफ से की गई।

भारत-चीन सीमा पर हुआ ये

बताया जाता है कि चीन के सैनिक आगे बढ़कर भारतीय इलाके में कब्जे की कोशिश कर रहे थे। वो भारतीय सेना की लोकेशन के काफी नजदीक आ रहे थे। भारतीय सेना ने उन्हें पीछे हटने को कहा। बहस बढ़ी तो फायरिंग शुरू हो गई। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान कई राउंड फायरिंग हुई। इस फायरिंग के बाद चीन के सैनिक अपनी लोकेशन पर लौट गए।

भारतीय सेना ने अपने रूल ऑफ एंगेजमेंट में बदलाव किए

गौरतलब है कि गलवान में 20 सैनिकों को खोने के बाद और पिछले दो हफ्तों से जारी झड़प के बीच भारतीय सेना ने अपने रूल ऑफ एंगेजमेंट में बदलाव किए हैं। हमारे सैनिकों को ऑर्डर मिले हैं कि यदि हालात बिगड़ने लगें और चीनी सैनिक करीब आने की कोशिश करें तो फायरिंग कर सकते हैं।

45 साल पहले चीन ने धोखा दिया था

भारत-चीन सीमा पर 45 साल पहले गोली चली थी। 20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे। वहीं इसी साल जून में गलवान में दोनों देशों के बीच हुई झड़प में हमारे 20 सैनिकों की शहादत हुई थी। हालांकि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान भी चीनी और भारतीय जवानों की ओर से गोलियां नहीं चलाई गई थीं।

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