पूर्व मुख्यमंत्री बोले- किसानों की मांगें मानने के लिए केंद्र पर दबाव डाले हरियाणा सरकार
CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि साढ़े 5 महीने से किसान अपनी जायज मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हैं। इसमें दिल्ली के तीन तरफ लगते हरियाणा के बॉर्डर मुख्य मोर्चे हैं। आंदोलनकारियों में हज़ारों की तादाद में हरियाणा के किसान भी शामिल हैं। ऐसे में हरियाणा सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वो किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर दबाव डाले। प्रदेश सरकार केंद्र को किसानों की मांगें मानने के लिए राजी करे ताकि किसानों की घर वापसी का रास्ता प्रशस्त हो सके। हुड्डा ने कहा कि एक तरफ सरकार की अनदेखी और दूसरी तरफ कोरोना महामारी के बीच घिरे आंदोलन में अबतक करीब 400 किसान अपनी शहादत दे चुके हैं। बावजूद इसके वो बिना विचलित हुए सत्याग्रह के रास्ते पर अडिग है। इसलिए सरकार को हठधर्मिता छोड़कर संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए। किसानों की मांगों को मानते हुए आंदोलन को समाप्त करवाना चाहिए।
मांग मानने से दोगुनी स्फूर्ति से मेहनत करेंगे किसान
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार को देश के प्रति किसानों के योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए। इन्हीं किसानों ने गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे देश का पेट पालने का काम किया और इनके बेटों ने देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए जानें कुर्बान की। ये किसान ही थे जिन्होंने कोरोना की पहली लहर के दौरान किसी को भूखा नहीं मरने दिया। क्योंकि इन्होंने देश के अन्न भंडार भर रखे थे। जब सेवा और उद्योग समेत अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाले तमाम क्षेत्र पूरी तरह धराशाही हो गई तो किसानों ने ही देश की अर्थव्यवस्था को संभालने का काम किया था। कृषि ही एक ऐसा क्षेत्र था इसकी विकास दर सकारात्मक रही थी। सरकार यदि इस मुश्किल कोरॉना महामारी दौर में सकारात्मक पहल करेगी तो इसका पूरे देश में सकारात्मक असर देखने को मिलेगा। किसान दोगुनी स्फूर्ति से अपने खेतों में काम करेंगे और विकास की रफ्तार को गति देंगे।
गेहूं की खरीद जारी रखे सरकार, बकाया राशि का करे भुगतान
नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार से गेहूं की खरीद जारी रखने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से बड़ी तादाद में किसान अभी तक अपनी गेहूं नहीं बेच पाए हैं। जबतक सभी किसान अपनी फसल नहीं बेच देते, खरीद जारी रहनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि जो किसान अपनी गेहूं बेच चुके हैं, सरकार को उनके बकाए का भुगतान भी जल्द करना चाहिए। साथ ही पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों पर ब्रेक लगाने के लिए टैक्स में कटौती करनी चहिए। क्योंकि ईंधन के दाम बढ़ने से महामारी और आर्थिक मंदी की मार झेल रहे किसानों व आम आदमी पर महंगाई का भी अतिरिक्त बोझ बढ़ता है।