‘सृजन’ की वर्चुअल काव्य गोष्ठी में जुटे ट्राइसिटी के जाने-माने कवि

CHANDIGARH: 151वीं गांधी जयंती के उपलक्ष्य में “सृजन – एन इंस्टीट्यूट आफ क्रिएटिविटी” की तरफ़ से “वर्चुअल काव्य गोष्ठी” का आयोजन किया गया। इस काव्य गोष्ठी का उद्देश्य महात्मा गांधी के सिद्धांतों को कविताओं में याद करना था। ट्राइसिटी के जाने-माने कवियों ने इस गोष्ठी में भाग लेकर अपनी कविताओं से भावनात्मक उद्गारों का परिचय दिया। गोष्ठी का शुभारंभ सृजन के अध्यक्ष व जाने-माने संगीतकार, गायक सोमेश जी ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिए” गाकर किया। मंच संचालन सृजन की जनरल सैक्रेटरी श्रीमती अमर ज्योति शर्मा ने बखूबी किया।

इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता श्रीमती संतोष गर्ग ने की। उन्होंने अंत में सबका आभार व्यक्त करते हुए अरुण बेताब की पंक्ति ‘बाप बना कर मुझको घर संसार दिया है’ को माध्यम बनाते हुए कहा कि सच में पिता बनना बड़ी बात है। एक पत्नी ही है जो किसी व्यक्ति को पिता बनने का सुअवसर देती है और उससे भी कहीं बढ़कर है सोमेश जी जैसा बेटा पैदा होना। किसी पिता को यदि 4 बच्चों के स्थान पर सोमेश जी जैसा संस्कारवान एक ही बेटा मिल जाए तो उसका पिता बनने का धर्म सार्थक हो जाता है और हमारे शहरों में जो वृद्धाश्रमों की वृद्धि हो रही है वह भी बंद हो जाए।

काव्य गोष्ठी में शामिल हुए ट्राइसिटी के जाने-माने कविगण।

इस गोष्ठी में भाग लेने वाले कवियों में बाल कृष्ण गुप्ता ने कविता – मां का आंचल, श्रीमती मधु गोसाईं ने कविता – दिव्य गुणों को अपने भीतर उतार लेने का संकल्प, हरेंद्र सिन्हा ने कविता – चलो देश का मान बढ़ाएं और मातृ शक्ति, श्रीमती प्रज्ञा शारदा ने कविता – मेरे पिता, श्रीमती सुचित्रा ने कविता – हिंदी और हम, डॉ. निर्मल सूद ने कविता – दौर मुश्किल है, मां और जिंदगी नामा, श्रीमती उमा निझावन ने कविता – जो भी हुआ ये क्यों हुआ और तु जानता है खुदा, श्रीमती प्रेरणा तलवार ने कविता – पिता का प्यार, श्रीमती सतवंत कौर ने कविता – जीवन तपस्या, श्रीमती पुनीता बावा ने कविता – पापा, अब खामोश रहते हैं, दर्शन कुमार वसन ने ग़ज़लें – हर कदम दर्द की दीवार, तेरे शहर में, श्रीमती संतोष गर्ग ने कविता – हो जाता है कभी-कभी और पर्वत होते हैं पिता, नेहा शर्मा ने कविता – ख्वाब को हकीकत समझना छोड़ दो और उपमा रचना – मैं और वो, अरूण बेताब ने कविता – पत्नी को क्यों मां कहता, श्रीमती रीति मित्तल ने कविता – कैद हुआ इंसान, श्रीमती शैली विज ने कविता – मेरे उस छोटे से शहर की मिट्टी, श्रीमती नीरजा ने कविता पापा मेरे हमसफ़र सुनाई। काव्य गोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. कैलाश आहलूवालिया ने गोष्ठी की सफलता पर मुबारकबाद दी और सबका आभार व्यक्त किया। अंत में सृजन के अध्यक्ष सोमेश जी ने सभी कवियों का धन्यवाद करते हुए बताया कि इसी माह के अंत में वह एक अभिनय- संबंधी ट्राई सिटी के स्कूलों के विद्यार्थियों की आनलाइन प्रतियोगिता भी करवाएंगे। 

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