तीसरी बार कर रहे हैं एमए, एलएलबी और एलएलएम भी कर चुके हैं पूर्व राज्यसभा सांसद ईश्वर सिंह
CHANDIGARH: कहा जाता है कि राजनीति में शिक्षित होना ज्यादा मायने नहीं रखता। मंत्री जैसे उच्च महत्वपूर्ण पदों पर भी अंगूठा छाप नेताओं के आसीन होने के उदाहरण मिलते हैं। इसलिए अक्सर जनप्रतिनिधियों की शैक्षिक योग्यता सवालों के घेरे में भी रहती है। इसके बावजूद सियासत में आने के लिए शिक्षा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती। हालांकि कइयों ने राजनीति में आने से पहले खुद को उच्च शिक्षित करने के उदाहरण भी पेश किए हैं लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में आकर बुलंदी हासिल करने के बाद किसी ने खुद को उच्च शिक्षित करने का बीड़ा उठाया हो, ऐसा बहुत कम देखा और सुना गया है। बुजुर्ग विधायक एवं पूर्व राज्यसभा सांसद ईश्वर सिंह हरियाणा की ऐसी ही एक अनुकरणीय राजनीतिक हस्ती हैं, जिन्होंने आज 72 वर्ष की उम्र में भी किताब-कापियों का साथ नहीं छोड़ा है। इसी शनिवार को वह एमए का आखिरी पेपर देकर चुके हैं। आपको यह जानकर भी आश्चर्य होगा कि 72 वर्षीय विधायक ईश्वर सिंह तीसरी बार एमए कर रहे हैं। इससे पहले वह पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और इतिहास में एमए कर चुके हैं। अब राजनीतिक विज्ञान में एमए कर रहे हैं। यही नहीं, वह एलएलबी और एलएलएम भी कर चुके हैं। इससे उन्होंने यह भी साबित कर दिया है कि पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती।
पहली बार जब विधायक बने, तब मात्र 10वीं पास थे ईश्वर सिंह
ईश्वर सिंह हरियाणा की गुहला विधानसभा सीट से विधायक हैं। 72 वर्षीय ईश्वर सिंह ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान में एमए की प्रथम वर्ष की परीक्षा दी है। कोरोनाकाल के चलते यह परीक्षा ऑनलाइन हुई है। प्राइवेट स्टूडैंट के तौर पर कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी (केयू) के साथ खुद को रजिस्टर कर विधायक ईश्वर सिंह ने कोरोना लॉकडाऊन के समय का सदुपयोग पढ़ाई के लिए किया और घर पर ही ऑनलाइन परीक्षाएं दीं। शनिवार को उनका आखिरी पेपर था। उनका कहना है कि सभी पेपर अच्छे हुए हैं। खास बात यह है कि उन्होंने सभी डिग्रियां जीवन के उस पड़ाव में हासिल की हैं, जब आमतौर पर इंसान पढ़ाई-लिखाई से निपट कर पूरी तरह कामकाजी हो जाता है। ये सभी डिग्रियां हासिल करने से पहले ईश्वर सिंह 1977 में हरियाणा विधानसभा के सदस्य बन चुके थे। उस वक्त वह सिर्फ 10वीं कक्षा पास थे। दसवीं के बाद जेबीटी कर वह कुछ समय अध्यापक भी रहे।
स्कूल शिक्षा बोर्ड की उच्च कुर्सी ने बना दिया स्टूडैंट
ईश्वर सिंह 10वीं पास विधायक तो बन गए थे लेकिन राजनीतिक उठापठक के बीच उसी कार्यकाल के दौरान उन्हें हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन बनने का भी अवसर मिल गया। उनके लिए यह थी तो एक बड़ी उपलब्धि लेकिन ईश्वर सिंह के मन में ये बात चुभने लगी कि वह राज्य के 12वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए नीतियां बनाने जा रहे हैं, जबकि वह खुद 10वीं पास हैं। लिहाजा, शिक्षा बोर्ड की दूसरी मीटिंग के बाद ही उन्होंने बोर्ड के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया और अपने जीवन के इस अधूरेपन को भरने का निश्चय कर लिया।
एलएलबी करने के बाद वकालत भी की
इसके बाद विधायक का कार्यकाल समाप्त होते ही ईश्वर सिंह ने आगे की पढ़ाई शुरू कर दी। 27 साल की उम्र में विधायक बने ईश्वर सिंह ने जीवन के 34वें साल में 12वीं और 37 वर्ष की उम्र में स्नातक की डिग्री ली। इसके तुरंत बाद उन्होंने इतिहास से एमए की। एमए की परीक्षा देते समय उस वक्त के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर ने उन्हें एलएलबी करने की सलाह दी। 42 वर्ष की उम्र में ईश्वर सिंह ने एलएलबी भी कर ली और 6 महीने तक कुरुक्षेत्र में वकालत की। वे आज भी कुरुक्षेत्र बार एसोसिएशन के सदस्य हैं। बाद में उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में भी एम.ए. किया।
पढऩे की लगन में नई तकनीक भी सीख ली
ईश्वर सिंह ने अब तीसरी बार एमए करने के लिए परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से दी है। 72 साल की उम्र होते हुए भी वह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की वैबसाइट से तय समय पर परीक्षा पत्र खुद ही डाऊनलोड कर लेते और फिर उसके जवाब तैयार करते। उत्तर पुस्तिका को स्कैन कर वे इमेल के जरिए तीन घंटे के तय समय में विश्वविद्यालय की दी हुई इमेल पर भेज देते थे। उनका कहना है कि तकनीक नई जरूर है लेकिन उनके लिए जीवन में पढ़ाई का महत्व इतना अधिक है कि उन्होंने इस तकनीक को भी सीख लिया।
राजनीतिक जीवन में पढ़ाई-लिखाई का बहुत लाभ मिला: ईश्वर सिंह
विधायक एवं पूर्व सांसद ईश्वर सिंह कहते हैं कि राजनीतिक जीवन में पढ़ाई-लिखाई और शिक्षा से जुड़े रहने का बहुत लाभ मिला है। इसी लगन की बदौलत वह देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में पहुंचे और फिर देश के अनुसूचित जाति आयोग में सदस्य बनने का भी उन्हें अवसर मिला। इस वक्त हरियाणा विधानसभा में जननायक जनता पार्टी के विधायक के तौर पर वह विधानसभा की महत्वपूर्ण समिति के चेयरमैन हैं और वहां भी अपना काम पूरी सजगता से करते हैं। ईश्वर सिंह का कहना है कि इंसान को जीवन में जब भी कुछ सीखने का अवसर मिले, तभी उसे ग्रहण कर लेना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए।
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