मिसाल: देश का एक ऐसा हिस्सा जहां मनाई गई अनोखी ‘जल दिवाली’

CHANDIGARH, 24 OCTOBER: देश में एक ऐसा हिस्सा भी हैं, जहां दीपावली से करीब तीन दिन पहले एक अनोखी दिवाली मनाई गई। इसे ‘जल दिवाली’ का नाम दिया गया। जल दिवाली के मायने दीपावली पर्व से बिलकुल अलग नजर आए, जिसके बारे में हम आगे जानेंगे। पहले ये जानना जरूरी है कि देश के किस हिस्से में और क्यों यह ‘जल दिवाली’ मनाई गई है।

51 लाख ग्रामीण परिवारों ने मनाई अनोखी जल दिवाली

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के सैकड़ों गांव दिवाली से तीन दिन पहले ही गुरुवार को दीपों की रोशनी में जगमगा उठे। इनमें बुंदेलखंड, विंध्य और पूर्वांचल समेत प्रदेश भर के सैकड़ों गांव शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के लगभग 51 लाख ग्रामीण परिवारों ने पांच करोड़ से अधिक दीप जलाकर अनोखी ”जल दिवाली” मनाई।

क्यों दिया गया ‘जल दिवाली’ नाम ?

इसे ‘जल दिवाली’ का नाम इसलिए दिया गया क्योंकि यह घर तक पानी सप्लाई शुरू होने की खुशी में मनाई गई। यूपी में वर्षों से साफ पानी का संकट झेल रहे बुंदेलखंड, विंध्य और पूर्वांचल समेत प्रदेश भर के सैकड़ों गांव के लाखों परिवारों के लिए दिवाली स्वच्छ पेयजल का बड़ा तोहफा लेकर आई। गुरुवार की शाम पांच बजने के साथ ही ‘हर घर जल’ के तहत घोषित हो चुके गांव में दीप झिलमिलाने लगे।

ग्रामीणों की खुशी का नहीं रहा कोई अंदाजा

ग्रामीणों की खुशी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि घर-घर से शुरू हुआ दीपों के रोशन होने का यह सिलसिला पंचायत भवनों, प्राथमिक स्कूलों, सामुदयिक भवनों तक दिखा। ग्रामीणों की इस खुशी को यादगार बनाने में नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अधिकारियों समेत गांव-गांव कार्य कर रही स्वयंसेवी संस्थाएं और प्रशासनिक अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

जल दिवाली पर ग्रामीणों का सपना हुआ पूरा

बुंदेलखंड और विंध्य के तमाम गांव में लोक संगीत की धुन पर ग्रामीण महिलाएं और युवा दीप जलाने के साथ थिरके भी। गांव में मिठाईयां बंटीं और एक-दूसरे को बधाई भी दी गई। प्रदेश के कई गांव में स्वयंसेवी संस्थाओं ने पंचायत प्रतिनिधियों को हर घर जल के प्रतीक रूप में जल से भरा नल वाला घड़ा भेंट किया। यह पहला मौका था जब दीपावली से पहले प्रदेश के गांव-गांव में जल जीवन मिशन के तहत ‘जल दीपावली’ मनाई गई। पीने का शुद्ध पानी घरों तक मिलने की खुशी लोगों के चेहरों पर दिखाई दी। प्रदेश के हर उस गांव में दिवाली मनाई गई जहां नल से जल की सुविधा मिली है।

बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, युवाओं में पानी मिलने की आस पूरी होने का उल्लास देखते ही बना। तो कुछ गांव में महिलाएं भावुक भी दिखीं। इस मौके पर उन्होंने नल कनेक्शन के पास रंगोली सजाई, किसी ने नल के टैप को फूल की माला पहनाई और किसी ने तिलक लगाया, तो कई घरों में नल टैप की आरती भी उतारी गई। कुंओं और तालाबों से पीने का पानी भरने का दर्द जिन परिवारों की कई पीढ़ियों ने झेला है ऐसे बुजुर्गों की आंखें छलक आईं। लोगों ने इस अवसर पर पानी को बर्बाद नहीं करने का संकल्प भी लिया।

यूं शुरू हुआ दीपोत्सव

जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह सीतापुर में दीपोत्सव कार्यक्रम में शामिल हुए और पहला दीप प्रज्वलित कर प्रदेश भर में हर घर जल दीपोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ किया। प्रदेश भर के सभी जिलों में आयोजित किये गये दीपोत्सव कार्यक्रम में राज्य सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान समेत जन प्रतिनिधि शामिल हुए। शासन और विभाग के अधिकारी भी आयोजन में शामिल हुए।

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