कोविड के चलते पंजाब सरकार ने सेवामुक्त हो रहे स्पैशलिस्ट डॉक्टरों की सेवाएं मार्च 2022 तक बढ़ाईं

सरकारी मैडीकल कॉलेज पटियाला और अमृतसर के सेवामुक्त हो रहे ग्रुप-सी के कर्मचारियों को भी दिया कार्य बाद विस्तार

CHANDIGARH: कोविड-19 महामारी की आपात स्थिति से निपटने के लिए पंजाब सरकार ने शुक्रवार को क्लिनीकल पदों पर काम कर रहे मैडिसन, अनैसथीसिया और टी.बी. और चैस्ट के स्पैशलिस्ट डॉक्टरों को 58 वर्ष की आयु पर सेवामुक्त होने के बाद भी 31 मार्च 2022 तक अपनी सेवाएं जारी रखने की आज्ञा दी है। यह फ़ैसला राज्य में कोविड एकांतवास सेवाओं में प्रभावशाली प्रबंधन को यकीनी बनाने के लिए किया गया है।

यह फ़ैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग में लिया गया जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा कि मरीज़ों को समय पर और उपयुक्त इलाज मुहैया करवाने के लिए इन डॉक्टरों की सेवाएं ज़रूरी हैं। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार महामारी में लगातार हो रही वृद्धि के मद्देनज़र कोई जोखिम नहीं उठा सकती जिससे सरकारी अस्पतालों और डिसपैंसरियों पर काफ़ी बोझ पड़ रहा है। मंत्रीमंडल ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि भर्ती के लिए दिए गए विज्ञापनों को कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली और यह ज़रूरी था कि संभावी तीसरी लहर के मुकाबले के लिए सभी ज़रूरी कदम उठाए जाएँ।मंत्रीमंडल ने ग्रुप-सी (पैरा मैडीकल स्टाफ) के 9 कर्मचारियों की सेवाओं में विस्तार करने के लिए कार्य बाद मंजूरी भी दी।

ये कर्मचारी मई 2021 और जून 2021 में पटियाला और अमृतसर के सरकारी मैडीकल कॉलेजों से सेवामुक्त हो रहे हैं।’पोषण अभियान’ के अंतर्गत 184 पदों की सवाएं 30 जून तक बढ़ाईंराज्य भर में 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पोषण भरपूर आहार देने के लिए मंत्रीमंडल ने पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) के अंतर्गत 184 पदों की सवाओं में विस्तार किये जाने को मंज़ूरी दे दी। मंत्रीमंडल द्वारा सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास मंत्री को भारत सरकार की हिदायतों अनुसार और विस्तार किये जाने सम्बन्धी भी अधिकृत किया है।

भारत सरकार द्वारा मार्च, 2018 में पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) की शुरुआत की गई थी जिससे देश में कुपोषण से निपटा जा सके। इसी उद्देश्य के अंतर्गत पोषण अभियान को शुरू में पंजाब के 4 जिलों फरीदकोट, लुधियाना, श्री मुक्तसर साहिब और मानसा में 2017-18 दौरान लागू किया गया था और बाकी 15 जिलों में इसको 1 जनवरी, 2019 को शुरू किया गया था।

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