CHANDIGARH, 15 JULY: हरियाणा में मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया और जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) जैसे वेक्टरजनित रोगों (वीबीडी) की स्थिति नियंत्रण में है। इन रोगों के निदान, उपचार और रोकथाम के लिए सभी आवश्यक उपाय कर लिए गए हैं। राज्य में इन सभी चार रोगों को महामारी रोग अधिनियम के तहत 31 मार्च, 2024 तक अधिसूचित किया गया है।
यह जानकारी आज स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा ने वेक्टरजनित रोगों (वीबीडी) की रोकथाम और नियंत्रण के लिए रणनीति तैयार करने हेतू विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों के साथ एक अंतर-क्षेत्रीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रबंध निदेशक श्री प्रभजोत सिंह, स्वास्थ्य सेवाएं विभाग की महानिदेशक डॉ. वीना सिंह और स्वास्थ्य सेवाएं विभाग की अतिरिक्त महानिदेशकडॉ. उषा गुप्ता भी बैठक में शामिल थी।
मलेरिया उन्मूलन की राह पर अग्रसर हरियाणा
उन्होंने कहा कि हरियाणा मलेरिया उन्मूलन के पथ पर अग्रसर है। वर्ष 2015 के बाद से, राज्य में मलेरिया के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है। वर्ष 2015 के दौरान मलेरिया के 9308 मामले सामने आए जो वर्ष 2021 के दौरान घटकर केवल 54 रह गए हैं। सात जिलों नामतः अंबाला, भिवानी, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र और रोहतक ने वर्ष 2021 के दौरान ‘जीरो इंडिजीनियस मलेरिया केस’ प्राप्त किया है। जिला कैथल ने लगातार तीन वर्षों यानी 2019 से ‘जीरो इंडिजीनियस मलेरिया केस’ हासिल किया है और जिला अंबाला और जींद ने पिछले दो सालों से ‘जीरो इंडिजीनियस मलेरिया केस’ हासिल किया है।
एनएचएम के मिशन निदेशक प्रभजोत सिंह ने बताया कि रुके हुए पानी के उचित प्रबंधन के लिए अन्य क्षेत्रों और समुदाय की मदद वीबीडी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए आवश्यक है और इसलिए अन्य विभागों / क्षेत्रों की सहयोग लेने के लिए अंतर-क्षेत्रीय बैठक बुलाई गई है।
छात्रों द्वारा पूरी बाजू की वर्दी पहनना भी सुनिश्चित किया जाए
प्रभजोत सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग को प्रार्थना सभा के दौरान स्कूली बच्चों को डेंगू, मलेरिया जैसे वीबीडी के बारे में जागरूक करने और प्रत्येक रविवार को अपने घर और स्कूल परिसर में ‘शुष्क दिवस’ के रूप में मनाने के लिए निर्देशित किया गया है यानी कूलर, खुले पानी के कंटेनर से पानी खाली करना, बर्तन, पक्षी-स्नान, छत पर पानी ले जाने वाले बर्तन/डिस्पोजेबल कप, बोतलें इत्यादि छात्रों द्वारा पूरी बाजू की वर्दी पहनना भी सुनिश्चित किया गया है।
राज्य में 27 डेंगू टेस्टिंग लैब काम कर रही हैं
स्वास्थ्य सेवाएं विभाग की अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. उषा गुप्ता ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में डेंगू की जांच निःशुल्क है। वर्तमान में, राज्य में कुल 27 डेंगू परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं, प्रत्येक जिले में कम से कम एक है। इसके अलावा, निजी अस्पताल/प्रयोगशालाएं अधिकतम 600 रूपए अनुशंसित डेंगू परीक्षण (एलिसा आधारित एनएस1 और आईजीएम) के लिए चार्ज ले सकती हैं। साल 2020 से सरकारी अस्पतालों में भर्ती हरियाणा निवासियों के डेंगू रोगियों को मुफ्त में प्लेटलेट्स प्रदान किए जा रहे हैं। राज्य में कुल 5 सरकारी प्लेटलेट एफेरेसिस सुविधाएं और 72 निजी एफेरेसिस सुविधाएं कार्यरत हैं।
क्या करें और क्या न करें
बैठक में जनजागरूकता के लिए बताया गया कि घरों के आसपास के गड्ढों को रेत से भर दें। कूलर, गमले, हौदी आदि के पानी को सप्ताह में एक बार खाली कर दें और मच्छरों के अंडों को मारने के लिए अच्छी तरह से साफ़ करें। पूरी बाजू के कपड़े पहनें। मच्छर भगाने वाले और बेडनेट (मच्छरदानी) का प्रयोग करें। दरवाजे और खिड़कियों पर मच्छर रोधी तार-जाल का प्रयोग करें। ओवरहेड पानी की टंकियों और अन्य घरेलू पानी के कंटेनरों को ढक दें। उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में घर के प्रत्येक कमरे में कीटनाशक स्प्रे सुनिश्चित करें और स्प्रे के बाद कम से कम 3 महीने तक घर को पेंट न करें। स्प्रे संचालन के दौरान सहयोग करें। बुखार होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
साथ ही बताया गया कि एस्पिरिन या ब्रूफेन या इबुब्रुफेन स्वयं न लें। एक सप्ताह से अधिक समय तक घरों और आसपास पानी को जमा न होने दें। टूटे हुए कप, डिस्पोजेबल कप/ग्लास अप्रयुक्त टायर, बर्तन, प्लास्टिक की बोतलें आदि को खुले में न फेंके ताकि बारिश के दौरान इन कंटेनरों में पानी जमा न हो सकें। यदि इन वस्तुओं को अंदर रखना संभव न हो तो इन्हें तिरपाल से ढक दें। उपयोग में न होने पर कूलर में पानी न भरें। हैंडपंप और नल (विशेषकर सार्वजनिक पोस्ट) के आसपास पानी जमा न होने दें।