कोरोनाकाल के बीच ब्लू बेबी सिंड्रोम से पीड़ित ढाई साल के बच्चे को डॉक्टरों ने दिया नया जीवन

ऐम्स ट्रैंड पैडीएट्रिक हार्ट सर्जन डॉ. अश्विनी बंसल ने इंडस अस्पताल के कार्डियोथोरैसिक- पैडीएट्रिक विभाग के डॉक्टरों की टीम के साथ मिलकर किया बच्चे के दिल का ऑपरेशन

CHANDIGARH: ऐम्स ट्रैंड पैडीएट्रिक हार्ट सर्जन डॉ अश्विनी बंसल ने इंडस अस्पताल के कार्डियोथोरैसिक- पैडीएट्रिक विभाग के डॉक्टरों की टीम के साथ मिलकर ‘टेट्रालॉजी ऑफ फैलोट’ नामक बीमारी से पीड़ित ढाई साल के एक बच्चे के दिल का सफलतापूर्वक ऑपरेशन करके उसे जीवन दान दिया है।

गौरतलब है कि कोविड महामारी के चलते बच्चे के आयुष्मान कार्ड धारी माता पिता पी जी आई सहित कई अस्पताल में गए ,लेकिन कोई भी इस बच्चे को सर्जरी के लिए तैयार नहीं हुआ। बच्चे को नीलेपन के दौरे बार-बार आते थे। माँ-बाप अपने इकलौते बच्चे की बिगड़ती हालत से बहुत परेशान थे।

डॉ अश्वनी ने अपनी टीम की साथ मिलकर बच्चे की जाँच की और सर्जरी को अंजाम दिया। दिल की इस सर्जरी में पांच घंटे से ज्यादा का समय लगा। सर्जरी की बाद बच्चा पिंक हो गया, उसे सांस में भी अब आराम है
सर्जरी टीम में शामिल रहे
डॉ अश्विनी बंसल,चीफ एडल्ट व पैडीएट्रिक हार्ट सर्जन
डॉ एस पी एस बेदी, डायरेक्टर क्लिनिकल सर्विसेज
डॉ रणविजय राणा, नियोनाइटोलॉजिस्ट एंड पीकू इंचार्ज
डॉ जोगेश अग्गरवाल, इंटर वेंशनिस्ट इंचार्ज,
कई ओ टी टेक्नीशियन व नर्सिंग स्टाफ

विभाग के डॉ. अश्विनी बंसल ने बताया कि टौफ नाम की बीमारी बच्चों में नीलेपन का सबसे प्रमुख कारण है। बोलचाल की भाषा में इसे ब्लू बेबी सिंड्रोम कहते हैं।

डॉ अश्विनी ने बताया कि इस बीमारी में दिल में एक बड़ा छेद होता है। फेफड़ों को जाने वाली नली और रास्ते में सिकुड़न होती है, जिसकी वजह से फेफड़ों में बहुत कम मात्रा में खून जाता है। इसकी वजह से बच्चे के शरीर में ऑक्सीजन स्तर बहुत कम हो जाता है। जब शरीर में ऑक्सीजन का स्तर खतरनाक स्तर तक नीचे चला जाता है, जो बच्चा बेहोश हो सकता है। इसे ‘टेट स्पेल’ कहते हैं।
इंडस अस्पताल डेराबस्सी इस तरह की जटिल बच्चों की हार्ट की बीमारी के लिए ,लेटेस्ट उपकरणों व टीम के साथ आयुष्मान कार्ड धारकों की फ्री मदद के लिय तत्पर है।

डॉ. अश्विनी ने बताया कि टेट्रालॉजी ऑफ फैलोट कि शल्य चिकित्सा इंडस अस्पताल में अब नियमित रूप से होने लगी है। इस प्रकार के बच्चों के होठ, नाखून और चमड़ी में, खून में आक्सीजन की कमी के कारण नीलापन होता है। इसे चिकित्सा विज्ञान की भाषा में सायनोसिस कहते हैं। समय रहते सही इलाज से बच्चा एक सामान्य जीवन पा सकता है।

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