CHANDIGARH: गांधी स्मारक भवन सैक्टर-16 ए, चंडीगढ़ में आचार्य विनोद झारखंड से यहां छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करने के लिए यहां आए थे। आप प्रसिद्ध गांधी वादी विचारक गांधी जी के सेवाग्राम आश्रम के पूर्व सचिव तथा केन्द्रीय आचार्यकुल वर्धा के उपाध्यक्ष है।
पुस्तकालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को उन्होंने गांधी जीवन एवं वर्तमान परिस्थितियों के बारे में गोष्ठी में चर्चा करते हुए कहा कि ’लिखने योग्य कर जाओ अथवा पढ़ने योग्य कुछ लिख जाओ ’ तभी आपका जीवन सार्थक है। हम जितना प्रकृति के करीब रहते हैं तो बीमार नहीं होते। आजकल हम प्रकृति के बारे में बात तो करते है पर उसके साथ जीते नहीं है। यही बात हम महापुरूषों के साथ भी करते है। हम गांधी जी, विनोबा जी आदि की फोटो लगाकर उनके दिन मना लेते है। उनके कार्यों की चर्चा कर लेते है लेकिन आदर्शों पर चलते नहीं ।
जब अप्रैल 1930 में सत्याग्रह आश्रम साबरमती में गांधी जी को पता लगा कि ब्रिटिश सरकार ने नमक पर भी टैक्स लगा दिया है तो वायसराय को इस टैक्स को हटाने के लिए पत्र लिखा। वायसराय के इंकार पर उन्होंने नमक टैक्स के विरोध में दांडी तक पदयात्रा की। उस समय लोगों को लग रहा था कि इस यात्रा से कुछ नहीं होगा लेकिन यही यात्रा ऐतिहासिक बन गई।
आज हमारे युवा को सच को सच तथा झूठ को झूठ कहने की ताकत होनी चाहिए। युवाओं को गांधी जी की तरह निर्भीक होना पडे़गा। उन्होंने आगे कहा कि गांधी वह व्यक्ति था जो व्यक्ति से प्यार करता था तथा व्यवस्था से लड़ता था। आज का समाज दुर्बल हो गया है। गांधी जी ने कहा कि पाप से घृणा करो, पापी से नहीं, सिस्टम से संघर्ष करना चाहिए। देवराज त्यागी, निदेशक गांधी स्मारक भवन ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि गांधी स्मारक पुस्तकालय मंे छात्र-छात्राओं के प्रशनों के उत्तर भी दिए जाते है।
उन्होंने आगे बताया कि गांधी जी ने कहा था कि पढ़ो, सुनो और सीखो जो अच्छा लगे उसे जीवन में उतारा। डा. एम.पी. डोगरा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। गोष्ठी का आरम्भ बहुत ही सुन्दर भजन’ भगवान मेरा जीवन संसार के लिए हो, जिन्दगी हो लेकिन उपकार के लिए हो’ से हुआ। गोष्ठी में नीरू, संदीप, सौरभ, कंचन त्यागी, पापिया,आनन्द राव, गुरप्रीत, रमा देवी, नीरजा राव, अमित,इत्यादि ने विशेष रूप से भाग लिया।