कांग्रेस के दलित विधायकों ने योगेश्वर दत्त के आरक्षण विरोधी बयान पर जताई आपत्ति
CHANDIGARH: बरोदा का दलित और पिछड़ा वर्ग बीजेपी उम्मीदवार योगेश्वर दत्त का पूर्ण बहिष्कार करेगा। चुनाव में बंटवारे की राजनीति के तहत योगेश्वर दलित और पिछड़ों के अधिकारों के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी कर रहे हैं। ये कहना है कांग्रेस के दलित विधायकों का। आज गोहाना में पूर्व मंत्री और कांग्रेस के दलित विधायकों गीता भुक्कल, शकुंतला खटक, बलबीर वाल्मीकि जयवीर वाल्मीकि और वरूण मुलाना ने एक पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस मौक़े पर उन्होंने योगेश्वर दत्त के एक ट्वीट और दो दिन पहले दिए आरक्षण विरोधी बयान पर कड़ी आपत्ति जताई।
दलित और पिछड़ों के हकों के खिलाफ बयानबाजी करके बांटने की राजनीति कर रहे हैं योगेश्वर: गीता भुक्कल
पूर्व मंत्री गीता भुक्कल ने कहा कि ख़ुद स्पॉट्र्स कैटेगरी के तहत आरक्षण का लाभ लेकर डीएसपी पद और आर्थिक मदद लेने वाले योगेश्वर दत्त का दलित और पिछड़ों के आरक्षण पर उंगली उठाना दुर्भाग्यपूर्ण है। योगेश्वर दत्त ने कई बार अपनी आरक्षण विरोधी मानसिकता को जगजाहिर किया है। पिछले दिनों एक ट्वीट और दो दिन पहले अपने बयान में उन्होंने दलित और पिछड़ों के आरक्षण को ख़त्म करने की बात कही। पूरा दलित समाज और पिछड़ा वर्ग इसकी निंदा और विरोध करता है। खरखौदा से विधायक जयवीर वाल्मीकि ने कहा कि आरएसएस अक्सर आरक्षण को ख़त्म करने की बात करती रहती है। योगेश्वर दत्त उसी मुहिम को आगे बढ़ाना चाहते हैं। अगर ग़लती से ऐसी मानसिकता के लोग विधानसभा पहुंच गए तो इनका मक़सद लोगों की सेवा नहीं बल्कि अपनी मुहिम को आगे बढ़ाना होगा।
बरोदा में बांटने की राजनीति को किसान, मजदूर, अगड़े, पिछड़े और दलित एकजुटता से देंगे मुंहतोड़ जवाब
गीता भुक्कल ने कहा कि योगेश्वर दत्त आर्थिक आधार पर आरक्षण की बात तो करते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता है कि देश में सबसे पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया था। ईबीपीजी और एसबीसी दो ऐसी कैटेगरी बनाई गई थी जिसमें सामान्य वर्ग की जातियों के गऱीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने बिना दलित और पिछड़ों के आरक्षण में कटौती किए अन्य वंचितों को आरक्षण का लाभ पहुंचाया था। किसी भी दलित या पिछड़े ने इस न्यायसंगत व्यवस्था का विरोध नहीं किया था। लेकिन बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही आर्थिक आधार पर दिए गए दोनों आरक्षण को ख़त्म करने का काम किया। इतना ही नहीं दोनों कैटेगरी के तहत जारी भर्ती प्रक्रियाओं को भी बीजेपी ने रद्द कर दिया और सामान्य वर्ग के गऱीब युवाओं को रोजग़ार से वंचित रखा। योगेश्वर, बीजेपी या आरएसएस का मक़सद आर्थिक आधार पर आरक्षण देना नहीं बल्कि सभी वर्गों का आरक्षण ख़त्म करना है। इसलिए अब समाज के हर दबके को तय करना है कि ऐसे लोगों को वोट दिया जाए या इनका बहिष्कार किया जाए।
कांग्रेस विधायकों ने कहा कि योगेश्वर दत्त जानबूझकर चुनाव में दलित और पिछड़ों के विरोध का नारा देकर समाज में बंटवारे की राजनीति कर रहे हैं। लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि बंटवारे की ये राजनीति अब और नहीं चलेगी। बरोदा समेत पूरे हरियाणा में 36 बिरादरी का भाईचारा इतना मजबूत है कि वो बंटवारे की इस राजनीति का मुंहतोड़ जवाब देगा। अन्याय के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में तमाम किसान, मजदूर, गऱीब, अगड़े, पिछड़े और दलित एकजुट हैं। पत्रकार वार्ता में वरिष्ट दलित नेता जगशेर नूरणखेड़ा, सुधीर चौधरी, रवि इंदौरा, जयपाल बुटाना, सतपाल धानक, बलवान रंगा, धुलाराम डूम, सुशील धानक, मनोज बागड़ी, सतीश बंधू, रीना वाल्मीकि, प्रमोद सिंहपुरा, विरेंद्र खरकिया, राजेश बोहत, अजय वैद आदि कई नेता मौजूद थे।