हरियाणा के 5 नगर निकायों के कानूनी अस्तित्व पर संकट, शहरी निकाय विभाग मौन  

गृहमंत्री अनिल विज के गृहक्षेत्र की अम्बाला सदर  नगर परिषद भी इसमें शामिल,  बादली, सीवन, आदमपुर और  बाढड़ा हैं चार अन्य नगर पालिकाएं  

CHANDIGARH, 19 NOVEMBER: हरियाणा प्रदेश में मौजूदा  सरकार द्वारा स्थापित पांच नगर निकायों के कानूनी अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है परन्तु इस बारे में प्रदेश का शहरी स्थानीय निकाय विभाग मौन है हालांकि इस बारे में विभाग को कई बार लिखा जा चुका है।

रोचक बात यह है कि इन पांच निकायों   में प्रदेश के गृह और  स्वास्थ्य  मंत्री  अनिल विज के गृह-क्षेत्र अम्बाला कैंट  के  गैर-कैंटोनमेंट शहरी  क्षेत्र हेतु  तीन वर्ष दो माह पूर्व स्थापित  अंबाला सदर नगर परिषद (न.प.) भी शामिल है जिसकी नोटिफिकेशन 11 सितम्बर 2019 को शहरी निकाय विभाग द्वारा  जारी की गयी थी। इसके अतिरिक्त गत वर्ष मार्च, 2021 में झज्जर जिले में स्थापित   बादली नगर पालिका, जून, 2021 में कैथल जिले में स्थापित सीवन नगर पालिका और हिसार जिले में स्थापित आदमपुर नगर पालिका एवं सितम्बर, 2021 में चरखी दादरी जिले में स्थापित बाढड़ा नगर पालिका शामिल है

पंजाब एवं हरियाणा  हाई कोर्ट के एडवोकेट   हेमंत कुमार ने  बताया कि हरियाणा म्युनिसिपल (नगरपालिका)  कानून, 1973 ,   जो प्रदेश की सभी नगर पालिकाओं और नगर परिषदों पर लागू होता है, की मौजूदा  धारा 12(2) के अनुसार नई स्थापित   नगर परिषद / नगर पालिका के पहले आम चुनाव उनकी स्थापना  नोटिफिकेशन जारी होने के  एक वर्ष के भीतर करवाए जाने चाहिए जो कानूनन और संवेधानिक जिम्मेवारी राज्य निर्वाचन आयोग की है। 

पांच माह पूर्व  जून, 2022 में जब हरियाणा  निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश की कुल 46 नगर निकायों ( 18 नगर परिषदों और 28 नगर पालिकाओं) में आम चुनाव करवाए गये थे, तो आयोग द्वारा  उपरोक्त पाचों नगर निकायों को  उनमें  शामिल नहीं किया गया हालांकि पहले अम्बाला सदर नगर परिषद में भी  चुनाव करवाए जाने थे परन्तु वहां के वार्डो की मतदाता सूचियों की संख्या  में हुई विसंगतियों के फलस्वरूप वह टाल दिए गये जो आज तक लंबित हैं। 

 इसी बीच  एडवोकेट   हेमंत  ने  बताया कि  उन्होंने  बीते दो  वर्ष अर्थात 11  सितम्बर, 2020 से अम्बाला   सदर  न.प.  का    कानूनी अस्तित्व बचाने  हेतु के सम्बन्ध  में कई बार अनिल  विज, जो  दिसम्बर,2021 तक शहरी स्थानीय निकाय विभाग के भी  मंत्री थे  और उसके बाद  विभाग के मौजूदा  मंत्री डॉ. कमल गुप्ता एवं  विभाग के  प्रशासनिक सचिव एवं निदेशक को कई बार लिखा परन्तु आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। अब चूँकि अम्बाला  सदर न.प. और चार अन्य उपरोक्त नई नगर पालिकाओ के पहले आम चुनाव, बेशक कोरोना-वायरस संक्रमण  फलस्वरूप  व्याप्त परिस्थितियों  या अन्य किसी कारण से, कानूनन एक वर्ष की समय सीमा के भीतर  नहीं करवाए जा सके, अत: ऐसी  स्थिति  में  1973 नगरपालिका कानून की  धारा  12 (2 )  में हरियाणा विधानसभा द्वारा   संशोधन करना  आवश्यक था    ताकि उक्त चुनाव करवाने  की मौजूदा एक वर्ष की समय सीमा को आगे बढ़ाया जा सके   एवं  नई स्थापित  नगर  परिषद /नगर पालिका  का  कानूनी अस्तित्व कायम रखा जा सके परन्तु आज तक ऐसा नहीं किया गया है।

हेमंत ने बताया कि  दो वर्ष पूर्व  वर्ष 2020  में  प्रदेश विधानसभा द्वारा  हालांकि  हरियाणा नगर निगम (संशोधन) कानून, 2020 बनाया  गया था जिसके द्वारा हरियाणा में  नई  नगर निगम के पहले आम चुनाव उसको नोटिफाई करने से  पांच वर्ष 6 महीने तक करवाएं जाने का प्रावधान किया गया. पहले यह समय सीमा पांच वर्ष थी.  इसका सीधा प्रभाव  जुलाई, 2015 में नगर परिषद को अपग्रेड कर बनाई गई  सोनीपत नगर निगम पर हुआ एवं उसके पहले चुनाव  27  दिसंबर 2020 को कराये गए। अगर उक्त संशोधन न होता, तो  सोनीपत न.नि. के पहले चुनाव जुलाई,2020 तक करवाए जाने थे। इसी प्रकार दिसम्बर, 2020 में स्थापित प्रदेश की 11 वी मानेसर नगर निगम के पहले चुनाव जून, 2026 तक  करवाए जा सकते हैं।

ज्ञात रहे कि हरियाणा नगर निगम कानून की धारा 4(4) में नई स्थापित नगर निगम के पहले आम चुनाव करवाने की समय सीमा  मूलतः 6 महीने होती थी परंतु वर्ष 2008 से वर्ष 2020 में इस धारा में कुल 8 बार कानूनी संशोधन कर इस समय सीमा को बढ़ाकर  पांच वर्ष 6 महीने कर दिया गया. हालांकि आज तक हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 में  नई स्थापित नगर परिषद / पालिका  के पहले आम चुनाव करवाने की एक वर्ष की समय सीमा को बढ़ाने के लिए एक बार भी  कानूनी संशोधन नहीं किया गया है।  
हेमंत ने गत माह हरियाणा नगर निगम (संशोधन) कानून 2020 की तर्ज पर हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की मौजूदा धारा 12(2) में भी  उपयुक्त  संशोधन करवाने का अपील करते हुए  मंत्री अनिल विज को पुनः अभिवेदन भेजा  था   जिस पर संज्ञान लेते हुए विज ने उसे  अम्बाला की डीसी (उपायुक्त ) को भेज दिया  जिसे उन्होंने  आगे  अम्बाला जिला नगर आयुक्त और अम्बाला सदर  नगर परिषद के प्रशासक को आगामी कार्यवाही हेतु भेज दिया।  

इसी बीच हेमंत का कहना है कि सम्बंधित कानूनी संशोधन करना अर्थात हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की मौजूदा धारा 12(2) में एक वर्ष की समय अवधि को बढ़ाना यह ज़िले की डीसी, नगर आयुक्त और सदर नगर परिषद के प्रशासक के अधिकार-क्षेत्र में नहीं आता बल्कि यह प्रदेश सरकार के शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक और अतिरिक्त मुख्य सचिव का कार्य है जो कानूनी संशोधन का ड्राफ्ट तैयार कर विभाग के मंत्री के द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजेंगे जिस पर कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद प्रदेश विधानसभा द्वारा उपयुक्त संशोधन विधेयक पास कर  उक्त कानूनी संशोधन किया जा सकता है. हालांकि इससे पूर्व अगर प्रदेश सरकार चाहे तो राज्यपाल से अध्यादेश जारी करवाकर भी तत्काल तौर पर उक्त कानूनी संशोधन करवा सकती है जिसे बाद में सदन से विधेयक के तौर पर पारित करवाया जा सकता है।  

बहरहाल, अगर उपरोक्त कानूनी संशोधन नहीं किया जाता,  तो उपरोक्त पांचो नगर निकायों   द्वारा उनकी स्थापना होने के एक वर्ष के बाद  किये गए सभी आधिकारिक कार्यों / कार्य-कलापों पर  गंभीर कानूनी प्रश्नचिन्ह उत्पन्न होने  कारण  कोई भी प्रभावित व्यक्ति या संस्था इस अवधि में उसके  विरूद्ध पारित  आदेशों और निर्देशों को  चुनौती देते हुए अदालत जा सकता है.  अगर आगामी कुछ महीनों में उक्त निकायों के  आम चुनाव करवा भी लिए जाते हैं, फिर भी उपरोक्त कानूनी संशोधन करवाना आवश्यक होगा।  


error: Content can\\\'t be selected!!