क्रैकर्स बैनः दीवाली की रात कितने चले पटाखे ? आवाज पर न जाएं, ये आंकड़े देखें

CHANDIGARH: दीवाली पर चंडीगढ़ में पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध तथा पंचकूला व मोहाली में सिर्फ दो घंटे पटाखे चलाने की इजाजत का व्यापक और पॉजिटिव असर हुआ है। चंडीगढ़ में वायु तथा ध्वनि प्रदूषण के स्तर में पिछले दस साल के मुकाबले खासी गिरावट दर्ज की गई, वहीं पटाखों से घायल होकर अस्पताल पहुंचने वालों की संख्या में भी इस बार कमी आई। हालांकि प्रतिबंध के बावजूद चंडीगढ़ में भी लोग पटाखे फोड़ने से बाज नहीं आए। पुलिस ने नियमों का उल्लंघन करने पर 9 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है, जबकि पटाखों से चोट खाकर 26 लोग अस्पताल पहुंचे। इनमें से 9 लोगों की हालत गंभीर है, जिन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया है। दो की हालत नाजुक बताई जाती है। सात अन्य का पीजीआई के एडवांस्ड ट्रॉमा सेंटर में इलाज चल रहा है।

9 गंभीर घायलों में चंडीगढ़ का एक
पटाखों से बुरी तरह घायल जिन लोगों को पीजीआई में भर्ती कराया गया है, उनमें चंडीगढ़ का केवल एक युवक है। राम दरबार निवासी 20 साल का यह युवक पटाखा फोड़ते समय घायल हो गया। चिंगारी उसकी आंख में चली गई। इसके अलावा मोहाली के एक व्यक्ति का चेहरा पटाखे से बुरी तरह झुलस गया है। उसका इलाज प्लास्टिक सर्जरी के आईसीयू में चल रहा है, जबकि ऊना की एक महिला के भी मुंह में जख्म हुआ है। बाकी घायलों में पंजाब के तीन, हरियाणा के दो और हिमाचल का एक मरीज शामिल है। गवर्नमेंट मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल (जीएमएसएच) सेक्टर-16 में 17 लोग पटाखों से घायल होने के बाद इलाज के लिए पहुंचे। इनमें से आठ लोगों की आंख में चोट थी। गवर्नमेंट मेडिकल कालेज एवं हॉस्पिटल (जीएमसीएच) सेक्टर- 32 में दीवाली की रात कोई ऐसा व्यक्ति नहीं पहुंचा, जो कि पटाखों से घायल हुआ हो। पीजीआई के आई सेंटर में भर्ती किए गए 7 घायलों में पांच तो ऐसे हैं, जो सिर्फ पटाखे चलते हुए देख रहे थे।

चंडीगढ़ में प्रतिबंध का उल्लंघन कर चलाए पटाखे
चंडीगढ़ में कई लोगों ने प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए पटाखे चलाए। शहर में रात दस बजे के बाद भी पटाखों की आवाजें आती रहीं। हालांकि चंडीगढ़ पुलिस ने प्रतिबंध का कड़ाई से पालन कराने के लिए व्यापक प्रबंध किए थे। बताया जाता है कि पुलिस ने दीवाली की रात आईपीसी की धारा 188 और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। माना जा रहा है कि यह पुलिस के कड़े प्रबंधों का ही नतीजा है कि इस बार पटाखे कम मात्रा में फोड़े गए। इसीलिए पटाखों से घायल होने वालों की संख्या तथा प्रदूषण का स्तर भी कम रहा। पटाखों से इस बार केवल 26 लोग घायल होकर अस्पताल पहुंचे, जबकि पिछले साल यह संख्या डेढ़ सौ से ज्यादा थी।

दीवाली की रात दस साल में इस बार सबसे कम हुआ प्रदूषण
चंडीगढ़ में पटाखों पर प्रतिबंध के चलते इस बार वायु तथा ध्वनि प्रदूषण का स्तर पिछले दस साल के मुकाबले काफी कम रहा। कहीं थोड़ा बहुत बढ़ा भी तो वह इलाके मोहाली व पंचकूला से सटे हुए थे। मोहाली व पंचकूला में पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे की छूट थी। दीवाली की रात मोहाली से सटे चंडीगढ़ के सेक्टर-39 में एक्यूआई 314 रिकार्ड किया गया, जो दूषित हवा की श्रेणी में आता है। यह बात अलग है कि ये पिछले वर्ष के मुकाबले कम है। सेक्टर-25 का एक्यूआई इस बार सबसे कम 140 दर्ज हुआ, जबकि पिछले वर्ष यहां 341 एक्यूआई था। ध्वनि प्रदूषण में भी करीब 10 डेसीबल की कमी दर्ज की गई। पिछले साल अधिकतम 79.8 डेसीबल था। इस बार ध्वनि प्रदूषण अधिकतम 66.6 डेसीबल रिकार्ड हुआ।

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