26 साल में पहली बार निगम सदन को नहीं मिला कोरम, मीटिंग स्थगित की गई

नगर निगम के भीतर और बाहर जमकर हुई सियासत, भाजपा पार्षद बोले-वर्चुअल मीटिंग नहीं करेंगे

मीटिंग स्थगित होने के बाद कांग्रेस पार्षदों ने निगम परिसर में दिया धरना

CHANDIGARH: शहर के लोगों के हितों की आड़ में मंगलवार को नगर निगम के भीतर और बाहर जमकर सियासत हुई। भाजपा पार्षदों ने निगम सदन की बुलाई गई बैठक का यह कहते हुए बायकाट कर दिया कि वह वर्चुअल मीटिंग नहीं करना चाहते। ऐसे में निगम सदन की वर्चुअल मीटिंग के लिए कोरम ही पूरा नहीं हुआ और मीटिंग स्थगित कर दी गई। इससे गुस्साए कांग्रेस पार्षद भाजपा पर जनहित की अनदेखी कर लोगों के ऊपर आर्थिक बोझ डालने का आरोप लगाते हुए निगम परिसर में धरने पर बैठ गए। दूसरी तरफ, नगर निगम दफ्तर के बाहर भी चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने भाजपा और भाजपा शासित नगर निगम के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर भारतीय जनता पार्टी पर जोरदार हमला बोला।

सितम्बर से नहीं हुई मीटिंग
गौरतलब है कि महीने में एक बार अनिवार्य रूप से बुलाई जाने वाली निगम सदन की बैठक सितम्बर से नहीं हो पा रही है। क्योंकि मेयर राजबाला मलिक कोरोना संक्रमित हो गई थीं। इसको लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर हमलावर थी। कांग्रेस पार्षदों का कहना था कि निगम सदन की बैठक सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर की अध्यक्षता में भी हो सकती है लेकिन भाजपा जानबूझ कर बैठक नहीं बुला रही है, जबकि कोरोनाकाल में शहर के लोग पानी के रेट तीन गुना बढ़ा देने, सेक्टर-23 के बूथों के दुकानदार किराया कई गुना बढ़ाने देने, सफाई आदि समस्याओं को लेकर पूरा शहर परेशान है। कांग्रेस के इन आरोपों को देखते हुए मेयर राजबाला मलिक ने मंगलवार को निगम सदन की बैठक बुला तो ली लेकिन कांग्रेस इस बैठक के एजैंडे को लेकर फिर हमलावर हो गई। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि यह मीटिंग केवल खानापूर्ति है, क्योंकि इसके एजैंडे में पानी के बढ़े हुए रेट व सेक्टर-23 के बूथों के बढ़ाए गए किराए में राहत देने जैसे मुद्दे तो हैं ही नहीं।

कांग्रेस ने निगम दफ्तर के बाहर बिछा ली दरियां
इसको लेकर कांग्रेस ने निगम सदन की बैठक के दौरान निगम कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया था। लिहाजा, चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस ने मंगलवार को दोपहर साढ़े बारह बजे से ही निगम सदन के बाहर अपनी दरियां बिछा लीं और चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने भाजपा व निगम के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी। इस बीच, दोपहर दो बजे रखी गई नगर निगम सदन की वर्चुअल मीटिंग शुरू हुई तो कांग्रेस के पार्षद मीटिंग से ऑनलाइन जुड़ गए और एजैंडे पर अपना विरोध जताने की तैयारी कर ली।

मनोनीत पार्षद भी नहीं जुड़े निगम सदन की वर्चुअल मीटिंग से

इस स्थिति को देख भाजपा ने भी बीच का रास्ता निकाला और पूर्व मेयर एवं चंडीगढ़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के नेतृत्व में भाजपा पार्षदों ने यह कहते हुए निगम सदन की मीटिंग का बहिष्कार कर दिया कि वह निगम सदन की वर्चुअल मीटिंग नहीं चाहते। क्योंकि इसमें पार्षद अपनी बात ठीक ढंग से नहीं रख पाते हैं। लिहाजा, निगम सदन की मीटिंग का कोरम ही पूरा नहीं हो पाया और मीटिंग स्थगित कर दी गई। इसके बाद निगम कार्यालय के भीतर विपक्ष के नेता देविंदर सिंह बबला के नेतृत्व में कांग्रेस पार्षद धरने पर बैठ गए। 1994 में बने चंडीगढ़ नगर निगम के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि कोरम के अभाव में निगम सदन की बैठक स्थगित की गई है, जबकि अकेली भाजपा के पास ही इतना बहुमत है कि उसे कोरम के लिए विपक्षी पार्षदों की भी जरूरत नहीं थी। भाजपा के रुख को देखते हुए 9 मनोनीत पार्षद भी इस बार निगम सदन की वर्चुुअल मीटिंग से किनारा कर गए।

नगर निगम सदन की वर्चुअल मीटिंग स्थगित होने के बाद विपक्ष के नेता देविंदर सिंह बबला के नेतृत्व में निगम परिसर में धरना देकर नारेबाजी करते हुए कांंग्रेस पाार्षद।
error: Content can\\\'t be selected!!