सभा पर कई अनियमितताएं बरते जाने का आरोप, चुनाव के लिए कल होगी वोटिंग
CHANDIGARH, 7 OCTOBER: कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के नए पदाधिकारियों के कल होने वाले चुनाव को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। मतदान के ऐन मौके पर पूरी ताकत से वोटरों को रिझाने में लगे उम्मीदवारों को झटका देते हुए डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन कोर्ट ने इस चुनाव के निर्णय पर रोक लगा दी है। यानी अब कल 8 अक्तूबर को कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के चुनाव के लिए वोटिंग तो होगी लेकिन चुनाव अधिकारी इसका रिजल्ट घोषित नहीं कर पाएंगे। मुख्य चुनाव अधिकारी राम सिंह मेहरा ने कोर्ट के इस आदेश की पुष्टि की है।
बता दें कि कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के नए पदाधिकारियों का चुनाव कल यानी 8 अक्तूबर को होना है। चंडीगढ़ में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोगों के इस प्रतिष्ठित संगठन के चुनाव को लेकर उम्मीदवार पिछले कई दिनों से मतदाताओं के बीच जाकर अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव की पूर्व संध्या पर आज सभी प्रत्याशियों ने अपने प्रचार अभियान में पूरी ताकत झोंक दी। इस चुनाव में मुख्य रूप से दो गुट आमने-सामने हैं।
कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के चुनाव अधिकारी बीडी बेलवाल के अनुसार यह चुनाव सभा के प्रधान, महासचिव व कोषाध्यक्ष पद के लिए हो रहा है। तीन साल के लिए होने वाले इस चुनाव की प्रक्रिया प्राचीन शिव शक्ति सनातन धर्म मंदिर, बिजली बोर्ड कालोनी सेक्टर 28-बी में पूरी होगी। मुख्य चुनाव अधिकारी राम सिंह मेहरा ने बताया कि चुनाव में कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के संरक्षक एवं आजीवन सदस्य अपना वैध पहचान पत्र दिखाकर मतदान कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि इस चुनाव में प्रधान पद के लिए दो, महासचिव के लिए तीन तथा कोषाध्यक्ष पद के लिए तीन उम्मीदवार आमने-सामने हैं।
उल्लेखनीय है कि कुमाऊं सभा के प्रधान पद पर पिछले करीब 15 साल से बच्चन सिंह नगरकोटी सर्वसम्मति से काबिज थे। चंडीगढ़ में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोगों के कद्दावर नेता माने जाने वाले बच्चन सिंह नगरकोटी अब व्यक्तिगत कारणों से पद मुक्त होना चाहते थे लेकिन संगठन के प्रति उनकी सक्रियता कम नहीं हुई है। इस चुनाव में भी नगरकोटी पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं। नगरकोटी व उनके गुट ने प्रधान पद का चुनाव लड़ रहे मनोज रावत को अपना समर्थन दिया है। उनका चुनाव चिह्न उगता सूरज है। नगरकोटी गुट से ही महासचिव पद के लिए दीपक परिहार और कैशियर पद के लिए नारायण सिंह रावत उगता सूरज चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं। आज चुनाव प्रचार के दौरान बच्चन सिंह नगरकोटी के अलावा सभा के मीडिया प्रभारी शशि प्रकाश पांडेय, बिशन सिंह कंडारी, धन सिंह रावत, दलीप सिंह रावत, बलबीर रावत, हरीश कंडारी, कृष्णा बेलवाल, केशव तिवारी, कृपाल सिंह, गोकुल नगरकोटी, पूर्ण गुसांईं, लक्ष्मण सिंह बिष्ट, मोहन सिंह फर्सवान, हर सिंह डंगवाल आदि सीनियर मैंबर उपस्थित रहे।
दूसरी तरफ, इस चुनाव में नगरकोटी गुट को चुनौती दे रहे जगदीश शर्मा का खेमा भी अपने चुनाव प्रचार अभियान में जोरशोर से जुटा हुआ है। जगदीश शर्मा गुट से कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के प्रधान पद के लिए खुद जगदीश शर्मा, महासचिव पद के लिए होशियार सिंह तथा कोषाध्यक्ष पद के लिए महेश चंद्र चुनाव लड़ रहे हैं। इनका चुनाव चिह्न जलती मशाल है। कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के पदाधिकारियों के लिए करीब 15 साल बाद मतदान के जरिए चुनाव हो रहा है। चुनाव लड़ रहे नगरकोटी व जगदीश शर्मा गुट अपना-अपना चुनाव घोषणा पत्र पहले ही जारी कर चुके हैं।
इधर, इस चुनाव को लेकर विवाद उस समय खड़ा हो गया जब कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के एक सदस्य एडवोकेट जगदीश शर्मा अदालत पहुंच गए। उन्होंने कुमाऊं सभा चंडीगढ़ में कई वित्तीय अनियमितताएं बरते जाने, चुनाव के लिए निर्धारित नियमों का पालन न करने और संगठन के संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए चुनाव पर रोक लगाने की कोर्ट से अपील की लेकिन गत 4 अक्तूबर को कोर्ट ने उनकी याचिका तो मंजूर कर ली लेकिन चुनाव पर रोक की अपील को खारिज कर दिया। एडवोकेट जगदीश शर्मा ने कोर्ट के इस निर्णय को सेशन कोर्ट में चुनौती दी, जिस पर आज सुनवाई के बाद कोर्ट ने एडवोकेट जगदीश शर्मा की दलीलों को मानते हुए कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के चुनाव पर तो रोक नहीं लगाई लेकिन चुनाव के रिजल्ट को अपील के निपटारे तक रोक दिया। कोर्ट में अब इस मामले पर अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी। कुमाऊं सभा चंडीगढ़ के मुख्य चुनाव अधिकारी राम सिंह मेहरा ने बताया कि उन्हें कोर्ट के इस आदेश की प्रति मिल गई है। लिहाजा, अब कल चुनाव के लिए वोटिंग के बाद रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा।
एडवोकेट जगदीश शर्मा का कहना है कि कुमाऊं सभा चंडीगढ़ की अनियमितताओं को लेकर उन्होंने जो याचिका निचली अदालत में दायर की थी, उस पर भी सुनवाई दिसंबर में होगी, जिसमें उन्होंने कुमाऊं सभा चंडीगढ़ में वित्तीय और अन्य गंभीर अनियमितताएं बरते जाने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सभा की जिस जनरल बॉडी की मीटिंग में चुनाव घोषित किया गया, उसमें संगठन के संविधान के विपरीत नई कार्यकारिणी का कार्यकाल तीन साल कर दिया गया, जबकि यह कार्यकाल दो साल का होता है। इसे बढ़ाने के लिए संविधान में आवश्यक संशोधन नहीं किया गया। इसके अलावा सदस्यता शुल्क भी मनमाने तरीके से बढ़ा दिया गया और केवल संरक्षक और आजीवन सदस्यों को मतदान का अधिकार दिया गया, जिससे आम मतदाता चुनाव में वोटिंग नहीं कर पाएंगे। एडवोकेट जगदीश शर्मा ने बताया कि इसके अलावा मीटिंग में एक साथ 15 साल का आय-व्यय का ब्योरा पेश कर पास कर दिया गया, जबकि नियमानुसार यह ब्योरा हर साल मीटिंग में रखा जाना चाहिए था। उन्होंने कुमाऊं सभा के भवन के लिए प्लाट की खरीद में भी अनियमितताएं बरते जाने का आरोप लगाया।