एक तीर से सटीक लगे दोनों निशाने, AAP बोली-भाजपा ने की लोकतंत्र की हत्या
AAP की एक गलती से भाजपा का मेयर, सीनियर डिप्टी व डिप्टी मेयर पदों पर फिर हुआ कब्जा
CHANDIGARH: एक पुरानी कहावत है, एक तीर से दो निशाने साधना। आज चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में कांग्रेस ने इस कहावत को अक्षरशः चरितार्थ किया। कांग्रेस ने इस चुनाव से वॉकआउट की अपनी रणनीति के जरिए जहां आम आदमी पार्टी (AAP) से अपना बदला ले लिया, वहीं अपनी पत्नी को मेयर बनवाने की जुगत से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए पूर्व पार्षद देविंदर सिंह बबला के मंसूबे भी पूरे नहीं होने दिए। लिहाजा, भाजपा मेयर ही नहीं, बल्कि सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर सीट पर भी जीत गई। अब आम आदमी पार्टी (AAP) भी इस चुनाव में अपनी हार के लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार ठहरा रही है। यह बात अलग है कि AAP मेयर चुनाव में अपना एक वोट इनवैलिड होने तथा सीनियर डिप्टी मेयर के लिए एक वोट क्रॉस होने की जांच की बात कह रही है लेकिन AAP ने इस चुनाव में भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते हुए सांसद के वोटिंग राइट को अदालत में चुनौती देने का ऐलान किया है।
AAP की चंडीगढ़ में एंट्री से कांग्रेस के शुरू हुए बुरे दिन
गौरतलब है कि जब से चंडीगढ़ की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) की एंट्री हुई है, तब से यहां कांग्रेस के बुरे दिन शुरू हो गए। 2014 में पहली बार चंडीगढ़ की सियासत में कूदी आम आदमी पार्टी (AAP) ने जब लोकसभा चुनाव लड़ा तो लगातार 3 बार से जीत रही कांग्रेस बुरी तरह हार गई थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस AAP के कारण हार गई। यह बात अलग है कि इन दोनों चुनावों में AAP भी नहीं जीती और फायदा भाजपा को मिल गया। इस बार चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी पहली बार उतरी तो कांग्रेस तीसरे नम्बर पर पहुंच गई। निगम चुनाव में AAP के कारण ही कांग्रेस को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। AAP सबसे ज्यादा 14 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर आई।
कांग्रेस ने पहले बबला पर लगाया निशाना
दूसरी ओर, निगम चुनाव में AAP के हाथों हारकर मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में अपनी लाज बचाने की कोशिश में भाजपा कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ पार्षद देविंदर सिंह बबला की पत्नी एवं नवनिर्वाचित पार्षद हरप्रीत कौर को कांग्रेस से तोड़कर भाजपा में ले गई। इससे भाजपा के अपने सांसद के वोट समेत निगम सदन में AAP के बराबर 14 वोट हो गए। माना जाता है कि बबला अपनी पत्नी को मेयर बनवाने के लिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में पत्नी के साथ शामिल हुए थे। उन्हें मेयर चुनाव में कांग्रेस से अपने पक्ष में कम से कम 3 वोट क्रॉस होने का भरोसा था। कांग्रेस ने बबला की इस जुगत को भांप लिया और अचानक मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर चुनाव में भाग न लेने का निर्णय सुना दिया। साथ ही अपने बाकी 7 पार्षदों को भी टूटने से बचाने के लिए कांग्रेस जयपुर ले गई। मेयर प्रत्याशी की घोषणा के जरूरी वक्त तक आम आदमी पार्टी ने भी अपने पार्षद दिल्ली भेज दिए थे। ऐसे में बबला के लिए AAP से भी वोट मैनेज करना मुश्किल हो गया और बबला की मंशा पर पानी फिर गया। बबला को मेयर पद पर अपनी पत्नी की उम्मीदवारी छोड़नी पड़ गई। तब भाजपा को आनन-फानन में सर्बजीत कौर को अपना मेयर प्रत्याशी बनाना पड़ा।
AAP से ये हुई बड़ी चूक
मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर पदों के लिए भाजपा व AAP से प्रत्यशियों के नामांकन के बाद भाजपा ने अपने पार्षदों को शिमला भेज दिया और एक रणनीति के तहत AAP पर तोड़फोड़ की कोशिश करने का आरोप मढ़ दिया, जबकि आम आदमी पार्टी ने अपने पार्षदों को दिल्ली से वापस बुला लिया। AAP से यही बड़ी चूक हो गई। कांग्रेस के मेयर चुनाव से वॉकआउट कर जाने के कारण भाजपा व AAP को सिर्फ एक वोट मैनेज करने की जरूरत थी। क्योंकि अकाली दल पार्षद के भी इस चुनाव से वॉकआउट करने की आशंका पहले से ही थी। अकाली दल का सिर्फ एक वोट था। भाजपा पार्षद शिमला में होने के कारण AAP एक वोट के मैनेजमेंट में फेल हो गई, जबकि AAP पार्षद चंडीगढ़ में ही होने से भाजपा एक वोट मैनेज करने में सफल हो गई। AAP पहले ही भाजपा पर पार्षदों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा चुकी थी, फिर भी अपने पार्षदों को दिल्ली से बुलाने की गलती कर बैठी।
फिर इस तरह हार गई AAP
नतीजा यह हुआ कि मेयर चुनाव के लिए वोटिंग के बाद गिनती में AAP का एक वोट इनवैलिड करार दे दिया गया, क्योंकि बैलेट थोड़ा सा फटा हुआ था। ऐसे में भाजपा उम्मीदवार सर्बजीत कौर, AAP की अंजू कत्याल के मुकाबले 14-13 यानी एक वोट के अंतर से जीत गईं, जबकि सीनियर डिप्टी मेयर पद पर भाजपा के दलीप शर्मा AAP की प्रेम लता के मुकाबले 15-13 वोट यानी 2 वोटों के अंतर से जीत गए। माना जा रहा है कि दलीप शर्मा के पक्ष में गया AAP का एक पार्षद वही है, जिसने अपना वोट मेयर चुनाव में इनवैलिड करा लिया, जबकि डिप्टी मेयर पद के लिए भाजपा व AAP के बराबर 14-14 वोट पड़े तो लकी ड्रॉ के जरिए हुए फैसले में भाजपा के ही अनूप गुप्ता विजयी घोषित हुए और AAP के रामचन्द्र यादव हार गए। लिहाजा, मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर तीनों सीटों पर भाजपा का इस बार भी कब्जा हो गया।
कांग्रेस मान रही अपनी सियासी जीत
इस तरह से कांग्रेस की चुनाव से वॉकआउट की रणनीति ने कांग्रेस को AAP से बदला लेने व बबला के मंसूबों पर पानी फेरने में बड़ी सहायता कर दी। इससे कांग्रेस अब खुश नजर आ रही है तो AAP को निगम की सत्ता के दरवाजे पर ही रोक देने की अपनी कोशिश सफल हो जाने को बड़ी सियासी जीत भी मान रही है।
इधर, चुनाव के दौरान हुआ जबरदस्त हंगामा
इधर, मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव के समय जबरदस्त हंगामा भी हुआ। AAP का एक वोट इनवैलिड हो जाने के बाद AAP नेताओं व समर्थकों ने हंगामा खड़ा कर दिया। भाजपा पर वोट को गलत तरीके से रदद् करवाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का आरोप लगाते हुए AAP नेता व समर्थक भाजपाइयों से भिड़ गए। AAP के चंडीगढ़ अध्यक्ष प्रेम गर्ग निगम सदन में पहुंच गए तो भाजपा पार्षदों ने उन्हें धक्के मारकर बाहर निकाल दिया। इस दौरान AAP पार्षदों व नेताओं ने अपनी मेयर प्रत्याशी अंजू कत्याल को भी मेयर की कुर्सी के बगल में निगम कमिश्नर की कुर्सी पर बैठा दिया। उस समय नवनिर्वाचित घोषित भाजपा की उम्मीवार सर्बजीत कौर मेयर की कुर्सी पर बैठ चुकी थीं। कुल मिलाकर इस चुनाव के दौरान काफी देर तक जमकर हंगामा, धक्का-मुक्की, हाथापाई व नारेबाजी होती रही। पुलिस को मौके पर आकर स्थिति को संभालना पड़ा।
धरने पर बैठे प्रदीप छाबड़ा
इससे पहले चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पूर्व पार्षदों के अलावा किसी अन्य को निगम परिसर में नहीं जाने दिया गया तो AAP के सह प्रभारी प्रदीप छाबड़ा अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए। उन्होंने चुनाव की प्रक्रिया को देखने से भी रोकने का निगम प्रशासन पर आरोप लगाया। बाद में सभी की दर्शक दीर्घा में जाने दिया गया। चुनाव के बाद AAP सह प्रभारी प्रदीप छाबड़ा ने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या करके चुनाव जीतने का आरोप लगाते हुए कहा कि आज का दिन चंडीगढ़ नगर निगम के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि वह इस चुनाव और इसमें सांसद के वोट के अधिकार को कोर्ट में चुनौती देंगे।