हुड्डा के नेतृत्व में विधानसभा के बाहर कांग्रेस विधायकों ने किया जोरदार प्रदर्शन

3 कृषि कानूनों का किया विरोध, एमएसपी गारंटी का चौथा कानून लाने की उठाई मांग

CHANDIGARH: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में आज कांग्रेस विधायकों ने हरियाणा विधानसभा के बाहर ज़ोरदार प्रदर्शन किया। 3 नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाते हुए विधायकों ने पैदल मार्च निकाला। इस मौक़े पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जबतक सरकार एमएसपी की गारंटी का चौथा क़ानून नहीं बनाती, किसानों के समर्थन में उनका विरोध इसी तरह जारी रहेगा। कांग्रेस विधानसभा के अंदर और बाहर हर जगह नए कृषि क़ानूनों का विरोध करेगी और इन्हें हरियाणा में लागू नहीं होने दिया जाएगा।

स्पीकर द्वारा वोटिंग की मांग को खारिज करना और विधायकों को नेम करना ग़लतः हुड्डा

सदन में चर्चा के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकारी आंकड़ों और तथ्यों का हवाला देते हुए बताया कि सरकार ख़ुद एमएसपी से हाथ पीछे खींच रही है। लगातार सरकारी एजेंसियां इसके संकेत दे रही हैं। इसीलिए प्रदेश का किसान सड़कों पर उतरकार इन क़ानूनों का विरोध कर रहा है। किसान जानना चाहता है कि कौन-कौन विधायक इन बिलों के समर्थन में खड़े हैं और कौन इनके विरोध में। इसीलिए विधानसभा में तीनों क़ानूनों पर वोटिंग होनी ज़रूरी थी। ताकी बिलों का समर्थन करने वालों के बारे में जनता को पता चल सके। लेकिन सरकार वोटिंग से भागती हुई नज़र आई और स्पीकर ने वोटिंग करवाने से इंकार कर दिया। वोटिंग की मांग को खारिज करते हुए स्पीकर ने कांग्रेस विधायकों को नेम भी कर दिया, जो पूरी तरह ग़लत है। इसी के विरोध में कांग्रेस ने सदन से वॉकआउट किया।

किसानों को बर्बाद कर देंगे बिना एमएसपी के कानून, पीडीएस पर भी पड़ेगा असर

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बिना एमएसपी के 3 क़ानूनों से किसानों की बर्बादी तय है। इनसे धीरे-धीरे मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी। इतना ही नहीं इनका सबसे ज़्यादा असर सरकारी डिपो से राशन लेने वाले ग़रीब तबके पर पड़ेगा। जिस तरह से सरकारी एजेंसियां फसलों की ख़रीद से हाथ खींच रही हैं, उससे साफ है कि आने वाले वक्त में नए क़ानूनों का असर पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम पर पड़ने वाला है। अगर सरकार फसलों की ख़रीद ही नहीं करेगी तो ज़ाहिर है डिपो के ज़रिए ग़रीब परिवारों को मिलने वाला राशन भी बंद हो जाएगा। इतना ही नहीं आम जनता पर इन क़ानूनों की मार पड़नी शुरू हो गई है। ज़रूरी वस्तु अधिनियम में बदलाव का ही नतीजा है कि जमाखोर किसानों से 4-5 रुपये प्रति किलो प्याज ख़रीदकर आम जनता को 100 रुपये किलो के रेट पर बेच रहे हैं। इसी तरह किसान से 3-4 रुपये प्रति किलो टमाटर ख़रीदकर जनता को 80-100 रुपये किलो बेचा जा रहा है।

जनता को पता लगना चाहिए कि कौन-कौन विधायक इन 3 कृषि कानूनों के समर्थन में हैं और कौन विरोध में

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी जनहित के मुद्दों पर चर्चा से भाग रही है। इसीलिए उसने विपक्ष की मांग को नज़अंदाज़ करते हुए महज़ दो दिन का विधानसभा सत्र रखा है। कांग्रेस विधायकों की तरफ से स्पीकर को 3 कृषि क़ानूनों, किसानों के ख़िलाफ़ दर्ज़ झूठे मुक़द्दमों, सोनीपत में ज़हरीली शराब से मौत, प्रदेश में बढ़ते अपराध, 1983 पीटीआई, 1518 ग्रुप डी कर्मचारियों, शराब घोटाला, रजिस्ट्री घोटाला, धान घोटाला जैसे कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा के लिए प्रस्ताव दिए थे। लेकिन सरकार ने ज़्यादातर मुद्दों पर चर्चा करने से ही इंकार कर दिया। कांग्रेस विधायकों के कई ध्यानाकर्षण और स्थगन प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश के हर तबके की नज़र विधानसभा पर लगी हुई थी। सभी लोग चाहते थे कि उनका मुद्दा सदन में उठाया जाए लेकिन सरकार ने जनहित से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा तक करना मुनासिब नहीं समझा। सरकार के रवैये से स्पष्ट है कि उसके पास विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं है।

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