कांग्रेस ने 6 वर्ष का निष्कासन रद्द किए बिना निर्मल‌ सिंह और चित्रा सरवारा की कराई पार्टी में घर-वापसी ?

अक्टूबर-2019 में  हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवारों के विरूद्ध चुनाव लड़ने के कारण  दोनों पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 वर्ष के लिए किए गए थे निष्कासित 

36 वर्ष पूर्व 1988 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने कांग्रेस में दोबारा शामिल होने से पूर्व राजीव गांधी के समक्ष उठाया था ऐसा प्वाइंट: एडवोकेट 

CHANDIGARH, 5 JANUARY: हरियाणा के पूर्व कैबिनेट मंत्री और चार बार अंबाला जिले के तत्कालीन नग्गल हलके से विधायक रह चुके चौधरी निर्मल सिंह और उनकी सुपुत्री चित्रा सरवारा, जो अप्रैल, 2022  में  उनके द्वारा वर्ष 2019 में बनाये गये  हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट ( एच.डी.एफ.) से आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल हुए थे और गत  28 दिसंबर‌ 2023 को आप पार्टी से‌ भी त्यागपत्र दे दिया था, ने आज कांग्रेस में शामिल होकर एक प्रकार से कांग्रेस पार्टी में घर वापसी की है। सनद रहे कि चित्रा वर्ष 2013 से 2018 तक कांग्रेस पार्टी के समर्थन से निर्वाचित होकर अम्बाला नगर निगम की निर्दलीय सदस्य (पार्षद) भी रही हैं और उसके बाद वह अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और विशेषकर उसके सोशल मीडिया विभाग में वरिष्ठ पदाधिकारी भी रही हैं।

इसी बीच, अम्बाला निवासी एवं पंजाब एवं‌ हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने एक रोचक ऑर महत्वपूर्ण प्वाइंट उठाते हुए बताया कि करीब 50 महीने पूर्व अक्टूबर, 2019 में जब मौजूदा  14वीं हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव हुए थे, तब निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा दोनों को क्रमश: अम्बाला शहर और अम्बाला कैंट विधानसभा सीटों से कांग्रेस पार्टी का टिकट नहीं मिला था, जिसके बावजूद उन्होंने उन दो सीटों से कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के विरुद्ध निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था, जिस कारण अक्टूबर, 2019 में कांग्रेस पार्टी की तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा ने उन दोनों एवं एक दर्जन अन्य पार्टी के बागी नेताओं को 6 वर्ष के लिए कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्काषित कर दिया था। उनके साथ पार्टी से निष्कासित होने वालों में कांग्रेस के तत्कालीन नेता और वर्तमान में हरियाणा के बिजली एवं जेल मंत्री रणजीत चौटाला भी शामिल थे, जिन्होंने सिरसा जिले की रानियाँ विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था एवं चुनाव जीतने के बाद भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में शामिल होकर प्रदेश के इकलौते ऐसे निर्दलीय विधायक रहे, जो वर्तमान सरकार में  कैबिनेट मंत्री बने।

बहरहाल, हेमंत ने बताया कि अगर देखा जाए तो निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा का कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासन अक्टूबर, 2019 से 6 वर्ष तक अर्थात अक्टूबर, 2025 तक बनता है। अब क्या इन दोनों द्वारा करीब 4 वर्ष बाद ही कांग्रेस पार्टी में दोबारा शामिल होने से उनका पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से करीब दो वर्ष शेष निष्कासन स्वत: रद्द हो गया है अर्थात हो जाता है, ऐसा देखने  लायक है। हालांकि कांग्रेस पार्टी के वर्तमान  संविधान में ऐसा उल्लेख नहीं है। रोचक बात यह रही कि निर्मल- चित्रा की कांग्रेस पार्टी में घर वापसी करते समय कांग्रेस के किसी वरिष्ठ नेता द्वारा ऐसा बयान नहीं दिया गया कि निर्मल-चित्रा का कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 वर्ष का  निष्कासन आदेश तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है या रद्द कर दिया गया है।

इस बीच, हेमंत ने एक रोचक तथ्य सांझा करते हुए हुए बताया कि आज से 38 वर्ष पूर्व अप्रैल,1986 में कांग्रेस पार्टी के दिवंगत वरिष्ठ नेता प्रणब मुख़र्जी, जो वर्ष 2012-17 तक देश के राष्ट्रपति भी रहे थे, उनके कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव गाँधी, जो तब देश के प्रधानमन्त्री भी थे, से कुछ राजनीतिक मतभेद हो गये थे जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस के नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी बना ली थी और वर्ष 1987 में उस पार्टी से पश्चिम बंगाल के विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के विरुद्ध उनकी पार्टी के प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतारे थे। इसी बीच कांग्रेस पार्टी द्वारा मुख़र्जी को पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित कर दिया गया। जब दो वर्ष बाद 1988 में राजनीतिक परिस्थितियाँ बदली, तब राजीव गाँधी ने मुख़र्जी को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की मार्फ़त फिर से कांग्रेस में शामिल होने का आह्वान किया, तब मुख़र्जी ने यही प्वाइंट उठाया था कि उनका 6 वर्ष का कांग्रेस पार्टी से निष्कासन रद्द हुए बिना वह दोबारा कांग्रेस पार्टी में कैसे शामिल हो सकते हैं। 

इस पर औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद मुख़र्जी ने वर्ष 1988 में कांग्रेस में घर वापसी कर ली थी एवं उनके बाद वह जीवनभर कांग्रेस पार्टी के ही अनुशासित सिपाही (सदस्य) रहे थे। वह न केवल इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी सरकार में मंत्री रहे थे, बल्कि देश के राष्ट्रपति बनने से पूर्व पहले नरसिम्हा राव और फिर मनमोहन सिंह की दो यूपीए सरकार में अहम विभागों के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री रहे थे।

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