कैबिनेट ने शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए जाने वाले इन मकानों के लिए आवेदन मांगने को दी मंजूरी
CHANDIGARH: राज्य भर में समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों को घर मुहैया करवाने के लिए पंजाब मंत्री मंडल ने आज अलग-अलग शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा बनाए जाने वाले 25,000 (ई.डब्ल्यू.एस.) घरों की अलॉटमैंट के लिए आवेदन मांगने को मंज़ूरी दे दी है।
अनुमोदित नीति के अनुसार योग्य आवेदकों से आवश्यक दस्तावेज़ों समेत इन घरों के लिए आवेदन माँगे जाएंगे। रेहायशी इकाईयों का क्षेत्र लगभग 30 वर्ग मीटर होगा। यह गरीब समर्थकीय स्कीम राज्य के लगभग 25000 परिवारों, जिनके पास कोई रेहायशी जगह नहीं है, को लाभ पहुँचाने में मददगार होगी।
उन्होंने परिवारों को सभ्य और सुरक्षित जीवन शैली के लिए इन मकानों के मालिकाना हक दिए जाएंगे। इस सम्बन्धी फ़ैसला आज शाम यहाँ पंजाब भवन में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता अधीन हुई मंत्री मंडल की बैठक के दौरान लिया गया। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता केे अनुसार इस समय सभी विकास प्राधिकरण जैसे गमाडा (233.588 एकड़), गलाडा (73.29 एकड़), पीडीए (16.52 एकड़), बीडीए (13.48 एकड़), जेडीए (11.25 एकड़) और एडीए (48.92 एकड़) में ई.डब्ल्यू.एस. हाउसिंग के लिए 397.048 एकड़ ज़मीन उपलब्ध है।
मैसर्ज वैपकोस लिमिटेड, भारत सरकार के एक सार्वजनिक क्षेत्र के अंडरटेकिंग को हाल ही में इस प्रोजैक्ट के लिए प्रोजैक्ट प्रबंधन सलाहकार (पी.एम.सी.) के तौर पर खुली चयन प्रक्रिया द्वारा शामिल किया गया है, जिससे प्रोजैक्ट को पूरी तरह अमल में लाया जा सके। इसके बुनियादी कदमों में आवेदन मांगने के लिए वैब पोर्टल तैयार करना; मार्केट की माँग का विश्लेषण; डीपीआर की तैयारी; सभी निर्माण गतिविधियों की निगरानी; इसकी गुणवत्ता को सुनिश्चित बनाना और इसको सम्बन्धित आर.डब्ल्यू.ए. को सौंपने तक सख़्त निगरानी में रखना। हरेक ई.डब्ल्यू.एस. के लिए 85 यूनिट प्रति एकड़ के हिसाब से 80 प्रतिशत क्षेत्र मकानों के लिए होगा, जबकि 20 प्रतिशत क्षेत्र स्कूल, डिस्पेंसरी, खेल के मैदान और कम्युनिटी सैंटर के लिए छोड़ा जाएगा।
जि़क्रयोग्य है कि पंजाब ई.डब्ल्यू.एस. हाउसिंग नीति को 9 मार्च, 2021 को कैबिनेट द्वारा मंज़ूरी दी गई थी, क्योंकि ऐसे 25,000 ई.डब्ल्यू.एस. घर, आवास निर्माण और शहरी विकास विभाग के अधीन विशेष शहरी योजना और विकास प्राधीकरणों द्वारा बनाए जाएंगे। शहरी विकास प्राधीकरण में डिवैल्परों के शेष बकाए पर 10 फीसदी साधारण ब्याज जमा 3 फीसदी दंड ब्याज की कटौती को मंज़ूरी डिवैल्परों को राहत देने और राज्य में रियल एस्टेट सैक्टर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मंत्री मंडल ने डिवैल्परों के शेष बकाए जैसे कि ईडीसी पर 10 फीसदी साधारण ब्याज जमा 3 फीसदी जुर्माना ब्याज घटाकर शहरी विकास प्राधीकरण में 8.5 फीसदी सालाना करने का फ़ैसला किया है।
इसके अलावा मंत्री मंडल ने नए और चल रहे प्रोजैक्टों के लिए ब्याज की साधारण और जुर्माना दरों को घटाकर 7.5 फीसदी सालाना और 10 फीसदी सालाना करने का फ़ैसला किया है।
पंजाब फूड ग्रेन लेबर एंड कारटेज, 2022 और पंजाब फूड ग्रेन ट्रांसपोरटेशन, 2022 की नीतियों को मंज़ूरी 1 अप्रैल, 2022 से शुरू होने वाले साल 2022-23 के आगामी खरीद सीज़न को ध्यान में रखते हुए मंत्री मंडल ने लेबर और ढुलाई और अनाज की मंडियों से इसके भंडारण स्थानों तक ले जाने के लिए साल 2022 के लिए पंजाब फूड ग्रेन लेबर एंड कारटेज नीति और पंजाब फूड ग्रेन ट्रांसपोरटेशन नीति को मंज़ूरी दे दी है।
मंत्री मंडल द्वारा स्वीकृत की गई दोनों नीतियों के अंतर्गत अनाज की ढुलाई के अलावा लेबर और कारटेज का काम पारदर्शी ऑनलाइन टैंडर प्रणाली के द्वारा अलॉट किया जाएगा। जि़क्रयोग्य है कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग अपनी खरीद एजेंसियों और भारतीय खाद्य निगम द्वारा विभिन्न मनोनीत केन्द्रों/मंडियों से अनाज की खरीद करता है।
कोविड-19 महामारी के दौरान धार्मिक संस्थाओं के वाहनों और बसों को मोटर वाहन टैक्स से छूट कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान लॉकडाउन के कारण ट्रांसपोर्ट सैक्टर को हुए बड़े वित्तीय नुकसान से राहत देने के लिए मंत्री मंडल ने ठेके पर चलने वाले वाहनों (16 सीटों तक), धार्मिक संस्था की बसें और स्टेज कैरीएज़ बसें (35 सीट तक) को मोटर व्हीकल टैक्स से छूट देने की मंज़ूरी दे दी है। इन फ़ैसलों से सभी किस्मों की स्टेज कैरीएज़ बसें (35 सीटों तक, प्राईवेट/एसटीयू) के लिए मौजूदा दरें 30,000 रुपए से कम कर 20,000 रुपए प्रति बस प्रति वर्ष हो जाएंगी और मोटर व्हीकल टैक्स की दर में 5 प्रतिशत सालाना वृद्धि ख़त्म हो जाएगी। इ
सके अलावा 20 मई, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 तक 16 सीटों वाले ठेके पर चलने वाले वाहनों को और 23 मार्च, 2020 से 31 दिसंबर, 2020 तक धार्मिक संस्थाओं की बसों को मोटर व्हीकल टैक्स से छूट दी गई है। जि़क्रयोग्य है कि शायद ही कोई ऐसा सैक्टर था जो कोविड-19 महामारी के दौरान प्रभावित ना हुआ हो, जिसके नतीजे के तौर पर बहुत कम सवारियां इन बसों में सफऱ कर सकती थीं, क्योंकि लोगों ने महामारी के डर के कारण सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करने की बजाय अपने निजी वाहनों में सफऱ करने को प्राथमिकता दी।
अलग-अलग प्राईवेट ट्रांसपोर्टरों द्वारा कई अभ्यावेदन प्राप्त हुए जिनके द्वारा उन्होंने यह मुद्दा उजागर किया कि डीज़ल की बढ़ती कीमतों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, क्योंकि बसों से होने वाली सारी आमदन डीज़ल और रख-रखाव के खर्चों को पूरा करने के लिए ही ख़र्च हो जाती है।