मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्राकृतिक खेती के प्रमाणीकरण पर दिया जोर

गुजरात के राज्यपाल और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए की चर्चा

CHANDIGARH, 20 MAY: हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के निर्णय से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि देश व राज्य के लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा और साथ ही भूमि की उर्वरक शक्ति भी बढ़ेगी।

उन्होंने मृदा स्वास्थ्य जांच पर विशेष जोर देते हुए सत्यापित प्रयोगशालाओं के माध्यम से प्राकृतिक खेती के प्रमाणीकरण पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को ऐसी प्रयोगशालाओं को बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने के निर्देश दिए, जो तर्कसंगत शुल्क पर इस तरह की मिट्टी की जांच करेंगी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती की प्रामाणिकता बरकरार रहनी चाहिए और राज्य के नागरिकों को वास्तविक प्राकृतिक उत्पाद मिलने चाहिए।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल और गुजरात के राज्यपाल श्री  आचार्य देवव्रत ने आज हरियाणा निवास, चंडीगढ़ में हरियाणा में प्राकृतिक खेती कार्यक्रम के कार्यान्वयन की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जेपी दलाल भी उपस्थित थे। गुजरात के राज्यपाल ने विभिन्न राज्यों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल शुरू की है। इस पहल को आगे बढ़ाते हुए हरियाणा सरकार ने हाल ही में हरियाणा विधानसभा में पेश किये गए बजट सत्र में भी इसके लिए बजट का विशेष प्रावधान किया है।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि एक समर्पित पोर्टल शुरू किया गया है, जिस पर केवल प्राकृतिक किसान पंजीकृत होंगे। उन्होंने कहा कि 50 ब्लॉक के तहत जो किसान अपना उत्पाद खुद बनाएंगे, उन्हें 35,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, बशर्ते पूर्व-आवश्यक शर्तों को पूरा किया जाना चाहिए।

श्री मनोहर लाल ने कहा कि विभाग द्वारा प्राकृतिक खेती की प्रामाणिकता की निगरानी पर जोर दिया जाए ताकि वास्तविक उत्पाद बाजार में आ सकें। उन्होंने विभाग के अधिकारियों को प्रत्येक जिले में 25-25 युवा किसानों को तैनात करने के निर्देश दिए, जिन्हें प्राकृतिक खेती में प्रामाणिक प्रशिक्षण दिया गया है ताकि वे अन्य किसानों को संबंधित जिले में प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर सकें। 

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि और अधिक नवीन तकनीकों का भी पता लगाया जाए, जिनका उपयोग उन किसानों द्वारा किया जा रहा है जिन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाया है ताकि इस क्षेत्र में विविधीकरण और नवाचार साथ-साथ चल सकें। उन्होंने प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के भी निर्देश दिए ताकि कार्यक्रम की प्रगति की मैपिंग की जा सके।

मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) के कर्मचारियों के प्रशिक्षण के बाद कार्यक्रम शुरू करने और उन्हें एचपी, गुजरात राज्य की प्राकृतिक खेती के मॉडल से परिचित कराने के भी निर्देश दिए। उन्होंने प्राकृतिक खेती की समावेशी सफलता के लिए महिला किसानों की भागीदारी बढ़ाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पहले चरण में केवल समर्पित कर्मचारियों और किसानों को प्रशिक्षित किया जाए।

गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने कहा कि जैविक खेती से किसानों को ज्यादा लाभ नहीं हो रहा है, इसलिए सभी को प्राकृतिक खेती को अपनाना चाहिए और इसे बढ़ावा देने का फैसला हरियाणा सरकार ने लिया है। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर से खेती होगी, इसमें किसी अन्य खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है। गाय के गोबर से बैक्टीरिया पैदा होंगे और ये बैक्टीरिया प्राकृतिक खेती को शक्ति देंगे। इससे उत्पादन बढ़ेगा और किसानों की लागत भी कम होगी। अन्य लाभों के साथ-साथ ऐसी कृषि पद्धतियों से पानी की भी बचत होगी।

श्री आचार्य देवव्रत ने कहा कि हमारा उद्देश्य प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण में तेजी लाना है। उन्होंने कहा कि इसके बाद प्रशिक्षित किसान इस मिशन में शामिल होने के लिए अन्य लोगों के लिए प्रशिक्षक के रूप में कार्य करेंगे।  उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में यह पता चला है कि युवा और महिलाएं प्राकृतिक खेती के प्रति काफी उत्साह दिखा रहे हैं। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे छोटे पैमाने पर प्राकृतिक खेती शुरू करें और उसके बाद जब वे स्वयं जादुई परिणाम देखेंगे तो इसे बड़े पैमाने पर लागू करें, लेकिन इसके लिए प्रामाणिक प्रशिक्षण चाहिए, जिसे राज्य सरकार द्वारा बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

उद्घाटन भाषण के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा ने प्राकृतिक खेती की दिशा में हरियाणा सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हरियाणा में प्राकृतिक खेती के अपने पैटर्न को लागू करने के लिए अन्य राज्यों के विभिन्न सफल मॉडलों का अवलोकन कर रही है।  समीक्षा बैठक के दौरान प्राकृतिक खेती के सफल क्रियान्वयन के साथ-साथ इसमें आने वाली कठिनाइयों पर भी चर्चा हुई।

बैठक में कृषि विभाग के महानिदेशक डॉ. हरदीप सिंह, बागवानी विभाग के महानिदेशक डॉ अर्जुन सिंह सैनी, शोधकर्ता और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

error: Content can\\\'t be selected!!