21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस तक नए साइन बोर्ड लगाने के लिए कहा
CHANDIGARH, 19 NOVEMBER: पंजाबी भाषा और सभ्याचार को प्रफुल्लित करने के लिए अपनी सरकार की दृढ़ वचनबद्धता दोहराते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाबियों को राज्य भर की सभी निजी और सरकारी इमारतों पर पंजाबी भाषा में साईन बोर्ड लगाने के लिए लहर शुरू करने के लिए आगे आने का न्योता दिया।
मुख्यमंत्री ने यहाँ गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी में पंजाबी भाषा महीना मनाने सम्बन्धी राज्य स्तरीय समागम के दौरान इक्_ को संबोधन करते हुये महाराष्ट्र, तामिलनाडु और अन्य राज्यों की उदाहरणें दीं, जहाँ लोग अपनी मातृभाषा का सम्मान करते हैं। उनकी दुकानों और व्यापारिक संस्थानों पर उनकी माँ-बोली में साईन बोर्ड लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है, जब पंजाबियों को भी इस नेक रिवायत को अपनाने के लिए आगे आना चाहिए। भगवंत मान ने पंजाबियों को यह यकीनी बनाने के लिए कहा कि सभी साईन बोर्डों पर अन्य भाषाओं के साथ पंजाबी को प्रमुखता के साथ लिखा जाये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस से पहले पंजाबी में साईन बोर्ड लगाने यकीनी बनाएं। उन्होंने मातृभाषा के सम्मान के लिए इसको जन लहर बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। भगवंत मान ने कहा कि बुद्धिमान पंजाब निवासी 21 फरवरी से पहले इसको अपना लेंगे और उसके बाद सरकार कार्यवाही करेगी।
मुख्यमंत्री ने भारत और विश्व के अलग-अलग हिस्सों में बसते पंजाबी भाईचारे को पंजाबी भाषा और सभ्याचार को बड़े स्तर पर प्रफुल्लित करने का न्योता दिया। भगवंत मान ने कहा कि यह हकीकत है कि कोई भी अपने अमीर सभ्याचार और माँ-बोली से दूर नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि नि:संदेह अंग्रेज़ी को विश्व भर में एक संपर्क भाषा के तौर पर मान्यता मिली हुई है परन्तु इस भाषा को हमारी माँ- बोली की कीमत पर आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी बजाय हर पंजाबी को विरासत में मिली अपनी शानदार सांस्कृतिक विरासत पर गर्व महसूस करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पंजाब महान गुरूओं, संतों, पीरों-फक़ीरों और शहीदों की धरती है और यह युगों से मानवता के लिए एक मिसाल का काम करता आ रहा है। भगवंत मान ने कहा कि पंजाबियों ने अपनी मेहनत और लगन से दुनिया भर में अपना अलग स्थान बनाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर कोई अपनी मातृभाषा को भूल जाता है तो यह श्राप है परन्तु बदकिस्मती से अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं के लालच में पंजाब निवासी अपनी मातृभाषा से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस रुझान पर नकेल डालने की ज़रूरत है क्योंकि यह एक प्रमाणित तथ्य है कि मानव अपनी माँ-बोली में ही बढिय़ा ढंग के साथ बातचीत और अभिव्यक्त कर सकता है। भगवंत मान ने कहा कि मानसिक ग़ुलामी के कारण हम आज भी अंग्रेज़ी भाषा की श्रेष्ठता में विश्वास रखते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि पंजाबी हम में से हरेक की शिरोमणि भाषा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत से मुल्कों में पंजाबी भाषा का प्रयोग किया जा रहा है परन्तु यहाँ हम किसी न किसी तरह इसको बोलने से कतराते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी भाषा बौद्धिकता का प्रतीक नहीं परन्तु बदकिसमती से हम सिर्फ़ अंग्रेज़ी की स्थापना बनाने के लिए अपनी मातृभाषा को लगातार अनदेखा कर रहे हैं। भगवंत मान ने फ्रांस की मिसाल देते हुये कहा कि फ्रांस के लोग अपनी माँ-बोली में बात करने को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि पंजाबियों को भी पंजाबी भाषा को अपने जीवन का अटूट अंग बनाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी भाषा एक अनमोल खज़़ाना है क्योंकि इसमें बहुत सारा साहित्य, गीत, कविताएं और अन्य सामग्री लिखी गई है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें इस दुर्लभ संसाधन को संभालना चाहिए और इसको अपनी आने वाली पीढिय़ों के लिए कायम रखना चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि हमें अपनी भाषा, सभ्याचार और रिवायतों पर गर्व महसूस करना चाहिए और यूनिवर्सिटियों और कालेजों को इस नेक कार्य के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को इससे जुडऩे के लिए उत्साहित करने के लिए शैक्षिक संस्थाओं को पंजाबी भाषा में विशेष कोर्स शुरू करने की अपील की। उन्होंने कहा कि पंजाबी भाषा में विद्यार्थियों की सृजनात्मक रुचियों की तरफ विशेष ध्यान देकर उनको उत्साहित करना चाहिए। भगवंत मान ने कहा कि पंजाबी भाषा ने बहुत से महान साहित्यकार, बुद्धिजीवी और कवि पैदा किये हैं और पंजाबियों को हमेशा ही इन पर गर्व है।
इससे पहले उच्च शिक्षा मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने सभी आदरणियों का स्वागत किया। उन्होंने नौजवान पीढ़ी को पंजाब की गौरवमई विरासत से अवगत करवाने के लिए विभाग की तरफ से किये जा रहे प्रयासों के बारे भी अवगत करवाया। मीत हेयर ने कहा कि मातृ भाषा किसी भी व्यक्ति के लिए संचार का सबसे महत्वपूर्ण साधन है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उच्च शिक्षा और भाषा विभाग की नई किताबों का विमोचन भी किया । इस दौरान उन्होंने प्रसिद्ध साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया।