सुरताल में चेतन की बांसुरी ने मोह लिया मन, विद्या के गायन में डूबे श्रोता

CHANDIGARH, 29 DEC: उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनजेडसीसी), संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सांस्कृतिक कार्य विभाग, यू.टी., चंडीगढ़ के सहयोग से दो दिवसीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत फेस्टिवल ‘सुरताल’ के समापन दिवस, वीरवार को चेतन जोशी की बांसुरी और विद्या शाह के गायन ने सबका दिल जीत लिया। 

इस कार्यक्रम का बुधवार को आगाज हुआ था। दो दिवसीय इस कार्यक्रम के पहले दिन प्रसिद्ध कथक नर्तक सदानंद विश्वास और भारतनाट्यम नर्तक शांतनु चक्रवर्ती मुख्य आकर्षण थे। कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रसिद्ध बांसुरी वादक चेतन जोशी और शास्त्रीय संगीत गायिका विद्या शाह चंडीगढ़ के संगीत प्रेमियों का मनोरंजन किया। इस बारे में फुरकान खान डायरेक्टर एन जेड सी सी  ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य शास्त्रीय विद्या को प्रमोट करना है। 

कार्यक्रम का आकर्षण, हाल ही में केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बाँसुरी वादक पंडित चेतन जोशी थे। उन्होंने अपने कार्यक्रम के प्रारंभ में श्रोताओं से बातचीत में कहा कि बाँसुरी विश्व के सबसे पुराने वाद्यों में से एक है। इस अवसर पर उन्होंने चंडीगढ़ से अपने पुराने संबंधों की भी चर्चा की। पंडित जोशी ने अपने वादन का प्रारंभ राग बिहागड़ा में आलाप, जोड़ तथा झाला से किया। इसमें उन्होंने अति मंद्र सप्तक बजाने का भी अद्वितीय प्रयोग किया, जिसके लिए उनका नाम कई शोध प्रबंधों में भी आया है। संक्षिप्त आलाप के बाद उन्होंने विलंबित रूपक ताल में एक गत रखी, जिसमें विभिन्न प्रकार की लयकारियों का अद्भुत समावेश दिखाई दिया। द्रुत लय की बंदिश तीन ताल में निबद्ध थी। श्रोताओं की फरमाइश पर पंडित चेतन जोशी ने एक धुन सुना कर अपने अविस्मरणीय कार्यक्रम का समापन किया।

फेस्टिवल की अंतिम प्रस्तुति शास्त्रीय संगीत गायिका विद्या शाह की रही। जिन्होने अपने गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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