चंडीगढ़ः गांवों ने बिगाड़ दिया शहरी नेताओं का खेल, उलट-पलट गए कई पार्षदों के क्षेत्र, देखें नई वार्डबंदी

CHANDIGARH: चौदह साल बाद चंडीगढ़ नगर निगम की नई वार्डबंदी तैयार है। बुधवार को इसकी नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है। सात दिन के भीतर इस पर सुझाव व आपत्तियां मांगी गई हैं। इसके बाद नई वार्डबंदी पर कोई ऐतराज स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस नोटिफिकेशन ने शहर के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। क्योंकि नगर निगम में शामिल किए गए गांवों ने कई शहरी नेताओं का खेल बिगाड़ दिया है। कई पार्षदों के वार्ड उलट-पुलट गए हैं। किसी का पुराना एरिया वार्ड से निकल गया है तो किसी के वार्ड में नया क्षेत्र शामिल हो गया है और नगर निगम चुनाव को सिर्फ एक साल बचा है। लिहाजा, 2021 का निगम चुनाव लड़ने के लिए तैयार बैठे कुछ नेताओं के तो पसीने पहले ही छूट गए हैं।

इससे पहले चंडीगढ़ नगर निगम के लिए वार्डबंदी 2006 में हुई थी। यह 2001 की जनगणना के आधार पर हुई थी। इसके बाद 2011 की जनगणना के आधार पर चंडीगढ़ नगर निगम की नई वार्डबंदी होनी थी और पिछला नगर निगम चुनाव नई वार्डबंदी पर होना था लेकिन जनगणना के सेक्टरवाइज आंकड़े न मिल पाने के कारण नई वार्डबंदी अटकी रही। हाल ही में चंडीगढ़ के 13 और गांव नगर निगम में शामिल हो गए तो नई वार्डबंदी सुनिश्चित हो गई। इन्हीं तेरह गांवों के कारण अब सभी वार्ड उलट-पुलट गए हैं। कांग्रेस पार्षद इसे भाजपा की चाल बता रहे हैं। उनका आरोप है कि भाजपा ने अपने हिसाब से वार्डबंदी कराई है, जबकि कुछ भाजपा पार्षद भी नई वार्डबंदी में क्षेत्रों के आवंटन को लेकर संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं।

चंडीगढ़ में पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ने जा रही आम आदमी पार्टी भी नई वार्डबंदी की प्रस्तावित रूपरेखा से खुश नहीं है। आप का कहना है कि नई वार्डबंदी में क्षेत्रों का बंटवारा नियमानुसार नहीं किया गया है। गांवों के साथ शहरी क्षेत्र को नहीं जोड़ा जा सकता है, क्योंकि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याएं अलग-अलग तरह की होती हैं। कुछ वार्डों में वोटरों की संख्या को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। नेताओं के इस रुख को देखते हुए संकेत मिल रहे हैं कि अगले सात दिनों में नई वार्ड़बंदी की प्रस्तावित रूपरेखा पर कई आपत्तियां दर्ज हो सकती हैं।

कौन से वार्ड में अब कौन सा क्षेत्र किया गया है शामिल, देखें यहां ?

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